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जानिए गांधी परिवार के उन तीन ट्रस्‍टों के बारे में जिनकी होगी जांच…

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गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। गृह मंत्रालय ने गांधी परिवार से जुड़े तीन ट्रस्‍टों की जांच के लिए एक समिति बनाई है। राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट के वित्‍तीय लेनदेन में गड़बड़ी के आरोप हैं। प्रवक्‍ता के मुताबिक, एक इंटर-मिनिस्‍टीरियल कमिटी इन तीनों ट्रस्‍ट के वित्‍तीय लेनदेन की जांच करेगी। तीनों ट्रस्‍ट पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्‍ट (PMLA), फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) और इनकम टैक्‍स ऐक्‍ट के प्रावधानों का उल्‍लंघन का आरोप है। गृह मंत्रालय के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय (ED) के स्पेशल डायरेक्टर इस समिति के प्रमुख होंगे। आइए इन तीनों ट्रस्‍टों के बारे में जानते हैं।

राजीव गांधी फाउंडेशन की नींव 21 जून, 1991 को रखी गई। फाउंडेशन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 1991 से 2009 तक ट्रस्‍ट ने स्‍वास्‍थ्‍य, अशिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज जैसे कई क्षेत्रों में काम किया। 2010 में फाउंडेशन ने शिक्षा पर फोकस करने का फैसला किया। इस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सोनिया गांधी हैं। ट्रस्‍टीज में डॉ मनमोहन सिंह, पी चिदम्‍बरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं।

एक रजिस्‍टर्ड, नॉट-फॉर-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन के रूप में ट्रस्‍ट की स्‍थापना 2002 में हुई। इसका मकसद देश के गरीबों की मदद करना था, खासतौर से ग्रामीण इलाकों में। आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह संस्‍था अभी उत्‍तर प्रदेश और हरियाणा के सबसे गरीब इलाकों में काम कर रही है। इसकी दो योजनाएं हैं- राजीव गांधी महिला विकास परियोजना (RGMVP) और इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (IGEHRC)। दावा है कि यूपी में महिला सशक्‍तीकरण के लिए RGMBP सबसे बड़ा मोबलाइजेशन प्रोग्राम चला रही है। वहीं IGEHRC 12 जिलों में आई केयर की सुविधा देती है।

ट्रस्‍ट की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इसकी शुरुआत 2001 में ऑर्ट्स एंड साइंस कॉलेज की शुरुआत से हुई। बाद में ट्रस्‍ट के तहत डेंटल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, पैरामेडिकल कॉलेज, फार्मेसी कॉलेज भी खेले गए। वेबसाइट के अनुसार, IGMT की अध्‍यक्षता केएम पारीठ करते हैं। इसके अलावा, डॉ केपी शियास महासचिव हैं, डॉ केपी सियाद सीईओ और केपी शिबु मैनेजिंग डायरेक्‍टर हैं।

इससे पहले ही मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने कांग्रेस की एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की करोड़ों की संपत्ति जब्त कर ली है। इस मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा फंसे हैं। आरोप है कि इन्होंने एजेएल को हरियाणा के पंचकूला में एक प्लॉट के आवंटन में कानूनों का उल्लंघन किया।
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