इंटरव्यू

जाति के आधार पर नहीं मेरे काम के आधार पर टिकट दे पार्टी, एक हजार करोड़ के काम करा चुका हूं, दो साल में बदल दूंगा शहर की तस्वीर, पढ़ें मेयर डा. उमेश गौतम का स्पेशल इंटरव्यू पार्ट-2

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शहर में विकास की गाड़ी धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी है. बतौर मेयर अपनी उपलब्धियों के आधार पर डा. उमेश गौतम अब विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ने का सपना देख रहे हैं. वह किस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं? अपने तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने शहर में विकास के कौन-कौन से कार्य कराए? अगले दो वर्षों में शहर के विकास के लिए वह कौन-कौन से काम करने जा रहे हैं. पुराना शहर में शहर की सबसे अधिक आबादी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है? इस दिशा में मेयर क्या प्रयास कर रहे हैं? कई लोगों ने वर्षों से नगर निगम का टैक्स अदा नहीं किया है जिस कारण उन पर बेतहाशा ब्याज लग चुका है. ऐसे लोगों को राहत देने के लिए मेयर कौन सी योजनाएं लाने जा रहे हैं? ऐसे ही कई मुद्दों पर मेयर डा. उमेश गौतम ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया से खुलकर बात की. पेश हैं मेयर से बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : मेयर बनने के बाद आपने सबसे पहला काम क्या किया?
जवाब : जब मैं पहली बार मेयर बनकर आया तो सबसे पहले लाइटों का सर्वे कराया. मैंने देखा कि आजादी के 70 साल बाद भी पूरे शहर में लाइटें तक नहीं हैं. तीन साल में हमने करीब तीस हजार से भी अधिक लाइटें लगवाईं और मैं दावा करता हूं कि आज शहर की कोई भी गली ऐसी नहीं है जहां लाइटें न लगी हों.
सवाल : लाइटों के बाद किस काम को प्राथमिकता दी?
जवाब : दूसरा काम हमने कच्ची गलियों का किया. हमने कच्ची गलियों का सर्वे कराया तो पता चला कि आजादी के 70 साल बाद भी बरेली के लोग कच्ची गलियों से निकलने को मजबूर हैं. चूंकि चुनाव के दौरान मुझे शहर के हर गली मोहल्ले में जाने का मौका मिला था. इसलिए गलियों के हाल में मैं अच्छी तरह वाकिफ था. सर्वे में पता चला कि करीब 21 सौ गलियां कच्ची थीं. पिछले लगभग 3 साल के अंदर हमने पंद्रह सौ गलियां पक्की बना दी हैं. 600 गलियां अभी भी बननी बाकी हैं जिन पर काम चल रहा है.
सवाल : जलभराव भी शहर की एक प्रमुख समस्या है. इसके समाधान के लिए क्या किया? आज भी कई इलाकों में जलभराव से बुरा हाल हो जाता है.
जवाब : जब मैं मेयर बना तो पहले ही साल रेजिडेंसी गार्डन और संजय नगर जैसे इलाके में मुझे बरसात में ट्रैक्टर पर घूमना पड़ा क्योंकि यह स्थिति थी कि जब बारिश होती थी तो वहां गाड़ियां जा ही नहीं सकती थीं इसलिए मुझे ट्रैक्टर पर घूमना पड़ा. मैं बहुत हैरान था कि आजादी के 70 साल तक किसी ने कोई प्लान ही नहीं किया. मैंने संजय नगर, हजियापुर, सिठौरा मढ़ीनाथ, शांति विहार और गणेश नगर का जल निगम से सर्वे कराया क्योंकि यहां सबसे ज्यादा समस्या थी जलभराव की. एक शहर का पॉश इलाका भी था राजेंद्र नगर, वहां भी काफी समस्या थी. हमने संजय नगर व हजियापुर में छह करोड़ रुपए की राइजिंग लाइन डाली ताकि आने वाले लगभग 20 वर्षों तक यहां किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो. हमने हजियापुर में नाला बनाया, संपवेल बनाया और नई लाइन डाली. इसका काम इसी साल पूरा हुआ है. इसी तरह हमने डेलापीर में संपवेल लगाया. वहां भी जलभराव की काफी समस्या थी. साढ़े तीन किमी लंबा नाला बनाया सिठौरा वाला जो गणेश नगर, मढ़ीनाथ, शांति विहार सिठौरा होते हुए पानी को निकालेगा. हमने ये सारे काम जल निगम से कराए. एक भी काम नगर निगम से नहीं कराया.

एक समारोह के दौरान भाजपा नेत्री प्रतिभा जौहरी व अन्य के साथ मेयर डा. उमेश गौतम.

