पंजाब

भाजपा में घटता जा रहा है अविनाश राय खन्ना का कद, केडी भंडारी की भी बढ़ सकती हैं मुश्किलें, जानिए क्यों?

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
कबीर दास जी कह गए हैं कि ‘सब दिन होय न एक समाना’ यानि सारे दिन एक समान कभी नहीं होता. इसका ताजा उदाहरण भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना और जालंधर नॉर्थ विधानसभा सीट से पूर्व विधायक केडी भंडारी के रूप में देखा जा सकता है. अविनाश राय खन्ना कभी पंजाब भाजपा के सिरमौर हुआ करते थे. जब वह पंजाब भाजपा के अध्यक्ष थे तो पहली बार भाजपा ने प्रदेश में 23 में से 19 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था. इसका फायदा खन्ना के रिश्तेदार और जालंधर नॉर्थ विधानसभा सीट के पूर्व विधायक केडी भंडारी को मिला. खन्ना की छत्रछाया में भंडारी की भी लॉटरी लगी और वह भाजपा की टिकट पर विधानसभा पहुंच गए. इसके बाद संगठन में खन्ना का कद बढ़ता गया और भंडारी भी दोआबा की सियासत में मजबूत होते जा रहे थे. एक दौर था जब मनोरंजन कालिया पंजाब में भाजपा की सियासत की धुरी बन गए. उस दौर में अश्विनी शर्मा को कालिया की मर्जी से ही पंजाब भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था. लेकिन बाद में भगत चुन्नी लाल को भाजपा विधायक दल का नेता बना दिया गया. भगत चुन्नी लाल और कालिया की आपसी खींचतान का फायदा भंडारी को मिला और अविनाश राय खन्ना केंद्र की राजनीति में पैठ बनाते जा रहे थे. उन्हें राजस्थान का चुनाव प्रभारी बनाया गया और उधर भंडारी पहले ही अपनी सीट गंवा चुके थे. खन्ना के नेतृत्व में राजस्थान में भाजपा को करारी हार मिली. बस यहीं से खन्ना का कद संगठन में कम होना शुरू हो गया. जिस खन्ना को पार्टी ने दो राज्यों की जिम्मेदारी दी हुई है. अब उसे कपूरथला नगर निगम तक ही समेट दिया. अविनाश राय खन्ना को पंजाब में होने जा रहे निकाय चुनावों में उस कपूरथला नगर निगम का प्रभारी बनाया गया है जिसका गठन लगभग साल भर पहले ही हुआ है. अब इसे दो राज्यों का प्रभार देख रहे खन्ना का प्रमोशन कहें या डिमोशन इसका अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है.

अविनाश राय खन्ना.

पार्टी के विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि जल्द ही खन्ना से दो राज्यों का प्रभार भी वापस लिया जा सकता है. इसीलिए उन्हें कपूरथला नगर निगम में उलझाया जा रहा है. सियासी जानकार इसे पार्टी की ओर से खन्ना के लिए दूसरा झटका मान रहे हैं. पहला झटका खन्ना को उस वक्त लगा था जब उनकी जगह अश्विनी शर्मा को दोबारा पंजाब भाजपा की कमान सौंपी गई थी. भाजपा में खन्ना का घटता कद केडी भंडारी के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि वर्तमान पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया के बेहद खासमखास हैं. पहले भी शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दिलवाने में कालिया ने अहम भूमिका निभाई थी. बीच में जब कालिया और भगत चुन्नी लाल की सियासी लड़ाई में कालिया कमजोर पड़े तो केडी भंडारी ने अपने पसंदीदा सुनील ज्योति को मेयर पद पर आसीन करवा दिया जबकि कालिया रवि महेंद्रू को मेयर बनाना चाहते थे. उस वक्त तो कालिया की नहीं चल पाई लेकिन अब जबकि प्रदेश अध्यक्ष कालिया के करीबी अश्विनी शर्मा हैं तो संभव है कि भंडारी की मुश्किलें पहले से कहीं ज्यादा बढ़ने वाली हैं. रवि महेंद्रू या जालंधर शहरी जिला भाजपा अध्यक्ष सुशील शर्मा में से किसी एक को जालंधर नॉर्थ से भंडारी के विकल्प के तौर पर पेश किया जा सकता है. ऐसे में भंडारी का किला ढहना तय माना जा रहा है. वैसे भी अपने से आधी उम्र के बावा हैनरी से चुनावी मैदान में मुंह की खाने के बाद से भंडारी का ग्राफ हलके में गिरता ही जा रहा है.
ऐसे में भाजपा को भी इस विधानसभा सीट पर किसी ऐसे नए चेहरे की तलाश है जिसका विवादों से कोई नाता न रहा हो और साफ-सुथरी छवि वाला हो ताकि वो चेहरा बावा हैनरी की साफ सुथरी छवि को टक्कर दे सके. चूंकि भंडारी का नाम विवादों में भी उछलता रहा है और उन पर गैंगस्टर्स से भी संबंधों के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. क्योंकि अवतार हैनरी पर भले ही इस तरह के आरोप लगते रहे थे जिसका फायदा उठाकर भंडारी चुनाव जीतते रहे लेकिन बावा हैनरी की छवि बेदाग है इसलिए भाजपा को इस बार सोच समझकर प्रत्याशी उतारने की जरूरत है वरना जालंधर नॉर्थ की यह सीट एक बार फिर भाजपा के हाथों से फिसल सकती है. वैसे भी इस बार अविनाश राय खन्ना भंडारी की उस हद तक मदद नहीं कर पाएंगे जितनी पहले किया करते थे. इसलिए भंडारी की राह बेहद मुश्किल नजर आ रही है.

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