वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रेम प्रकाश अग्रवाल पिछली बार शहर विधानसभा सीट से गठबंधन के उम्मीदवार थे. मोदी लहर के बावजूद उन्होंने लगभग 85 हजार से भी अधिक वोट हासिल किए थे. क्या इस बार वह फिर से चुनाव लड़ेंगे? क्या वह अन्य दलों के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं? पिछली बार का चुनाव हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे पर लड़ा गया था और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में इस बार बरेली में कांग्रेस की रणनीति क्या होगी? बरेली शहर का प्रमुख मुद्दा वह किसे मानते हैं? क्या इस भी चुनाव हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे पर होंगे? जनसंख्या नियंत्रण कानून को प्रेम प्रकाश अग्रवाल किस नजरिये से देखते हैं? क्या पुराने कांग्रेसी परिवारों को पार्टी में वापस लाना चाहिए? ऐसे कई मुद्दों पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं बरेली शहर विधानसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी प्रेम प्रकाश अग्रवाल ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया के साथ खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : समाजवादी पार्टी इस बार बड़े दलों के साथ गठबंधन करने के मूड में नजर नहीं आ रही, आप के हिसाब से क्या कांग्रेस को अन्य बड़े दलों के साथ गठबंधन करना चाहिए?
जवाब : जैसा कि हाल ही में हमारी प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी का एक स्टेटमेंट आया है जिसमें उन्होंने प्रदेश के भविष्य के प्रति चिंता जाहिर करते हुए यह भी कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो हम गठबंधन भी कर सकते हैं. इतना तो निश्चित है कि देश इस समय बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है. चाहे केंद्र की सरकार हो या प्रदेश की सरकार, उन्हें समस्याओं से निपटने में कामयाब नहीं माना जा सकता. इसलिए यह अर्थ पूर्ण लगता है कि हम परिवर्तन की ओर बढ़ें और देश में परिवर्तन अवश्य हो. इसमें कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका इस वजह से होगी क्योंकि लोग कांग्रेस के उस दौर को याद कर रहे हैं जब देश में अमन और प्रदेश में शांति का माहौल था. अब वह माहौल दिखाई नहीं दे रहा है. उसकी जगह घृणा ज्यादा दिखाई देती है. उसे प्रेम में बदलने के लिए आवश्यकता इस बात की है कि कांग्रेस की प्रमुख सहभागिता उसमें हो और आने वाली सरकार कांग्रेस की बने.
सवाल : एक दौर था जब बरेली में कांग्रेस की तूती बोलती थी, स्वर्गीय राम सिंह खन्ना और स्वर्गीय राम मूर्ति जैसे कई दिग्गज नेता बरेली कांग्रेस की शान थे पर उनके परिवारों ने अब पार्टी से दूरी बना ली है. क्या आपको आप नहीं लगता कि उन्हें पार्टी में दोबारा जोड़ कर सक्रिय करने की आवश्यकता है?
जवाब : पुराने जो लोग हैं वे पार्टी से जुड़े हुए हैं. कोई भी पार्टी से कटा नहीं है. यह और बात है कि कोई अपनी उम्र के हिसाब से पार्टी के कार्यक्रमों में कम ही आते हों मगर आते जरूर हैं. उनका आशीर्वाद सदैव पार्टी को मिलता रहा है और मिलेगा भी क्योंकि वे विचारधारा से कांग्रेसी हैं. उनकी विचारधारा में देश प्रेम भरा हुआ है. वे देश की आजादी के गवाह हैं. उन्होंने उस दौर को देखा है. इसलिए वे कांग्रेस के साथ हैं. कांग्रेस ने भी कुछ अपनों को खोया है. कुछ लोग दूसरी पार्टियों में भी चले गए हैं कांग्रेस से तो हमारा यह प्रयास है कि जो हमसे हट गए हैं हम उन्हें फिर से अपने परिवार में वापस लाएं क्योंकि अंततोगत्वा कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जो देश को संभाल सकती है और उसे आगे बढ़ा सकती है.
