राजेंद्र भंडारी, टनकपुर
उत्तर भारत का तीर्थ स्थल मां पूर्णागिरि का द्वार जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और पुलिस की मनमानी के चलते बदनाम होता जा रहा है. जहां एक ओर यात्रियों को टैक्सी किराए में लूटा जा रहा है वहीं उत्तराखंड की मित्र पुलिस श्रद्धालुओं को प्रताड़ित करने का भी कोई मौका नहीं छोड़ रही. साथ ही इस कार्य में कुछ अराजक तत्व भी लगे हुए हैं. वहीं, मेला मजिस्ट्रेट अनिल कुमार चन्याल इस मामले की सच्चाई दबाने के लिए सीसीटीवी कैमरों की फुटेज दिखाने तक को तैयार नहीं हैं. रिकॉर्डिंग मांगने पर वह नियमों का हवाला देकर पल्ला झाड़ने लगे. ऐसे में एसडीएम की कार्यशैली पर यह सवाल उठने लगा है कि आखिरकार वह पुलिस की मनमानी पर पर्दा क्यों डालना चाहते हैं?
मामला वीरवार का है. आरोप है कि ठुलीगाड़ थाने में पुलिस ने अकारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक सम्भल बबराला कपिल जी और उनके साथ आए स्वयंसेवक ग्यानवर्धन, प्रशांत कुमार, पीयूष गौतम, हर्षवर्धन जो कि अपनी हौंडा सिटी कार से आए थे की जमकर पिटाई की. साथ ही उनसे माफीनामा भी लिखवा लिया जिसमें हर्षवर्धन की आंख फूटते-फूटते बची. इस पर भी पुलिस का मन न भरा तो उन्होंने इन स्वयंसेवकों को दर्शन कर लौटने पर फिर थाने में बैठा दिया. किसी तरह से उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजू भंडारी को खटीमा फोन किया. इसके बाद राजू भंडारी और मेला मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझा. राजू भंडारी का कहना है कि यह मामला गंभीर है. इसे उचित मंच पर उठाएंगे. साथ ही दोषियों को दंड मिलेगा. वहीं, मेला मजिस्ट्रेट ने बताया कि उन्हें एक शिकायती पत्र मिला है जिसकी जांच पुलिस उपाधीक्षक करेंगे. वहीं, पीड़ित पक्ष ने फोन पर वार्ता में कहा कि पुलिस पीटे और पुलिस ही जांच कर रही हो तो न्याय की उम्मीद कहां की जा सकती है. इस संबंध में हिन्दू संगठनों ने एसडीएम टनकपुर को एक मांगपत्र देकर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
मांगपत्र देने वालो में संघ के कार्यकर्ता सौरभ कलखुड़िया, विश्व हिंदू परिषद के संजय गंगवार, अरुण वाल्मीकि, विशाल वाल्मीकि, निखिल सिंह, शिवम, मनोज सिंह, अनिल राम आदि थे।
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