इंटरव्यू

अनुमति दे निगम हम नि:शुल्क बनवाएंगे पार्किंग और शौचालय, कोरोना काल के सारे टैक्स माफ करे सरकार, पढ़ें वरिष्ठ भाजपा नेता संदीप अग्रवाल का बेबाक इंटरव्यू…

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बरेली के समाजसेवियों में संदीप अग्रवाल का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. पिछले लगभग तीस वर्षों से समाजसेवा के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहे संदीप अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी में महानगर कोषाध्यक्ष सहित कई महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित कर चुके हैं. समाजसेवा के क्षेत्र वह कब आए? समाजसेवा के वे कौन से काम हैं जिन्हें वह बाखूबी निभाते आ रहे हैं? संदीप एक सरस्वती शिशु मन्दिर के व्यवस्थापक भी हैं. गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए वह क्या प्रयास कर रहे हैं? वर्तमान विधायक को वह कितना सफल मानते हैं? अगर पार्टी उन्हें चुनावी मैदान में उतारती है तो उनके विकास का विजन क्या होगा? संदीप कैंट विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक़ रखते हैं. यहां की कौन सी जरूरतें हैं जिन्हें अब तक पूरा नहीं किया जा सका है? इन्हीं मुद्दों पर संदीप अग्रवाल ने नीरज सिसौदिया के साथ खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : आप मूलरूप से कहां के रहने वाले हैं, पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही?
जवाब : मैं मूलरूप से बरेली शहर के बिहारीपुर का रहने वाला हूं. मेरे पिता कृष्ण अवतार अग्रवाल एक सर्राफा कारोबारी होने के साथ ही समाजसेवा के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाते थे. तीन भाई बहनों में मैं सबसे छोटा हूं.
सवाल : समाजसेवा के क्षेत्र में कब और कैसे आना हुआ और राजनीति में कब सक्रिय हुए?
जवाब : सेवा का जज्बा मुझे अपने पिता से विरासत में मिला था. मेरे पिता ने हमारे समाज के लिए कई काम किए. उन्हीं के कार्यों को आगे बढ़ाने का कार्य मैं कर रहा हूं. वर्ष 1992 में मैं समाजसेवा के साथ ही राजनीति में भी सक्रिय हुआ. संघ की शाखाओं से जुड़ा रहा. भारतीय जनता पार्टी की ओर से वर्ष 1992 में ही मुझे बूथ अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. मैं अग्रवाल सेवा समिति का पहले सदस्य रहा और वर्तमान में महामंत्री भी हूं.
सवाल : समाज की महिलाओं और बेटियों के उत्थान के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं?
जवाब : हमारी संस्था समाज की गरीब बेटियों के विवाह की पूरी व्यवस्था करती है. पिछले कई वर्षों से समिति की ओर से सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित कर बेटियों का घर बसाया गया है और आगे भी बसाते रहेंगे. बेटियों की शादी से लेकर उन्हें जरूरत का सामान भी संस्था की ओर से ही मुहैया कराया जाता है.
सवाल : क्या समाज की विधवा महिलाओं के लिए भी कोई योजना चला रहे हैं?
जवाब : जी बिल्कुल, समाज की गरीब विधवा महिलाओं को हम प्रतिमाह पांच सौ रुपये की पेंशन मुहैया करा रहे हैं. वर्तमान में ऐसी 52 महिलाएं हैं जिन्हें संस्था की ओर से पेंशन उपलब्ध कराई जा रही है. इसके अलावा उन्हें जरूरत के अनुसार भी मदद कराई जाती है.
सवाल : आप एक सरस्वती शिशु मन्दिर के संचालक भी हैं. गरीब बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने और अच्छी शिक्षा दिलवाने की दिशा में क्या प्रयास कर रहे हैं?