सवाल : नालों के काम जल निगम से कराने की क्या वजह रही?
जवाब : नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हमने जल निगम से सारे काम करवाए. उदाहरण के तौर पर देखें तो नगर निगम को पचास लाख रुपये से अधिक का काम कराने का अधिकार नहीं है. पहले अगर दो करोड़ रुपए का नाला बनना होता था तो पूर्व के मेयर और अधिकारी अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए टुकड़ों में नाला बनाते थे लेकिन जल निगम से नहीं बनवाते थे. दो करोड़ के काम को 50-50 लाख के चार भागों में बांटकर चार अलग अलग ठेकेदारों को बांट दिया जाता था. जब चार अलग-अलग ठेकेदार उसे चार टुकड़ों में बनवाते थे तो उसका लेवल कभी मिल ही नहीं पाता था सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए ऐसा किया जाता था. इसका सीधा सीधा उदाहरण बदायूं रोड का नाला है जो करीब 10 टुकड़ों में बनाया गया और उसका लेवल आज तक नहीं मिल पाया तो नगर निगम में सरकारी पैसे का कितना बड़ा दुरुपयोग किया इसका अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है| जब हम सत्ता में आए तो हमने सारे नाले जल निगम और सीएनडीएस को दे दिए क्योंकि जब एक ही एजेंसी नाला बनाएगी तो उसकी जिम्मेदारी तय होगी. अब हमने टारगेट लिया है कुर्मांचल नगर, सनसिटी, नॉर्थ सिटी को जलभराव से मुक्त करने का. यहां बरसात में काफी पानी भरता है. इसकी समस्या के बारे में भी कभी किसी ने नहीं सोचा. हमने जल निगम से सर्वे कराया. अब नाला प्रॉपर बनाने जा रहे हैं. इस साल शायद यहां पानी भरे लेकिन अगले साल से पानी बिल्कुल नहीं भरेगा.
सवाल : क्या सिर्फ नाले बनाने से जलभराव की समस्या हल हो जाएगी, स्टॉर्म सीवरेज के लिए कभी नहीं सोचा आपने? मढ़ीनाथ जैसे इलाकों में तो बिन बरसात के ही नालियों का पानी ओवरफ्लो होकर लोगों के घरों में घुस रहा है.
जवाब : हमारे जो नाले बन रहे हैं वह इस तरह से बनाए जा रहे हैं कि अगर कोई स्टार्म आता है तो बड़ा नाला उसे भी कवर कर ले. मढ़ीनाथ में अभी नाला शुरू नहीं हुआ है जब नाला शुरू हो जाएगा तो मढ़ीनाथ में भी नालियों के ओवरफ्लो की समस्या नहीं आएगी. हमने लगभग 3.5 किलोमीटर लंबा नाला बनवाया है. संपवेल तैयार हो गया है. लॉक डाउन की वजह से थोड़ा समय लगा. मुझे नहीं लगता कि संपवेल शुरू होने के बाद लोगों को किसी भी प्रकार की दिक्कत होगी. जितने काम हम लोगों ने कच्ची गलियों के, लाइट लगाने के करवाए हैं उतने आज तक किसी भी मेयर ने इतिहास में नहीं करवाए हैं.
सवाल : शहर के सौंदर्यीकरण को लेकर आपका विजन क्या है?
