नीरज सिसौदिया, शाहबाद
अगर आप रामपुर में रहते हैं, आप रिश्वत नहीं दे सकते और आपकी किसी बड़े नेता या पुलिस अफसर तक पहुंच भी नहीं है तो इंसाफ की उम्मीद बिल्कुल भी न करें. जी हां, बेबस और मजलूमों के लिए यहां इंसाफ की उम्मीद करना बेमानी है. इसका जीता जागता उदाहरण एक बेबस विधवा और उसके मासूम बच्चे हैं. इस विधवा का नाम शहाना है और वह रामपुर जिले के शाहबाद थानांतर्गत ढकिया चौकी इलाके में पड़ते गांव रुस्तम नगर इलाके की रहने वाली है. उसके दो मासूम बच्चे हैं जिनमें एक तो अभी स्कूल जाने लायक भी नहीं है और दूसरे को कब स्कूल छोड़ने पर मजबूर होना पड़े यह कोई नहीं जानता. पिता का साया तो इन मासूमों के सिर से पहले ही उठ चुका है, अब पुलिस की लापरवाही उनकी मां की भी जान ले सकती है.
दरअसल, शहाना के पति की मौत जहर के चलते लगभग 6 माह पहले हुई थी. शहाना का कहना है कि उसके पति की जहर देकर हत्या की गई थी. पति की हत्या के बाद शहाना के जेठ ने फर्जी बैनामा बनवाकर उसकी 14 बीघा जमीन भी हड़प ली. जब शहाना के पास कोई रास्ता नहीं बचा तो उसने पुलिस के पास जाकर इंसाफ की गुहार लगाई. चौकी इंचार्ज, थाना प्रभारी, सीओ से लेकर एडीजी अविनाश चंद्र तक गुहार लगाई लेकिन आला अधिकारियों के आदेशों को फाइलों में ही दफन कर दिया गया. थक हार कर शहाना ने मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर आत्मदाह करने की चेतावनी दी तो पांच माह से सो रही पुलिस जागी और एसपी शगुन गौतम ने सीओ मिलक को मामले की जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए. सीओ साहब ने फुर्ती दिखाई और तत्काल शहाना के गांव पहुंचकर पूूरे मामले की जांच की. शहाना को लगा कि सीओ साहब मसीहा बनकर आए हैं और उन्हें इंसाफ जरूर दिलाएंगे. सीओ ने तत्काल एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए. हैरानी की बात है कि पांच माह से जो ढकिया चौकी इंचार्ज और शाहबाद थाना प्रभारी एफआईआर दर्ज करने से पहले व्यापक जांच की बात कर रहे थे उन्होंने तत्काल एफआईआर दर्ज कर ली. सीओ अपना काम करके चलते बने. वहीं शहाना को भी लगा कि अब तो सीओ साहब ने एफआईआर दर्ज करवा दी है. अब पुलिस आरोपी कल्लू और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लेगी. इसके बाद वह अपने बच्चों के साथ गांव में रह सकेगी लेकिन शहाना को क्या मालूम था कि भ्रष्टाचार के दलदल में डूबे वर्दीधारी उसे इतनी आसानी से इंसाफ नहीं मिलने देंगे. एफआईआर दर्ज हुए 15 दिन से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है. पुलिस ने अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है. दूसरी ओर आरोपी खुलेआम शहाना को जान से मारने की धमकी दे रहा है. पुलिस आखिर एक आरोपी को संरक्षण क्यों दे रही है यह बात समझ से परे है. सूत्रों का कहना है कि ढकिया चौकी इंचार्ज ने आरोपी पक्ष से रिश्वत की मोटी रकम ली है. सूत्रों का यह भी कहना है कि रिश्वत की रकम का कुछ हिस्सा थाना प्रभारी को भी दिया गया है जिसके कारण आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की जा रही है. क्या पुलिस को शहाना की भी मौत का इंतजार है? क्या शहाना की हत्या के बाद ही पुलिस जागेगी? क्या आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजने के लिए शहाना को अपनी और अपने मासूम बच्चों की जान गंवानी पड़ेगी? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब पुलिस की लापरवाही दे रही है.
वहीं इस संबंध में ढकिया चौकी इंचार्ज ने बताया कि पुलिस अभी साक्ष्य जुटा रही है. पहले शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा. इसके लिए मैंने रिपोर्ट तैयार कर ली है. शव को कब्र से निकालने के लिए डीएम से परमिशन ली जाएगी. इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा.
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