जवाब : सरस्वती शिशु मन्दिर की एक परिपाटी रही है कि मलिन बस्तियों में जाकर गरीब बच्चों के अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूक करना और बच्चों को स्कूल तक लाना. हम भी इसी सिद्धांत पर काम कर रहे हैं. हम गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ ही उनके भोजन, कपड़ों और किताबों तक की व्यवस्था करवाते हैं. कुछ बच्चों को शैक्षिक रूप से गोद भी लिया गया है.
सवाल : आपने बरेली शहर को बेहद करीब से लंबे समय तक देखा है. विकास को किस नजरिये से देखते हैं?
जवाब : सच कहूं तो बरेली शहर का विकास जिस तरह से होना चाहिए था उस रफ्तार से नहीं हुआ. हालांकि अब जगह-जगह विकास कार्य हो रहे हैं. वर्तमान में भले ही तकलीफ झेलनी पड़ रही हो लेकिन मुझे लगता है कि अगले दो वर्षों में स्मार्ट सिटी के काम परवान चढ़ जाएंगे और अपने शहर की सूरत ही बदल जाएगी.
सवाल : विधानसभा चुनाव आने वाले हैंं. अगर पार्टी आपको कैंट विधानसभा सीट से मौका देती है तो आपके मुद्दे क्या होंगे और विकास की क्या प्राथमिकताएं होंगी?
जवाब : देखिये, जनता की मूलभूत आवश्यकताएं पानी, सड़क और साफ सफाई हैं. कैंट विधानसभा सीट जब से अस्तित्व में आई है तब से राजेश अग्रवाल ही यहां से विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं. उन्होंने इलाके में काफी विकास कराया लेकिन कई चीजें रह जाती हैं. मढ़ीनाथ, सुभाषनगर, बिहारीपुर का कुछ इलाका, कैंट सीट में शामिल हुए मढ़ीनाथ से सटे गांव और चौपुला के पास बसी मलिन बस्तियां कुछ ऐसे इलाके हैं जहां साफ सफाई, स्वच्छ पेयजल और सड़कों की समस्या है. मेरी प्राथमिकताओं में इन समस्याओं का समाधान होगा. कैंट सीट के बाजारों की बात करें तो यहां जाम की काफी बड़ी समस्या. पार्किंग के अभाव में जाम की समस्या विकराल रूप ले लेती है. यहां नगर निगम की काफी जमीनें खाली पड़ीं हैं जहां पार्किंग बनाई जा सकती है. हमारी बरेली महानगर सर्राफा एसोसिएशन ने इस ओर नगर निगम का ध्यान भी दिलाया था. साथ ही उन्हें इन जगहों पर पार्किंग के साथ ही शौचालय भी संस्था की ओर से बनवाकर देने की पेशकश भी की थी. नगर निगम हमें अनुमति दे, हम सिर्फ कैंट ही नहीं बल्कि पूरे शहर के बाजारों में आने वाले लोगों के लिए पार्किंग और शौचालय नि:शुल्क बनाकर देंगे.
सवाल : आप समाजसेवी होने के साथ ही जनप्रतिनिधि भी हैं और व्यापारी भी. कोरोना काल में कारोबार चौपट हो गए. ऐसे में सरकार से क्या उम्मीद करते हैं?
जवाब : कोरोना काल के नौ महीने व्यापार पर भारी रहे. व्यापारी आज तक उस नुकसान से उबर नहीं पाया है. कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिनका कमाने वाला ही कोरोना की भेंट चढ़ गया. ऐसे परिवारों की सरकार को मदद करनी चाहिए. हम व्यापारी ही सबसे ज्यादा टैक्स अदा करते हैं और हमारे टैक्स के पैसों से ही सरकार चलती है लेकिन सरकार ने व्यापारियों को कोई राहत नहीं दी. हमारे बारे में सरकार को सोचना चाहिए. कोरोना काल के नौ महीने का कोई भी टैक्स किसी भी व्यापारी से नहीं लेना चाहिए.
सवाल : आपने राजनीति को अपनी जिंदगी के तीस कीमती वर्ष दिए हैं. तीस साल तक एक ही पार्टी भाजपा की निष्काम सेवा की है. तब और अब की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति में क्या फर्क महसूस करते हैं?
जवाब : तब और अब के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश में काफी बदलाव आया है. सेवा की राजनीति ने स्वार्थ का रूप ले लिया है. जो कर्मठ कार्यकर्ता है वह कहीं न कहीं पीछे छूटता जा रहा है. ऐसे कार्यकर्ताओं को उनका उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा. आज सिर्फ स्वार्थ की राजनीति हो रही है जो सियासत के भविष्य के लिए भी अच्छी स्थिति नहीं है. सिर्फ भाजपा ही इन परिस्थितियों को बदल सकती है.

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