सुशील तिवारी, जालंधर
नगर निगम में भले ही सत्ता परिवर्तन हो गया हो लेकिन बिल्डिंग इंस्पेक्टरों की कार्यशैली में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। निगम के दो बिल्डिंग इंस्पेक्टर प्रेम कील और रुपेंद्र सिंह टिवाना अब भी नगर निगम के राजस्व को चूना लगा रहे हैं। बता दें कि दोनों इंस्पेक्टर जब से जालंधर में तैनात हैं तब से अवैध बिल्डिंगों और अवैध कॉलोनियों की भरमार उनके इलाकों में रही है।
सबसे पहले बात करते हैं रुपेंद्र सिंह टिवाना की। टिवाना पहले मॉडल टाउन में तैनात रहे, वह आर्डिनेंस डिपो के आसपास के प्रतिबंधित एरिया में भी तैनात रहे। उनके पास कभी रेलवे रोड और आसपास का इलाका भी हुआ करता था। वर्तमान में उनके पास अटारी बाजार और आसपास का इलाका है। टिवाना जहां भी तैनात रहे वहां अवैध निर्माणों की बाढ़ सी आ गई लेकिन उसका एक भी पैसा नगर निगम के खाते में नहीं आया। मॉडल टाउन में किस कदर अवैध निर्माण टिवाना के टाइम में हुए इतने अवैध निर्माण किसी भी बिल्डिंग इंस्पेक्टर के समय नहीं हुए। यही वजह थी कि दीवाना को हटाकर वहां पर वरिंदर कौर जैसी ईमानदार बिल्डिंग इंस्पेक्टर को तैनात किया गया। यहां से दीवाना को रेलवे रोड भेजा गया तो वहां पर दीवाना ने कुछ अवैध गेस्ट हाउस तक बनवा डाले लेकिन उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की। शिकायत हुई तो दीवाना से यह एरिया भी वापस ले लिया गया और उन्हें दफ्तर में खाली बैठा दिया गया था। लेकिन तब अकाली-भाजपा गठबंधन का निगम पर राज था और सूबे में कांग्रेस सत्ता में आ चुकी थी। टिवाना ने सियासी पारी बदलते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया। सूत्र बताते हैं कि टिवाना एक कांग्रेस विधायक की शरण में जा पहुंचे और फिर से फील्ड में आ गए। अब टिवाना का एकछत्र राज था। इस दौरान दीवाना को अटारी बाजार और आसपास का एरिया दिया गया। बाजारों की तंग गलियों में अवैध रूप से कई इमारतें खड़ी कर दी गई लेकिन दीवाना ने उनके खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं की।
सबसे हैरान कर देने वाला उदाहरण अटारी बाजार की पतंगों वाली गली में बनी अवैध मार्केट है। इसकी शिकायत उस समय से करनी शुरू कर दी गई थी जिस समय वहां बुनियाद डाली जा रही थी। यह शिकायत नगर निगम कमिश्नर से की गई थी इसके बावजूद इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। नगर निगम कमिश्नर बसंत गर्ग ने तीन बार बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह दीवाना को इस अवैध मार्केट के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए साथ ही एक निगम अधिकारी को इसकी मॉनिटरिंग करने को भी कहा, इसके बावजूद वह मार्केट पूरी तरह से अवैध रूप से तैयार कर दी गई। सूत्र बताते हैं कि दीवाना ने उस मार्केट का सौदा ₹50000 में किया था। यही वजह है कि कमिश्नर बसंत गर्ग के आदेश भी हवा में उड़ा दिए गए। अब क्योंकि बसंत गर्ग फील्ड में जाते नहीं हैं इसलिए उन्हें सिर्फ कागजों में ही खानापूर्ति करके दिखा दी जाती है।
अटारी बाजार और आसपास के बाजारों में रुपेंद्र सिंह तिवाना का यह खेल अभी जारी है जिससे नगर निगम को करोड़ों रुपए की चपत अब तक लग चुकी है।
अब बात करते हैं दूसरे बिल्डिंग इंस्पेक्टर प्रेम गिल की। प्रेम गिल नॉन टेक्निकल बिल्डिंग इंस्पेक्टर हैं। एक बार बसंत गर्ग ने कार्रवाई करते हुए प्रेम गिल को शिकायतें मिलने के बाद एरिया से हटाकर दफ्तर के कार्य में लगा दिया था लेकिन प्रेम गिल ने भी अपनी सियासी पहुंच का फायदा उठाते हुए बसंत गर्ग को फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया। बता दे कि प्रेम गिल के पास गुरु अमरदास नगर गुरु अमरदास कॉलोनी समेत वेरका मिल्क प्लांट की वेबसाइट और वीनस वैली आदि इलाके थे। यह पूरा ही इलाका अवैध कॉलोनियों से भरा पड़ा है। इनमें ज्यादातर निर्माण कार्य प्रेम गिलके बिल्डिंग इंस्पेक्टर रहते हुए ही हुए हैं। अगर सिर्फ इसी इलाके में किए गए अवैध निर्माणों और बनाई गई अवैध कॉलोनियों से नियमानुसार राजस्व की वसूली की जाए तो करोड़ों रुपए नगर निगम के खाते में आ सकती हैं लेकिन प्रेम गिल ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जिसके चलते नगर निगम को करोड़ों रुपए के राजस्व की चपत लगी और आज वह कंगाली का रोना रो रहा है। दिलचस्प बात यह है कि जब एक पत्रकार ने प्रेम दिल से इस संबंध में बात करनी चाही तो प्रेम गिल ने उन्हें वाल्मीकि समाज के नेताओं से पिटवाने की धमकी दी। यह धमकी देते समय प्रेम गिल शायद यह भूल गए कि वाल्मीकि समाज के नेता चंदन ग्रेवाल और पवन बाबा हमेशा मजलूमों और दलितों एवं गरीबों की लड़ाई इसलिए लड़ते हैं क्योंकि वह सच्चे हैं। पवन बाबा और चंदन के बाल जैसे नेता हमेशा सच के साथ खड़े नजर आते हैं ना कि भ्रष्ट अफसरों के लिए। प्रेम गिल शायद यह भूल गए कि चंदन ग्रेवाल पीड़ित और प्रताड़ित मजबूर असहाय जनता के नेता हैं कोई किराए के गुंडे नहीं जिनका इस्तेमाल प्रेम की निजी रंजिश के लिए कर सकें। हैरानी की बात तो यह है कि इतना सब होने के बावजूद नगर निगम कमिश्नर बसंतगढ़ और मेयर जगदीश राजा इन दोनों बिल्डिंग इंस्पेक्टरों को संरक्षण दे रहे हैं। बता दें कि यह वही जगदीश राजा है, जो मेयर बनने से पहले इन इन्हीं बिल्डिंग इंस्पेक्टरों की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े करते रहे हैं। लेकिन सत्ता में आने के बाद राजा का रवैया भ्रष्टाचार के खिलाफ किस कदर बदल गया है इसका अंदाजा इन इंस्पेक्टरों को मिल रहे संरक्षण से खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है।
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