कर्ज लेना बहुत आसान है लेकिन उसे चुकाने में कई बार पूरी जिंदगी निकल जाती है. कुछ लोग तो कर्ज लेने के बाद भूल जाते और दबाव डालने पर ऐसा चेक थमा दिया जाता है जो बाउंस हो जाता है. ऐसे में उधार देने वाला बेबस हो जाता है और अपने ही पैसे को हासिल करने के लिए उसे तरह-तरह से पापड़ बेलने पड़ते हैं. वहीं कई बार लोग मामले को टालने के लिए कैश न होने के हवाला देकर चेक थमा देते हैं लेकिन जब वह चेक बैंक में लगाया जाता है तो खाते में पैसे नहीं होने के कारण बाउंस हो जाता है. ऐसे में पीड़ित को निराश होने की आवश्यकता नहीं है. इन परिस्थितियों में एनआई एक्ट की धारा 138 आपकी मददगार हो सकती है. उक्त कानून के तहत न्यायालय में खुद अथवा अपने अधिवक्ता के माध्यम से मुकदमा दायर किया जा सकता है. अगर माननीय न्यायालय वादी की बात से संतुष्ट होता है तो चेक देने वाले को चेक की धनराशि के बराबर जुर्माना और दो साल तक के कठोर कारावास की सजा भी सुना सकता है.
यह कानून उस सूरत में भी लागू होता है जब कोई दुकानदार किसी को कोई सामान बेचता है और बदले में ग्राहक उसका भुब चेक के माध्यम से करता है लेकिन जब दुकानदार उस चेक को बैंक में लगाता है तो खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण चेक बाउंस हो जाता है.
प्रस्तुति – भगवत सरन साहू, एडवोकेट, बरेली