इंटरव्यू

पुवायां विधायक हर मोर्चे पर फेल, विकास कराना तो दूर आवारा गाय तक नहीं पकड़वा सके विधायक, पढ़ें स्पेशल इंटरव्यू में क्या बोले सपा नेता एड. दिनेश कुमार?

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एडवोकेट दिनेश कुमार गैर राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक़ रखते हैं. बहुजन समाज पार्टी में जिला अध्यक्ष और मंडल को-ऑर्डिनेटर जैसे विभिन्न जिम्मेदार पदों पर तैनात रहने के बाद वह कांग्रेस में चले गए थे. इसी साल वह सपा में शामिल हुए हैं. समाजसेवा का जज्बा उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला है. विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ जुड़कर समाजसेवा कर रहे एडवोकेट दिनेश कुमार शाहजहांपुर की पुवायां विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट के प्रबल दावेदार भी हैं. दिनेश कुमार का अब तक का राजनीतिक सफर कैसा रहा? बसपा छोड़ने की क्या वजह रही? वर्तमान पुवायां विधायक के पांच साल के कार्यकाल को वह किस नजरिये से देखते हैं? आगामी विधानसभा चुनाव में अगर पार्टी उन्हें उम्मीदवार बनाती है तो उनके मुद्दे क्या होंगे? ऐसे कई मुद्दों पर पुवायां विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट के प्रबल दावेदार  एडवोकेट दिनेश कुमार ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया के साथ खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : आप मूल रूप से कहां के रहने वाले हैं, पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही?
जवाब : हम मूल रूप से शाहजहांपुर के उस्मान बाग चौकी इलाके के रहने वाले हैं. मेरे पिताजी शाहजहांपुर में एससी समाज में नेताजी के नाम से जाने जाते थे. उन्होंने वर्ष 1948 में गुरु रविदास जयंती की शुरुआत की. एक कमेटी बनाई जो आज भी चल रही है. उसमें मैं अध्यक्ष हूं. मेरी कोई राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं रही. सामाजिक पृष्ठभूमि रही.
सवाल : आपने शिक्षा कहां से और कहां तक ली?
जवाब : मेरी शुरुआती शिक्षा शाहजहांपुर में ही राजकीय इंटर कॉलेज से हुई. उसके बाद जीएम कॉलेज से पढ़ाई की और फिर बरेली कॉलेज से एलएलबी की.


सवाल : राजनीति में कब आना हुआ?
जवाब : वकालत के बाद ही राजनीति भी शुरू हो गई थी. मेरे राजनीतिक सफर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी से हुई क्योंकि हम गुरु रविदास सभा कमेटी से बचपन से ही जुड़े थे. वहां जो काम हुआ करते थे वह करते थे. बसपा से कार्यकर्ता के तौर पर शुरू से ही जुड़े थे मगर पूरी तरह सक्रिय राजनीति में वर्ष 2005 में कदम रखा. पार्टी के हर कार्यक्रम में शामिल होते रहे. धीरे-धीरे पद मिलने लगे. पहले समाज बना करते थे तो राठौर समाज में मुझे सचिव बनाया गया. ब्राह्मण समाज में भी रहे. कई समाजों में काम किया. फिर वर्ष 2007 में हमें शाहजहांपुर जिला प्रभारी बनाया गया. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में हमें लोकसभा प्रभारी बनाया गया लेकिन वह सीट सपा जीत गई. सपा के विधायक एमपी बन गए तो सीट खाली हुई और वर्ष 2009 में ही विधानसभा का उपचुनाव हुआ. हमें उपचुनाव का भी प्रभारी बनाया गया. हम विधानसभा का उपचुनाव जीत गए और मुझे काम का ईनाम मिला और शाहजहांपुर जिला महासचिव से प्रमोट करके जिला अध्यक्ष बना दिया गया. वर्ष 2014 में हम दोबारा से लोकसभा प्रभारी बनाए गए. फिर वर्ष 2015 में मंडल कोआर्डिनेटर बनाए गए. वर्ष 2015 से 2019 तक हम मंडल को-ऑर्डिनेटर रहे. उसके बाद बसपा छोड़कर ब्रह्मस्वरूप सागर जी के साथ कांग्रेस में आ गए. फिर वर्ष 2021 में ब्रह्म स्वरूप सागर जी के ही साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए.
सवाल : आप बसपा छोड़कर कांग्रेस में गए और फिर कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए, क्या वजह रही?
जवाब : बहुजन समाज पार्टी उस विचारधारा से पूरी तरह भटक चुकी है जिस विचारधारा के साथ कांशीराम जी ने बसपा की स्थापना की थी. इसलिए हम बसपा छोड़कर ब्रह्म स्वरूप सागर जी का लोकसभा चुनाव लड़ाने के लिए कांग्रेस में शामिल हो गए थे. हमने अगर किसी पार्टी में शामिल होने का मन बनाया था तो वह समाजवादी पार्टी थी. अखिलेश जी उस विचारधारा को अपना रहे हैं जिससे प्रभावित होकर हम बसपा में शामिल हुए थे. देश और प्रदेश की जो स्थिति खराब है उसे सुधारने का काम और उन लोगों से लोहा लेने का काम सिर्फ अखिलेश यादव जी कर रहे हैं. अगर कांशीराम जी आज होते तो सारी पार्टियां मिलकर अब तक भाजपा को किनारे लगा चुकी होतीं. आज बहनजी से जाटव समाज का ही वोट कट रहा है. हम भी जाटव समाज से हैं. वह भाजपा के समर्थन में अक्सर बयान देती रहती हैं.