जवाब : हमने एक ऐतिहासिक रोड बनाने का निर्णय लिया ताकि लोगों को यह पता चल सके कि मेरा विजन क्या है. किस तरह का शहर हम बनाना चाहते हैं. आज बरेली का सबसे बड़ा आकर्षण राजेंद्र नगर की वही रोड है. कोई भी इंसान बरेली का है तो वह एक बार राजेंद्र नगर की उस रोड को जरूर देखना चाहता है. रात में जरूर वहां जाना चाहता है. मेरा मकसद था कि लोगों को मेरा विजन समझ में आना चाहिए कि मैं बरेली को कैसा बनाना चाहता हूं. मैं यह बताना चाहता था कि हमारी बरेली भी सुंदर और व्यवस्थित हो सकती है, बस हमारी सोच होनी चाहिए. दूसरी बड़ी रोड हमने ली है ईट पजाया से डेलापीर तक और डेलापीर से आईवीआरआई पुल तक. इस पर काम शुरू हो गया है. बिजली के पोल शिफ्ट होने लगे हैं. अगले महीने इसका काम भी शुरू हो जाएगा. 6 माह के अंदर पूरी तस्वीर बदल जाएगी. इसके अलावा डेलापीर तालाब का सौंदर्यीकरण, संजय नगर तिराहे का सौंदर्यीकरण, डीडी पुरम तिराहे का सौंदर्यीकरण और दोनों तरफ नालों के साथ इन सड़कों का चौड़ीकरण भी करेंगे. चौड़ीकरण में जो बाधा आती है बिजली के पोलों की उसकी शिफ्टिंग शुरू हो गई है, यह एक ऐतिहासिक रोड बनेगी. मेरा मानना है कि बरेली में सुविधाएं होंगी तो इंडस्ट्री यहां आना चाहेगी. लोग यहां रहना चाहेंगे. बरेली रहने के लिए और काम करने के लिए एक अच्छा शहर है. बस यही माहौल देने का प्रयास कर रहे हैं.
सवाल : बरेली में यातायात जाम एक प्रमुख समस्या है. इसके समाधान के लिए आपने क्या प्रयास किए?
जवाब : बरेली शहर को जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए भी काफी प्रयास किए गए हैं.
जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य यहां आए थे और सर्किट हाउस में बैठक ले रहे थे तो मैंने उनसे मांग की थी कि चौपुला पर बहुत बड़ी समस्या है जाम की. यहां पुल बनना चाहिए तो सर्किट हाउस में उन्होंने अपनी मीटिंग में हीं कहा कि मैं इसे तत्काल बनवाऊंगा. उसके बाद सेटेलाइट और चौपुला दोनों जगह ओवरब्रिज सैंक्शन हुए जिन पर जून में हम लोग सरपट दौड़ने वाले हैं. बरेली में जाम की समस्या से हम मुक्त होने वाले हैं. सीवर की जो ट्रंक लाइन 30 साल पहले खत्म हो चुकी थी वह अब लगभग चेंज हो चुकी है. जहां भी सीवर के लिए खुदाई हुई थी वहां सड़के बन चुकी हैं. लोग कह रहे हैं कि धूल उड़ रही है साहब, मैं कहता हूं कि घर में हम पेंट कराते हैं तब भी धूल उड़ती है, एक कमरा बनवाते हैं तब भी धूल उड़ती है लेकिन पड़ोसियों को पता लग जाता है कि इनके घर में धूल उड़ रही है तो इनके घर का विकास हो रहा है तो बरेली में अगर धूल उड़ रही है तो डेवलपमेंट हो रहा है, विकास हो रहा है, जब जून में हम लोग चलने लगेंगे उन रोडों पर तो हमें वह विकास खुद दिखाई देगा. सीवर के लिए खोदी गई जो सड़कें बाकी रह गई हैं वह भी एक सप्ताह के भीतर बनकर तैयार हो जाएंगी. मैं दावा करता हूं कि लोगों को अब डेली शहर में बदलाव दिखेगा.
सवाल : पिछले तीन साल के कार्यकाल में आप कितने रुपये का विकास करा चुके हैं?
जवाब : तीन साल में सिर्फ सड़कों और नालों की बात करें तो हम ₹400 करोड़ का काम करवा चुके हैं. वहीं अगर ओवरऑल कार्यों की बात करें तो लगभग 1000 करोड़ रुपए से भी अधिक का काम हम करवा चुके हैं अपने नगर निगम के क्षेत्र में.

