नीरज सिसौदिया, जालंधर
चार करोड़ रुपए का स्ट्रीट लाइट मेंटेनेंस का प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है। दस दिन के भीतर स्ट्रीट लाइटें ठीक कर पूरे इलाके को रोशन करने का दावा करने वाला ठेकेदार गुरसेवक सिंह हैनरी के आदेशों को भी ठेंगा दिखा गया। अभी तक उसके इलाके की स्ट्रीट लाइटें ठीक नहीं हुई हैं। जोन-7 में एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों स्ट्रीट लाइटों की मेंटेनेंस नहीं हो सकी है।
बता दें कि शहर भी की स्ट्रीट लाइटों के मेंटेनेंस के लिए नगर निगम की ओर से लाकडाउन से पहले ही करीब चार करोड़ रुपए का टेंडर निकाला गया था। शहर के 80 वार्डों की स्ट्रीट लाइटों की मेंटेनेंस का जिम्मा पांच ठेकेदारों को सौंपा गया था। इनमें जोन-7 का ठेका गुरसेवक सिंह नाम के ठेकेदार की कंपनी गुरम इलेक्ट्रिकल को दिया गया था। पिछले दिनों जब नगर निगम की स्ट्रीट लाइट कमेटी के सदस्यों ने मेंटेनेंस कार्य नहीं होने पर हंगामा किया तो ठेकेदारों में खलबली मच गई थी। अफसरों और ठेकेदारों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए राजविंदर सिंह राजा, माइक खोसला, परमजीत सिंह पम्मा, दीपक शारदा आदि पार्षदों ने बैठक का भी बहिष्कार कर दिया था और सभी पार्षद जालंधर नॉर्थ के विधायक बावा हैनरी की शरण में चले गए थे। बावा हैनरी ने निगम के अधिकारियों सहित ठेकेदार को भी मौके पर तलब किया। हैनरी की फटकार के बाद ठेकेदार गुरसेवक सिंह ने दस दिन के भीतर पूरे इलाके की स्ट्रीट लाइट की मेंटेनेंस का कार्य पूरा करने का लिखित में भरोसा दिलाया था। इसके बावजूद अभी तक जोन-7 में स्ट्रीट लाइटों की मेंटेनेंस का कार्य नहीं हो सका है।
बात अगर किशनपुरा इलाके की करें तो यहां सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल मंदिर वाली गली की सभी लाइटें खराब पड़ी हैं। शर्मा स्वीट शॉप वाली गली की लाइटें भी बंद पड़ी हैं। लाला हंसराज मॉडल स्कूल वाली गली की लाइटें भी ठीक नहीं की गईं। लक्की किराना स्टोर वाली गली की खराब लाइटों को भी नहीं सुधारा गया है। इसके अलावा बग्गा ज्वेलर्स के सामने की गली, दत्ता स्ट्रीट वाली गली, राजू टंडन डिपो होल्डर वाली गली, कमला माता चौक किशनपुरा बलदेव नगर की स्ट्रीट लाइटें भी बंद पड़ी हैं। इतना ही नहीं अशोक किराना स्टोर वाली गली, धोबी वाली गली, किंग बेकरी वाली गली, कूकां प्रधान वाली गली, प्रेम देवी मंदिर वाली गली, किशनपुरा की गली नंबर 1,2,3 और 4 की भी स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं।
ये तो सिर्फ किशनपुरा इलाके की स्ट्रीट लाइटों की ही बात थी। इसके अलावा पूरे शहर में बड़े पैमाने पर स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि जब स्ट्रीट लाइटें ठीक ही नहीं की जानी हैं तो फिर नगर निगम ने टेंडर ही क्यों निकाले? अगर ठेकेदार निर्धारित समय सीमा में काम पूरा नहीं कर पाता है तो उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए?
सूत्र बताते हैं कि ठेकेदार का अकाली दल से गहरा नाता रहा है। इसलिए वह बावा हैनरी के इलाके के काम को जान-बूझ कर लटकाने का काम कर रहा है ताकि आगामी विधानसभा चुनावों में बावा हैनरी को इसका खामियाजा भुगतना पड़े। हालांकि, सूत्र इसकी पूरी तरह से पुष्टि नहीं करते हैं। वहीं सूत्र यह भी बताते हैं कि ठेकेदार ने स्ट्रीट लाइट कमेटी के चेयरमैन से सांठगांठ कर नगर निगम के पैसे की बंदरबांट करने की योजना बनाई है जिसमें कुछ हिस्सा चेयरमैन पति को भी दिया जाना है। अन्य पार्षदों को इसका कोई हिस्सा नहीं दिया जा रहा जिसकी वजह से कमेटी के सभी पार्षद इसका विरोध कर रहे हैं। पिछले दिनों माइक खोसला ने मीडिया में बयान जारी करते हुए ठेकेदार और चेयरमैन पति मुल्तानी पर मिलीभगत और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे।
बहरहाल, ठेकेदार की इस लापरवाही का नुकसान आगामी विधानसभा चुनावों में जालंधर नॉर्थ के विधायक बावा हैनरी को भुगतना पड़ सकता है।
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