सवाल : आपने सक्रिय राजनीति को अपनी जिंदगी के लगभग डेढ़ दशक से भी अधिक का समय दिया है. इस दौरान कभी किसी आंदोलन का भी हिस्सा बने?
जवाब : दिल्ली में जब रविदास मंदिर तोड़ने की बात हुई तो हमने भी जगह-जगह आंदोलन किए. उन्हीं आंदोलनों की वजह से जीत भी हासिल हुई. यहां मिसरीपुर में गुरु रविदास पूजा स्थल पर लोगों ने कब्जा करने का प्रयास किया. हमने वह लड़ाई भी जीती. गुरु रविदास सभा के तत्वावधान में हर साल जुलूस निकाला जाता है उसमें बच्चों की शादी होती है. बेटियों की नि:शुल्क शादी कराते हैं. लगभग 35 जोड़ों की शादियां हम करवा चुके हैं.
सवाल : आप दलित समाज से हैं, बसपा सरकार के कार्यकाल में आपके पास जिले में अहम पद भी था. क्या आपने अपने समाज के लिए कोई उल्लेखनीय कार्य किया है?
जवाब : कोई अलग से काम करना तो एक छुआछूत की भावना को दर्शाता है. दलित क्या है? जिसके पास किसी चीज की कमी है उसी को तो दलित कहेंगे न की एक जाति को दलित कहेंगे. हम भी तो जाटव समाज से हैं. हम भी तो किसी को कुछ दे रहे हैं तो हम यह नहीं कह सकते कि जाटव ही गरीब है. ब्राम्हण भी तो गरीब हैं. जिसको जरूरत है उसे देना चाहिए इसका प्रयास रहता है. हमने जब काम शुरू किया तो हमने यह नहीं देखा कि यह जाटव है तभी इसकी मदद की जाए. हमने सबकी मदद की. जो भी हमारे पास आया हमने उसका काम कराने का प्रयास किया. हमने कभी समाजसेवा की पब्लिसिटी करके जरूरतमंदों का तमाशा नहीं बनाया. यहां कई हॉस्टल हैं जिनमें बच्चे बाहर से पढ़ने आते हैं और कुछ नौकरी भी करते हैं. उन बच्चों को जो भी आवश्यकता होती है हम उसे पूरा करते हैं. हमने कई वकीलों को पढ़ाया. शाहजहांपुर में हरदोई और लखीमपुर के भी दलित बच्चे यहां आते हैं और पढ़ाई करते हैं. हम कमेटी के माध्यम से उन जरूरतमंद बच्चों की मदद करते हैं.
सवाल : आप कौन-कौन से समाजसेवी संगठनों से जुड़े हुए हैं?
जवाब : गुरु रविदास सभा में अध्यक्ष हैं, अंबेडकर समिति में सहयोगी हैं, संत गाडगे जी का जुलूस निकलता है उसमें महासचिव रहे, सामाजिक संस्थाओं में हम बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. रामलीला कमेटी में भी हम सदस्य हैं.

