नीरज सिसौदिया
बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक खगड़िया लोकसभा सीट पर चुनावी तैयारियां जोर पकड़ने लगी हैं| वर्तमान में जहां से लोक जनशक्ति पार्टी के चौधरी महबूब अली कैसर सांसद हैं| यहां पर मुख्यतः चार राजनीतिक दल मौजूद हैं| पहले नंबर पर लोक जनशक्ति पार्टी, दूसरे नंबर पर राष्ट्रीय जनता दल, तीसरे पर कांग्रेस एवं चौथे नंबर पर जनता दल यूनाइटेड| भारतीय जनता पार्टी फिलहाल यहां सियासी जमीन तलाश रही है|
बात अगर चौधरी महबूब अली कैसर की करें तो गत लोकसभा चुनाव से पहले कैसर कांग्रेस में थे| पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह बागी होकर लोजपा में चले गए थे| उनके साथ कई कांग्रेसी भी पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए थे| वहीं कुछ कांग्रेसी ऐसे भी थे जो चौधरी महबूब अली को सपोर्ट तो करते थे लेकिन पार्टी छोड़ने का साहस नहीं जुटा पाए| महबूब अली को अंदरखाते इसका फायदा लोकसभा चुनाव में मिला| वहीं संसदीय क्षेत्र में एक बड़ा तबका मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाला है| क्योंकि विपक्षी पार्टियों ने कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा था इस वजह से महबूब अली के खाते में मुस्लिम वोटरों के एकतरफा वोट पड़े| राजद-कांंग्रेस गठबंधन की प्रत्याशी कृष्णा देवी यादव और जदयू के दिनेश चंद्र यादव को पछाड़कर महबूब अली ने खगड़िया का किला फतह किया था|
अब तस्वीर बदलने लगी है| कांग्रेस ने सोशल मीडिया की बड़ी जिम्मेदारी एक ऐसे शख्स को दी है जो लंबे समय से पार्टी की सेवा में जुटा हुआ है| साथ ही वह मुस्लिम समुदाय से भी ताल्लुक रखता है| युवा होने के साथ-साथ वह समाज में मजबूत पकड़ भी रखता है| उन्होंने प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं| पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राजद गठबंधन की हार के बाद चांद मंजर इमाम खगड़िया संसदीय क्षेत्र में काफी एक्टिव हो गए| पिछले 4 साल में उन्होंने ग्रामीण स्तर पर गांव गांव जाकर कांग्रेस को मजबूत करने का काम तो किया ही साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं के एक बड़े तबके को अपने साथ जोड़ने में कामयाबी भी हासिल की है|
केंद्र सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल चल रहा है| चौधरी महबूब अली कैसर सांसद तो बन गए और भाजपा के साथ उनकी पार्टी ने गठबंधन भी कर लिया था लेकिन खगड़िया के कई मुद्दे अनसुलझे रह गए| इन्हीं मुद्दों को इस बार विरोधी हथियार बनाने की तैयारी कर रहे हैं| चौधरी महबूब अली कैसर के अपने साथियों के बीच की दरार पड़ने लगी है| कुछ वक्त पहले तक चंदन मंडल MP हेल्पलाइन के संसदीय क्षेत्र के कोऑर्डिनेटर हुआ करते थे| हाल ही में उन्हें हटाकर यह जिम्मेदारी अमित कुमार यादव को सौंप दी गई| इससे खफा होकर चंदन मंडल ने दूसरी MP हेल्पलाइन बना डाली| अब एक ही सांसद की दो-दो हेल्पलाइन चल रही हैं| ऐसे में जनता कंफ्यूज है कि वास्तव में महबूब अली किस हेल्पलाइन की याचकों की हेल्प करेंगे| चांद मंजर इमाम कहते हैं कि संसदीय क्षेत्र में विकास के नाम पर सिर्फ चंद शिलान्यास और लोकार्पण के काम हुए| बेरोजगारी, पलायन समेत पिछड़े ग्रामीण इलाकों की दशा में कोई सुधार नहीं हुआ| उन्होंने कहा कि महबूब अली इस बार किसी भी कीमत पर लोकसभा नहीं पहुंच पाएंगे| इस बार खगड़िया संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का सफर यूपीए गठबंधन का उम्मीदवार ही तय करेगा| उन्होंने कहा कि जो सांसद अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों के लिये बनाये गये हेल्पलाइन के ग्रुप से ही लेफ्ट हो जाए वह आम जनता के कितने करीब होगा इसका अंदाजा आप ही लगाया जा सकता है| उन्होंने कहा कि जनता अब तंग आ चुकी है| युवाओं का पूरा सपोर्ट कांग्रेस के साथ है| जिस मुस्लिम आबादी के वोटों को बैशाखी बनाकर महबूब अली संसद की सीढ़ियां चढ़े थे वह मुस्लिम तबका भी अब कांग्रेस के साथ है| जदयू की सरकार होने के बावजूद कोई इलाके की सुध लेने वाला नहीं है. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में परिणाम सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस के पक्ष में होंगे|