सवाल : क्या आपको लगता है कि कांग्रेस फिर से जनता का विश्वास जीत पाएगी, क्या फिर से लोग कांग्रेस से जुड़ पाएंगे?
जवाब : विश्वास इसलिए कर सकते हैं क्योंकि जब कांग्रेस की सरकार थी तो मनमोहन सिंह जी के समय में 72 हजार करोड़ रुपए का लोन वास्तव में माफ हुआ था. भाजपा वाले कहते तो हैं मगर करने में इनका बिल्कुल भी विश्वास नहीं है. कांग्रेस वाले जो कहते हैं वह करते हैं. यह दूसरी बात है कि इस समय आपस में मतभेद पैदा करके सरकार बन गई है इनकी लेकिन भविष्य में लोग फिर से कांग्रेस से जुड़ेंगे क्योंकि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई की एकजुटता ही हमेशा से कांग्रेस का कर्म व सपना रहा है और आगे भी रहेगा. इसी रास्ते पर हम आगे भी चलेंगे. किसी भी तरीके से त्वरित लाभ के लिए मार्ग नहीं बदलेंगे. ऐसा कांग्रेस का मानना है.
सवाल : आपने कांग्रेस को अपनी जिंदगी के 4 दशक से भी अधिक का समय दिया है, इस दौरान पार्टी में कई उतार-चढ़ाव भी देखे. चुनाव लड़वाए भी और खुद भी चुनाव लड़े. आपको क्या लगता है कि इस बार कांग्रेस को चुनाव में क्या रणनीति अपनानी चाहिए?
जवाब : देखिए, रणनीति कुछ भी हो सकती है लेकिन जो विचार नीति है और एक सोच है वह हमेशा एक रहती है ‘आपसी भाईचारा’, बस उसे नहीं टूटने देना है. वही हमारी रणनीति का हिस्सा होगा. एक इंसानियत ही हमारा चेहरा होगा. इंसानियत की रणनीति से ही हम चुनाव लड़ेंगे. हम नुकसान तो उठा सकते हैं लेकिन घृणा का माहौल पैदा नहीं कर सकते. यही हमेशा से हमारी नीति भी थी और रणनीति भी.
सवाल : पिछली बार चुनाव में हिंदू मुस्लिम का मुद्दा हावी रहा इस बार मुस्लिमों और कुछ अन्य पार्टियों के नेताओं का कहना है कि जो जनसंख्या नियंत्रण कानून सरकार लेकर आ रही है वह हिंदू- मुस्लिम की भावना को बढ़ाने के लिए लाया जा रहा है. क्या आपको लगता है कि इस बार का चुनाव हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे पर ही होगा? जनसंख्या नियंत्रण कानून को आप सही मानते हैं या गलत?
जवाब : मुझे ऐसा लगता है कि लोग इस बार अपनी योग्यता का परिचय देंगे और दिग्भ्रमित बिल्कुल भी नहीं होंगे. वे जानते हैं कि चुनाव जीतने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं लेकिन राष्ट्र की एकता और हमारा हित इसी में है कि हम किसी भी प्रकार की घृणा में न पड़ें और आपसी प्रेम को बनाए रखें क्योंकि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सारे ही लोग हमारे देश की, हमारे लोकतंत्र की और जम्हूरियत की नींव हैं, वह हमेशा रहनी ही चाहिए. कभी-कभी तो वे लोग भी कहते हैं ये सारी बातें लेकिन जो बातें सामने आती हैं वह थोड़ी अलग होती हैं तो लोग भ्रमित नहीं होंगे इस बार. जहां तक जनसंख्या का सवाल है तो इस पर नियंत्रण तो होना ही चाहिए, जनसंख्या विस्फोट बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए. इस पर तो विचार जरूर करना ही चाहिए. यह अपने परिवार के हित में भी है कि जनसंख्या सीमित हो और राष्ट्र हित में भी है कि जनसंख्या सीमित होनी चाहिए. बस किसी को परेशान करके या इस भावना से नहीं होना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति को यह दिखाई दे कि मेरे विरुद्ध कोई बात कही जा रही है पर जनसंख्या नियंत्रण तो आवश्यक है.