बच्चों को पुरस्कृत करते एडवोकेट दिनेश कुमार

सवाल : अब आपने पुवायां विधानसभा सीट से टिकट की मांग की है. आपको क्यों लगता है कि आपको टिकट दिया जाना चाहिए?
जवाब : हमें इसलिए लगता है क्योंकि हमने लोगों के बीच काम किया है. 24 घंटे जनता के लिए उपलब्ध रहते हैं. हम जब जिला अध्यक्ष थे तो उससे पहले उस विधानसभा में उपचुनाव हुए तो हम हर गांव में गए, हर बूथ पर गए और अंतत: उस सीट को जिताया. उपहार स्वरूप हमें जिला अध्यक्ष का पद दिया गया. वहां से हमारा पुराना संपर्क है. उस समय हमने कई लोगों की मदद की. अब हम देख रहे हैं कि वहां के लोग प्रताड़ित हैं. जो विधायक बने उन्होंने ठीक से काम नहीं किया. आज भी वही पुरानी समस्याएं बरकरार हैं.
सवाल : वे कौन से स्थानीय मुद्दे हैं जिन पर आप चुनाव लड़ना चाहेंगे?
जवाब : जब बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी तो हम लोगों से लिस्ट मांगी जाती थी कि कौन से गांव अंबेडकर ग्राम बनाए जा सकते हैं ताकि उनका समुचित विकास हो सके तो जब हम जिला अध्यक्ष थे तो उस वक्त पूरे जिले में 34 गांव अंबेडकर ग्राम योजना के तहत चयनित किए गए थे जिसमें से 32 गांव अकेले पुवाया विधानसभा सीट के हमारी कोशिश से शामिल हो सके थे. वे गांव विकसित हो चुके थे लेकिन आज जब हम उसकी हालत देखते हैं तो बड़ा दुख होता है और लगता है कि विधायक गलत कर रहे हैं. नया तो दे नहीं रहे हैं. बनी हुई चीज का उपयोग करने की बजाय उसे बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं. लोहिया आवास भी आ रहे हैं. लोहिया कॉलोनियां भी वहां बननी चाहिए थीं लेकिन नहीं बन रहीं. कांशीराम कॉलोनी बनी थी बीएसपी की सरकार में. कांशीराम कॉलोनी का आवंटन आज तक नहीं किया गया. करोड़ों रुपए की संपत्ति ऐसे ही पड़ी हुई है. विधायक चाहते तो वहां के गरीब लोगों को आवंटित कर देते लेकिन सरकार की संपत्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं. वह तो गरीब को गरीब ही देखना चाहते हैं.
सवाल : शिक्षा की क्या स्थिति है आपके विधानसभा क्षेत्र में?
जवाब : गरीब बच्चों को पूर्ण रूप से अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है. वहां प्राइवेट स्कूल तो बहुत बड़े-बड़े हैं लेकिन सरकारी स्कूल पर्याप्त नहीं हैं. ऐसे में जिन बच्चों के पास पैसा नहीं है वे अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. हमारा मानना यह है कि हम सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूल के रूप में प्रस्तुत करेंगे ताकि वह कान्वेंट स्कलों की टक्कर के हों. ताकि गरीब बच्चों में हीन भावना न आए और जब वह कॉम्पिटिशन में बैठें तो वे भी कह सकें कि हम अच्छे स्कूल से हैं.