आईएमए प्रीमियर लीग के दौरान सपा के चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष डा. अनीस बेग एवं आईएमए के पदाधिकारियों के साथ मेयर डा. उमेश गौतम.

सवाल : नगर निगम की आमदनी बढ़ाने के लिए आपने क्या प्रयास किए?
जवाब : देखिए यह भी बहुत इंट्रेस्टिंग है कि जब हमने 35 से 50 फीसदी टैक्स कम कर दिया तो बहुत बड़ा चैलेंज था कि नगर निगम की आमदनी कम हो जाएगी लेकिन मुझे खुशी है कि एक साल भी निगम की इनकम कम नहीं हुई बल्कि हर साल बढ़ रही है. हमने लगभग 30,000 ऐसे घर और दुकानें ढूंढी हैं जो टैक्स नहीं दे रहे थे. हमने उनसे टैक्स लिया और निगम की आमदनी बढ़ाई. हम लोग लगातार आमदनी बढ़ा रहे हैं. अगर हाउस टैक्स और वॉटर टैक्स की बात करें तो लगभग ₹30 करोड़ समायोजन के अलावा पिछले मेयर के कार्यकाल में जमा होते थे लेकिन अब यह राशि बढ़कर 60 करोड़ रुपये हो गई है तो हमने नगर निगम की आय दोगुनी कर दी है. कोई भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि हमने टैक्स बढ़ाया है. एक और समस्या है कई लोगों की जिन्होंने वर्षों से टैक्स नहीं दिया है उन पर इंट्रेस्ट काफी बढ़ गया है. ऐसे लोगों के लिए मैं इसी साल एक समाधान योजना लाने जा रहा हूं. इसके लिए सभी पार्षद गणों से भी बात हुई है. उस योजना के तहत वे सभी लोग टैक्स जमा कराएंगे जिन पर ब्याज बहुत ज्यादा है तो उससे भी निगम की आय बढ़ेगी.
सवाल : नगर निगम की कई संपत्तियां खाली पड़ी हैं और कई संपत्तियों पर लोगों का अवैध कब्जा भी है. क्या ऐसी संपत्तियों को चिन्हित किया जा रहा है?
जवाब : देखिए उन्हें चिह्नित भी किया जा रहा है और कई संपत्तियों से हमने कब्जा हटाया भी है जिसमें ईट पजाया पर ही एक नमक गोदाम हमने खाली कराया है. इसके अलावा सराय थी एक स्टेशन पर उसे भी हमने खाली कराया है. ऐसी सैकड़ों छोटी बड़ी संपत्तियां हैं जो हमने खाली कराई हैं. अक्षर विहार में दुकानें, प्लॉट, सीबीगंज में दुकान समेत कई दुकानों पर अवैध कब्जा था जो हमने हटवाया है. दुकानों को हमने नीलाम किया है नगर निगम की ओर से इन दुकानों की मिनिमम कॉस्ट दो लाख रुपये रखी गई थी लेकिन मुझे खुशी है कि दुकानें 15-15 लाख रुपए में बिकी हैं. हमने निष्पक्षता के साथ पार्षदों की पूरी कार्यकारिणी को बैठाकर नीलामी कराई तो दो-दो तीन-तीन लाख की दुकानों के 15 से 20 लाख रुपए नगर निगम को मिले तो इससे भी निगम की आमदनी बढ़ी.
सवाल : आपका ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है?
जवाब : मैंने जब सर्वे कराया तो पता लगा कि कंजादासपुर, नगरिया परीक्षित और नंदौसी में आजादी के 73 साल बाद भी पीने का पानी नहीं पहुंचा है तो मुझे बड़ी शर्म महसूस हुई कि नगर निगम में हम लोग पानी तक नहीं दे पा रहे हैं पीने का जबकि ये बेसिक नीड्स होती हैं कि इंसान को स्वच्छ हवा मिले, स्वच्छ पानी मिले और रहने को घर मिले. यह जिम्मेदारी होती है सरकार की कि वह हर नागरिक को ये चीजें मुहैया कराएं| मैंने इन तीनों जगहों के पानी की पाइप लाइन ओवरहेड टैंक और नलकूप सारे स्वीकृत कर दिए हैं और उम्मीद है कि एक साल के अंदर इन तीनों जगहों के लोगों को पीने का पानी मिलने लगेगा. लगभग 24 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट जल निगम को दे दिया गया है.

अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों की जानकारी देते मेयर.