सवाल : शहर विधानसभा सीट पर इस बार मुस्लिम दावेदार भी किस्मत आजमाने को बेकरार हैं, क्या आपको लगता है कि पार्टी में टिकट का बंटवारा हिंदू-मुस्लिम या बिरादरी के आधार पर होना चाहिए?
जवाब : कभी भी कांग्रेस में हिंदू- मुस्लिम या बिरादरी के आधार पर टिकट का बंटवारा नहीं हुआ है. निश्चित रूप से भविष्य में भी कभी इस आधार पर बंटवारा नहीं होगा. कोई भी, चाहे हिंदू हो या मुस्लिम हो, जिसको भी टिकट मिलता है सभी पार्टीजन उसे मिलकर चुनाव लड़ाएंगे बगैर यह सोचते हुए कि वह हिंदू है या मुस्लिम. वह हमारा कैंडिडेट होगा और हम उसे चुनाव लड़ाएंगे.
सवाल : फिर जातीय समीकरण कैसे साधे जाएंगे?
जवाब : देखिए, वही तो घृणा फैलाने वाला होगा लेकिन अहिंसा का पलड़ा हमेशा हिंसा से भारी होता है. घृणा का पलड़ा प्रेम से कम ही होगा. हम तो प्रेम की धारा ही बहाएंगे. यही कांग्रेस की नीति है.
सवाल : शहर विधानसभा का सबसे बड़ा मुद्दा आपकी नजर में क्या है?
जवाब : शहर का कहीं भी विकास न दिखाई देना, न होना, मेरी नजर में यही सबसे बड़ा मुद्दा है. महंगाई वगैरह तो प्रदेश और पूरे देश का मुद्दा है पर विकास के नाम पर जीरो है बरेली. केवल दिखावा होता है यहां पर. चारों तरफ सड़कें खुदी हुई हैं, बरसात आ गई है लेकिन किसी तरीके का ध्यान न देना इस बात का द्योतक है कि इनका विकास में नहीं केवल बयानबाजी में भरोसा है. कांग्रेस सत्ता में आएगी तो कुछ करके दिखाएगी, जैसा कि इसका इतिहास रहा है.
सवाल : पिछली बार आप कांग्रेस से शहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे और मोदी लहर के बावजूद अच्छे वोट हासिल किए थे आपने. इस बार सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल भी है. क्या आपको लगता है कि इस बार इसका फायदा आपको मिलेगा? क्या कमियां रह गई थीं पिछली बार?
जवाब : बहुत उम्मीद की जा सकती है कि परिणाम सकारात्मक होगा या अच्छा होगा. पिछली बार मेरा पहला चुनाव था और नि:संदेह जो लहर की बात है तो कहीं न कहीं कोई चीज तो जरूर थी जो इतनी ज्यादा सीटें आ गईं भाजपा की. प्रदेश के कांग्रेस के हारने वाले कैंडिडेट्स में मुझे संभवतः सबसे ज्यादा वोट मिले थे लेकिन फिर भी मैं हार गया था. जो कमी पिछली बार रह गई थीं किन्हीं कारणों से उन्हें दूर किया जाएगा क्योंकि दूसरे को दोष देने से बेहतर है कि हम अपनी खामियों को तलाशें, उन्हें दूर करके हम आगे का चुनाव अपनी पार्टी की नीतियों के आधार पर, पार्टी की विचारधारा के आधार पर लड़ेंगे और नि:संदेह सोनिया जी का त्याग और इंदिरा जी की तपस्या, राजीव जी की शालीनता,राहुल जी का सह्रदय होना, यह हमारे तमाम बड़े-बड़े नेताओं की राष्ट्र के प्रति समर्पण की विचारधारा से ही कांग्रेस का चुनाव लड़ा जाएगा.