सवाल : स्वास्थ्य की व्यवस्था पर क्या कहेंगे?
जवाब : हमारा मानना है कि किसी का अस्पताल में पूरी सुविधाएं होनी चाहिए. अभी कोरोना काल में बेड ही नहीं थे. सरकार ने बहुत अच्छा अस्पताल बनाया है मगर उसमें जो कमियां हैं उन्हें दूर करना चाहिए. अगर सपा सरकार में एंबुलेंस नहीं चलाई गई होती तो शहर विधानसभा के अलावा किसी का बच पाना मुश्किल था. कई ऐसे गांव हैं जहां से लोगों को अगर बुखार भी आए तो 10-15 किमी जाना पड़ता है. सिर्फ पुवायां में ही अस्पताल है. मोहद्दिन पुर बंडा से 12-13 किमी दूर है, उधर नवीची पड़ता है, मैलानी के पास सिल्वा वगैरह पड़ता है, बरकरीगंज पड़ता है खुटार में. यह पुवायां से 20-30 किमी तक की दूरी पड़ती है. इन इलाकों में अच्छा अस्पताल होना चाहिए. कम से कम प्राथमिक सुविधा होनी चाहिए.
सवाल : इस बार के चुनाव में आपके मुद्दे क्या होंगे?
जवाब : शिक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई, बेरोजगारी और बिजली संकट प्रमुख मुद्दे हैं. पुवायां विधानसभा क्षेत्र कृषि प्रधान विधानसभा क्षेत्र है जिसे मिनी पंजाब के नाम से भी जाना जाता है. वहां पर जो सिख समाज के लोग हैं या जो भी बड़े खेतिहर हैं उनके घरों में घरेलू बिजली कनेक्शन नहीं हैं. जिस बिजली कनेक्शन से वे मोटर चलाकर खेतों की सिंचाई करते हैं उसी बिजली कनेक्शन से उनके घरों में बिजली आपूर्ति की जाती है जिसकी वजह से उनके घरों में आज भी सिर्फ आठ से दस घंटे ही बिजली आती है. हम पूरी विधानसभा में घरेलू बिजली कनेक्शन देंगे. महंगाई बड़ा मुद्दा है. उज्ज्वला गैस सिलेंडर दिए गए हैं वो रखे हुए हैं. लोग सोच रहे हैं कि जब सरकार बदले तो सिलेंडर भरा जाए. चूल्हे में खाना बनाने को मजबूर हैं लोग.
सवाल : वर्तमान विधायक को आप कितना सफल मानते हैं?
जवाब : यह सरकार और वर्तमान भाजपा विधायक पूरी तरह से फेल हैं. यह विधायक आवारा गाय तक नहीं पकड़वा पा रहे हैं. जिले में सबसे बड़ी गौशाला खुटार में ही बनाई गई है. विधानसभा क्षेत्र के लोगों का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े क्षेत्रफल में गौशाला बनने के बावजूद विधायक गाय तक नहीं पकड़वा पा रहे हैं. इसमें मेरे ख्याल से मनुष्य से ज्यादा गाय के खाने के पैसे आते हैं लेकिन आवारा पशु खेतों में चर रहे हैं. किसानों की फसल तबाह कर रहे हैं. थोड़े दिनों में तो आदमी का जीना मुश्किल हो जाएगा. जंगलराज बन गया है.

बच्चों का उत्साहवर्धन करने पहुंचे एडवोकेट दिनेश कुमार

सवाल : अगर पार्टी आपको मौका देती है विधानसभा चुनाव लड़ने का तो आपका विकास का विजन क्या होगा?
जवाब : जितने भी आवारा पशु किसानों की फसलों को तबाह कर रहे हैं उन्हें पकड़वाकर गौशाला भेजा जाएगा. उनके पूरे भोजन की व्यवस्था की जाएगी. दूसरा काम घर-घर घरेलू बिजली कनेक्शन पहुंचाने का करेंगे. गड्ढायुक्त सड़कें ठीक करवाई जाएंगी. पुवायां से जेमा होते हुए जो सड़क जाती है उसमें सिर्फ गड्ढे ही गड्ढे हैं. इसी तरह की सड़क बंडा से खुटार वाली भी है. लिंक रोड बनवाने का काम करेंगे. युवाओं के रोजगार के लिए गन्ना मिल नियमित चलवाएंगे. नई फैक्ट्रियां लगवाएंगे. सरकारी राइस मिल लगवाने का प्रयास करेंगे. कांटों पर दलाली को रोका जाएगा. बड़े प्रोजेक्ट लाने का काम करेंगे ताकि खेती विहीन लोगों को रोजगार के लिए बाहर न जाना पड़े.

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