इंटरव्यू

17 साल की पत्रकारिता के बाद राजनीति में रखा कदम, बचपन से ही जा रहे हैं संघ की शाखा में, अब लोकसभा पर है नजर, पढ़ें भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के सह संयोजक राजकुमार अग्रवाल का स्पेशल इंटरव्यू…

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राजकुमार अग्रवाल के पिता की गिनती मथुरा के जाने-माने कारोबारियों के रूप में होती थी लेकिन राजकुमार ने पहले पत्रकारिता और फिर राजनीति को चुना। इसकी क्या वजह रही? 17 साल तक एक सफल पत्रकार के तौर पर काम करने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए समर्पित राजकुमार अग्रवाल इन दिनों आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा मेें हैं। वह भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के मयूर विहार जिले के सह संयोजक और त्रिलोकपुरी विधानसभा के प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के चेयरमैन भी हैं। दिल्ली सरकार के कामकाज और वर्तमान हालातों को लेकर इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया ने राजकुमार अग्रवाल से विशेष बातचीत की। आइये जानते हैं राजकुमार अग्रवाल के सफर की कहानी उन्हीं की जुबानी।

Rajkumar aggarwal

सवाल : आप मूल रूप से कहां के रहने वाले हैं, पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही आपकी?
जवाब : मैं मूलत: भगवान श्रीकृष्ण की भूमि बृज भूमि से ताल्लुक रखता हूं। मेरा जन्म 13 जून 1967 को मथुरा जिले के राया में हुआ था। मेरे पिता रमेश चंद्र अग्रवाल मथुरा के बड़े कारोबारी थे।
सवाल : दिल्ली कब और कैसे आना हुआ?
जवाब : वर्ष 1982 की बात है। उस वक्त नोएडा प्राधिकरण डेवलप हो रहा था। मेरे पिता का उस वक्त ईंट का भट्ठा हुआ करता था और नोएडा प्राधिकरण में उस वक्त ईंट की बहुत अधिक डिमांड थी। उस वक्त प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मेरे पिता मीटिंग करने आए। चूंकि उस वक्त यहां ठेकेदार बहुत कम होते थे तो अधिकारियों ने मेरे पिता को ईंट सप्लाई करने के साथ-साथ ठेकेदारी का भी ऑफर दिया जिसे मेरे पिता ने स्वीकार कर लिया। इस तरह से वर्ष 1982 में हमारा पूरा परिवार यहां दिल्ली के अशोक नगर में शिफ्ट हो गया। यहीं डी ब्लॉक में हम रहने लगे थे।

सवाल : संघ से कब जुड़ना हुआ?
जवाब : संघ की विचारधारा मुझे अपने पिता से विरासत में मिली थी। बचपन में मेरे पिता सुबह पांच बजे ही मुझे उठा दिया करते थे और मैं शाखा में ‌जाता था। तब से लेकर आज तक मैं एक स्वयंसेवक के तौर पर संघ की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहा हूं।

Rajkumar aggarwal

सवाल : आपके पिता एक बड़े कारोबारी थे, आप चाहते तो उनके जमे जमाए कारोबार को आगे बढ़ा सकते थे लेकिन आपने पत्रकारिता को चुना। क्या वजह रही?
जवाब : ये बात सही है कि मैं अपने पिता से विरासत में मिले व्यवसाय से अथाह पैसा कमा सकता था लेकिन समाज को एक नई दिशा देने और दबे कुचले लोगों को न्याय दिलाने के लिए उनकी आवाज बुलंद करने का काम मैं एक कारोबारी के तौर पर कभी नहीं कर पाता। समाज के गरीब तबकों और शोषितों का दर्द मुझे कचोटता था। मैं इस दर्द को बांटना चाहता था और उन्हें न्याय दिलाना चाहता था, इसके लिए उस वक्त पत्रकारिता ही मुझे एकमात्र ऐसा माध्यम लगा जिसके जरिये मैं अपने उद्देश्य को पूरा कर सकता था। यही वजह रही कि मैंने एक सफल कारोबारी पिता का बेटा होने के बावजूद पत्रकारिता को चुना। मुझे सुकून है कि मैं अपने मकसद में काफी हद तक कामयाब रहा।

सवाल : पत्रकारिता से सक्रिय राजनीति में कब आना हुआ? क्या वजह रही?
जवाब : वर्ष 2003 में मैंने पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा था और लगभग 17 साल तक मैं इस जीवन को जिया। वर्ष 2020 में मुझे महसूस हुआ कि पत्रकारिता के माध्यम से मैं आम जनता की आवाज तो उठा सकता हूं लेकिन उन्हें न्याय दिलाने के लिए मुझे खुद सिस्टम का हिस्सा बनना होगा। इसलिए मैंने वर्ष 2020 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। मेरा मानना है कि राजनीति एक बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म है अगर इसे अच्छी सोच के साथ किया जाए। एक और वजह थी मेरी राजनीति में आने की और वह है भ्रष्टाचार। बतौर पत्रकार मैं सिस्टम में भ्रष्टाचार को जिस तरह फलते फूलते देखा उसे देखकर मुझे लगा कि इस सिस्टम को राजनीति में आकर बेहतर तरीके से सुधारा जा सकता है। इसलिए मैंने राजनीति में आने का निर्णय लिया।

