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साहित्य की बात : रोम-रोम में बसी थी कविता पर बच्चों को देती थीं शिक्षा, हर विधा में लिखने में माहिर, नाम है शिवरक्षा

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रुहेलखंड में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं हैं जो वैश्विक पटल पर अपनी पहचान तो नहीं बना पाए लेकिन अपनी अनमोल रचनाओं से रुहेलखंड के साहित्य को समृद्ध बनाने में अतुलनीय योगदान दिया. कुछ ऐसी ही शख्सियत है बेहतरीन कवयित्री शिवरक्षा पांडेय की. पेशे से शिक्षिका रहीं शिवरक्षा लेखन की हर विधा में पारंगत हैं. उनके पिता सेना में थे लेकिन उनका मन तो बस साहित्य में ही रमा था.


लोकप्रिय कवयित्री शिवरक्षा पांडेय का जन्म 5 फरवरी 1952 को ग्राम- अलैयापुर (मिलिक इलाही) के जनपद एटा, संप्रति- जिला- कासगंज, उत्तर प्रदेश में पिता स्मृति शेष सूबेदार मिश्र एवं माता स्व. मायादेवी मिश्र के संभ्रांत परिवार में हुआ था। उन्होंने एम.ए. हिंदी, बी.एड. तक शिक्षा प्राप्त की। उनका विवाह प्रधान लिपिक विनोद कुमार पांडे के साथ हुआ जिन्होंने साहित्यिक अभिरुचि को देखते हुए उनको साहित्यिक सृजन करने के लिए प्रेरित किया। उनके सहयोग से ही उनका लेखन कार्य आज भी अनवरत चल रहा है। शिवरक्षा स्त्री सुधार इंटर कॉलेज, बरेली से सहायक अध्यापिका के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। उन्होंने देश प्रेम की रचनाएं, लोकगीत, मांगलिक गीत, भजन, एकांकी नाटक व छंद आदि विभिन्न विधाओं एवं विषयों पर लेखन कार्य किया है। वह लगभग सभी विधाओं में लेखन कार्य करने वाली समर्थ रचनाकार हैं।आकाशवाणी बरेली एवं दूरदर्शन बरेली से आपकी रचनाओं का नियमित प्रसारण होता रहा है। साथ ही काव्य मंचों पर भी आपकी प्रस्तुति सराहनीय रही है। जय जगदंबे हर हर गंगे निजी काव्य संकलन के साथ ही आपकी रचनाएं अनेक स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। अनेक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा उनको सम्मानित किया जा चुका है। वर्तमान में वह बालाजी नगर बालाजी मंदिर के पास बदायूं रोड में निवास कर रही हैं।
उनका व्यक्तित्व उनके लेखन की तरह सहज व सरल है। शिवरक्षा की ये पंक्तियां उनकी काव्य शैली को प्रदर्शित करती हैं…

होली में मधुर बोली मधु रस घोली होवे झोली भरि प्रिय भाव फूली फुलवार हो हिल- मिल कंठ मिलें विमल हिये को लिये मन से कुभावों का पूर्ण संहार हो अंग – अंग भीगे होवे नेह रंग बरसात उमड़े उमंग के गुलाल की बहार हो ऐसी रक्षा करें शिव रहें सब सकुशल मंगल विनोद भरी होली हर बार हो ।

प्रस्तुतकर्ता- उपमेंद्र सक्सेना एड. (साहित्यकार) बरेली

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