सवाल : विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. क्या आप विधानसभा चुनाव लड़ना चाहेंगे, कौन सी सीट से चुनाव लड़ना चाहेंगे आप?
जवाब : यह तो पार्टी को तय करना है कि वह कौन सी सीट से चुनाव लड़ाएगी. जब पार्टी कहेगी जहां से कहेगी मैं वहां से चुनाव लड़ूंगा. किस सीट से चुनाव लड़ना चाहता हूं फिलहाल मेरे लिए यह कहना उचित नहीं है.
सवाल : बिथरी चैनपुर विधानसभा सीट ब्राह्मण सीट मानी जा रही है. कहा जा रहा है कि आप ब्राह्मण हैं तो वहां से भी चुनाव लड़ सकते हैं, क्या यह सही है?
जवाब : देखिए मैं यह बिल्कुल नहीं मानता कि जातिवाद के आधार पर चुनाव लड़ाया जाए या टिकट दी जाए. मेरा मानना है कि काम के आधार पर टिकट दी जानी चाहिए. मैंने नगर निगम क्षेत्र में काम कराया है और मैं चाहता हूं कि पार्टी मेरे काम के आधार पर ही मुझे टिकट दे न कि जाति के आधार पर.
सवाल : चर्चा है कि अगर भारतीय जनता पार्टी से आपको टिकट नहीं मिला तो आप समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं?
जवाब : यह चर्चा पूरी तरह निराधार है. मैं भाजपा में हूं और भाजपा में ही रहूंगा. चाहे पार्टी मुझे चुनाव लड़ाए या न लड़ाए. हम एक विचारधारा से जुड़े हैं और उस विचारधारा को बदला नहीं जा सकता. हम उसी से ही जुड़े रहेंगे.
सवाल : अगले दो वर्षों में क्या करने जा रहे हैं शहरवासियों के लिए?
जवाब : हमारे स्मार्ट सिटी के जो प्रोजेक्ट कागजों से निकलकर अब धरातल पर आ रहे हैं उन्हें पूरी तरह से धरातल पर उतारना है. इनमें इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया जा रहा है. पूरे शहर में कैमरे लगेंगे. पूरे शहर की निगरानी हम एक जगह बैठ कर कर सकेंगे. एक साल के अंदर प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा और अपराधी को अपराध करने से पहले लाख बार सोचना पड़ेगा क्योंकि बरेली का चप्पा-चप्पा कैमरे की निगरानी में होगा. इसके अलावा एबीडी एरिया में जो रोडें बननी हैं उन्हें हम नवरात्रि में शुरू करने जा रहे हैं. इसके जरिये हम बरेली के सामने एक मॉडल रख सकेंगे कि किस तरह की सड़कें हम चाहते हैं. एक और प्रोजेक्ट है जिसमें शहामतगंज पुल के नीचे सौंदर्यीकरण कराकर हम यह दिखाएंगे कि एक पुल के नीचे भी किस तरह की अच्छी व्यवस्थाएं हो सकती हैं. घंटाघर को हमें बहुत अच्छा बनाना है. इसका टेंडर हो गया है. इसी तरह गांधी उद्यान, अक्षर विहार, सीआई पार्क को भी हमें और बेहतर करना है. इन पर काम जारी है अभी एक साल में हम ये काम करके दिखाएंगे. साथ ही एक बहुत बड़ा ऑडिटोरियम भी हम बरेली शहर को देने जा रहे हैं जो गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में बन रहा है| यह 400 सीटों का ऑडिटोरियम होगा. इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसी तरह एक बहुत बड़ी बिल्डिंग हैंडीक्राफ्ट्स, जरी-जरदोजी और बेत के जो मेजर काम हैं अपने शहर के उसके लिए हम बनाने जा रहे हैं. लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए की लागत से यह बिल्डिंग बनाई जाएगी. जहां अभी काश्तकला केंद्र है वहीं पर यह बिल्डिंग भी बनेगी. हमारा प्लान यहां के लोगों को रोजगार दिलाने का भी है. एक एग्जिबिशन सेंटर होगा जिसमें बड़े-बड़े डिजाइनर्स को हम जगह देंगे. वहां ये लोग अपनी कला को प्रदर्शित कर सकेंगे तो बरेली के जो आइटम हैं उन्हें दुनिया में पहचान मिल सकेगी. हम वह काम कर रहे हैं जिससे निम्न वर्ग के लोगों की आय बढ़ सके. लगभग एक-डेढ़ साल के भीतर ही ये सभी काम पूरे हो जाएंगे.

ओमान में नाम रोशन करने वाली समाचार पत्र विक्रेता मो. शरीफ की बेटी को सम्मानित करते मेयर.

सवाल : पुराने शहर की बहुत बड़ी आबादी दशकों से उपेक्षित है. वहां के लोग आज भी बदतर जिंदगी जी रहे हैं. उनकी समस्याओं के समाधान के लिए आप क्या कर रहे हैं?
जवाब : देखिए मैं अगर अपनी पूर्ववर्ती मेयर या अन्य पदाधिकारियों की बात करूं तो वोट तो वे लोग पुराने शहर से ही लेते थे लेकिन काम के नाम पर उन्होंने कुछ नहीं किया पुराने शहर के लोगों के लिए. हमने जगतपुर से लेकर शहदाना तक लगभग 2.5 किलोमीटर लंबी सड़क 3 करोड़ रुपये में हम बना रहे हैं जिसका 90% काम हो चुका है. वहां जलभराव की जो स्थिति है उसे भी हम ठीक करवा रहे हैं. तभी वहां के लोग व्यवस्थित हो पाएंगे. हमारा फोकस पूरे शहर पर है. हमारे प्रधानमंत्री ने जो नारा दिया है ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ हम उसी पर काम कर रहे हैं. 80 वार्ड हैं हमारे शहर में और हर वार्ड में हम काम कर रहे हैं. कोई भी वार्ड ऐसा नहीं है जहां विकास न किया हो. पूरा शहर हमारा है और हम पूरे शहर का विकास करेंगे. पुराना शहर पर हम पहले से ही फोकस कर रहे हैं. अब और ज्यादा फोकस करेंगे.

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