सवाल : क्या आप पत्रकारिता के अलावा भी समाजसेवा से जुड़े रहे?
जवाब : जी हां, मैं अखिल भारतीय अग्रवाल वैश्य मित्र मंडल के नाम से एक समाजसेवी संस्था चलाता हूं। इसके तहत हम समाजसेवा के कई कार्य करते हैं। मैं इस संस्था में महासचिव हूं। इसके अलावा भी मैं लगभग आठ-दस सामाजिक संस्थाओं में ‌विभिन्न पदों पर जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहा हूं।

केजरीवाल सरकार के कार्यकाल से बारे में जानकारी देते राजकुमार अग्रवाल।

सवाल : समाजसेवा के क्षेत्र में आप अब तक की अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि किसे मानते हैं?
जवाब : समाजसेवा एक जनहित का कार्य है। मैं अपनी उपलब्धियों के बखान में विश्वास नहीं रखता। मेरी उपलब्धि मेरा समाज बताएगा। वो लोग बताएंगे जिनके सुख -दुख में मैं 24 घंटे साथ खड़ा रहा।

सवाल : वर्तमान समय में दिल्ली के जो हालात हैं, उसे आप किस नजरिये से देखते हैं, केजरीवाल सरकार के कार्यकाल को आप कितना सफल मानते हैं?
जवाब : जब आम आदमी पार्टी का उदय हुआ तो दिल्ली की जनता कांग्रेस के भ्रष्ट शासन से त्रस्त थी। जिस सोच को लेकर दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को चुना था वह उस सोच के एकदम विपरीत चल रही है। आम आदमी भ्रष्टाचार से पीड़ित था और जिस अन्ना आंदोलन ने आम आदमी पार्टी को जन्म दिया वह भी भ्रष्टाचार के खिलाफ ही हुआ था। अब आम आदमी पार्टी सबसे ज्यादा भ्रष्ट साबित हो रही है। भ्रष्टाचार के खेल में उसके मंत्री और पूर्व डिप्टी सीएम तक सलाखों के पीछे हैं। उनका अपराध इतना बड़ा और गंभीर है कि उन्हें जमानत तक नहीं मिल पा रही।

सवाल : आप पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में वर्षों से रह रहे हैं। इस सीट का सबसे बड़ा मुद्दा आप किसे मानते हैं?
जवाब : दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार होने की वजह से केंद्रीय योजनाओं पर यहां सही तरीके से अमल नहीं हो पा रहा। केंद्र सरकार आयुष्मान भारत जैसी योजना लाई लेकिन दिल्ली सरकार ने उसे यहां लागू ही नहीं होने दिया। इसी तरह केंद्र सरकार की कई योजनाएं हैं जिन्हें धरातल पर नहीं उतारा जा सका है। हमारे सांसद गौतम गंभीर के साथ विकास कार्यों को लेकर आम आदमी पार्टी के विधायक का कोई तालमेल नहीं है। इसके चलते सांसद द्वारा जो योजनाएं लाई जा रही हैं वह विधायक के तालमेल न होने के कारण धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं। इसे लेकर एक टकराव की स्थिति बनी हुई है। जबकि देश के अन्य हिस्सों में इन योजनाओं का पूरा लाभ जनता को मिल रहा है। इनके मोहल्ला क्लीनिक पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं। एक भी मोहल्ला क्लीनिक आज सही तरीके से काम नहीं कर रहा। न उनमें डॉक्टर हैं और न ही दवाइयां मिल रही हैं। जितने भी मोहल्ला क्लीनिक थे उनमें गायों और सांडों का बसेरा बन चुका है। सारे मोहल्ला क्लीनिक आज तबेले में तब्दील हो चुके हैं।

सवाल : दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच खींचतान अब आम हो चुकी है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि एलजी सरकार के साथ समन्वय नहीं बनाते और केंद्र सरकार की वजह से विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। कितनी सच्चाई मानते हैं आप इन आरोपों में?
जवाब : देखिये, एलजी अगर ठान लें कि दिल्ली में कोई काम नहीं होने देंगे तो दिल्ली सरकार कोई काम नहीं कर सकती है। बिना एलजी की मर्जी के दिल्ली में कुछ नहीं हो सकता लेकिन दिल्ली में काम हो रहे हैं। अगर दिल्ली सरकार कहती है कि उसने दिल्ली की महिलाओं के लिए बस यात्रा फ्री कर दी है तो उसकी फाइल तो एलजी ने ही मंजूर की थी। उसके बाद ही यह संभव हुआ। एलजी सिर्फ उन फाइलों को रोकते हैं जो भ्रष्टाचार से जुड़ी होती हैं। दिल्ली सरकार एलजी की वजह से भ्रष्टाचार नहीं कर पाती तो एलजी पर तरह-तरह के आरोप लगाने लगती है।

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