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शहर विधानसभा सीट से मुस्लिम दावेदारों को झटका, हिन्दू ही होगा सपा का उम्मीदवार

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नीरज सिसौदिया, बरेली
जिले में पंचायत चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका. अब विधानसभा की तैयारी तेज हो चुकी है. विपक्ष के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती कोरोना काल के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की है. इस बीच मुख्यालय के सूत्र और शहर विधानसभा सीट के वर्तमान हालात बताते हैं कि इस बार अगर समाजवादी पार्टी किसी अन्य दल से गठबंधन नहीं करती है तो इस सीट से मुस्लिम की जगह हिन्दू प्रत्याशी को ही मैदान में उतारेगी. संभावना यह भी जताई जा रही है कि इस बार कोई ऐसा नया चेहरा मैदान में उतारने की तैयारी की जा रही है जो समाजसेवा के क्षेत्र में अपना एक मुकाम हासिल कर चुका हो, साथ ही राजनीति के दांव पेच से भी भली भांति परिचित हो. फिलहाल प्रत्याशी कौन होगा यह तय होने में काफी समय है मगर अंदरखाने अभी से प्रत्याशी तय करने की कवायद तेज कर दी गई है ताकि कोरोना के चलते अगर कंप्लीट लॉकडाउन लग भी जाए तो भी समाजसेवा के माध्यम से प्रत्याशी अपना प्रचार प्रसार आसानी से कर सके.
दरअसल, शहर विधानसभा सीट न सिर्फ कायस्थ बाहुल्य सीट है बल्कि भाजपा का गढ़ भी है. सूबे में चाहे किसी भी दल की सरकार रही हो पर दशकों से शहर विधानसभा सीट भाजपा के ही खाते में रही है. यहां तक कि जब वर्तमान शहर विधायक डा. अरुण कुमार सपा से चुनाव लड़े थे तो उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था. बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल कर ली. सपा से जब अरुण कुमार चुनाव लड़े थे तो उनका अपना कोई सियासी वजूद नहीं था. सिवाय इसके कि वह एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक़ रखते थे. पिछली बार सपा ने यहां से राजेश अग्रवाल को प्रत्याशी घोषित कर दिया था लेकिन प्रदेश स्तर पर महागठबंधन हो गया और यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई. महागठबंधन ने इस सीट से से कांग्रेस नेता प्रेम प्रकाश अग्रवाल को मैदान में उतारा जिन्होंने डा. अरुण कुमार को कड़ी टक्कर दी थी.

डा. अरुण कुमार
प्रेम प्रकाश अग्रवाल

इसलिए सपा इतिहास से सबक लेकर इस बार भी गैर मुस्लिम को ही मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है. चूंकि सपा के पास कायस्थों में कोई बड़ा चेहरा नहीं है इसलिए वह ऐसा चेहरा तलाश रही है जो कभी विवादित न रहा हो और समाजसेवा के माध्यम से अपनी पहचान भी बना चुका हो. शहर में उसका एक नाम हो, एक बड़ी बिरादरी को उसका समर्थन हो और उसकी छवि साफ सुथरी हो. हालांकि, इस लिहाज से नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष राजेश अग्रवाल का नाम सबसे ऊपर आता है लेकिन राजेश अग्रवाल बनिया बाहुल्य कैंट विधानसभा सीट पर बनिया वोटों का ध्रुवीकरण करने में कामयाब हो सकते हैं.

अखिलेश यादव के साथ राजेश अग्रवाल

दूसरा बड़ा नाम पंजाबी महासभा के अध्यक्ष संजय आनंद का सामने आ रहा है. संजय आनंद समाजसेवा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान तो बना ही चुके हैं, साथ ही लंबे समय तक कांग्रेस में अहम जिम्मेदारियां भी निभा चुके हैं. हालांकि बाद में उन्होंने समाजसेवा के लिए राजनीति को अलविदा कह दिया था. उनके साथ पूरा पंजाबी समाज तो है ही, कायस्थ, बनिया और व्यापारी वोटों पर भी संजय आनंद की मजबूत पकड़ है. संजय आनंद का जिक्र इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि पिछले दिनों उन्होंने जब व्रंदावन के लिए बस रवाना की थी तो किसी सत्ताधारी भाजपा नेता ने नहीं बल्कि सपा के जिला अध्यक्ष अगम मौर्य ने उनकी बस को हरी झंडी दिखाई थी. यह हरी झंडी सिर्फ बस के लिए ही नहीं बल्कि संजय आनंद के लिए भी दिखाई गई थी. ऐसा माना जा रहा है.

संजय आनंद

अगर पार्टी संजय आनंद को मैदान में उतारती है तो सपा ऐसी पहली पार्टी होगी जो बरेली में किसी पंजाबी को विधानसभा का टिकट देगी. चूंकि पंजाबी समाज हर वर्ग का हर तरह से सहयोग करता आ रहा है, इसलिए पंजाबी चेहरे का लाभ पार्टी को मिल सकता है और बगावत की संभावना भी कम होगी, ऐसा पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है.
चर्चा तो यहां तक है कि भाजपा से टिकट की दौड़ में शामिल पूर्व मंत्री दिनेश जौहरी के सुपुत्र राहुल जौहरी भी भाजपा से टिकट न मिलने पर सपा का दामन थामकर शहर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि, ये चर्चाएं फिलहाल गले से नहीं उतरतीं क्योंकि दिनेश जौहरी का कद तो बड़ा है ही, साथ ही बीसीसीआई से जुड़े होने के कारण राहुल जौहरी के अमित शाह के बेटे जयंत शाह से भी अच्छे रिश्ते हैं. जिस वजह से उन्हें टिकट मिले या न मिले वह भगवा ब्रिगेड से नाता नहीं तोड़ने वाले.
पार्टी के आला नेताओं का यह भी मानना है कि मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए उन्होंने बरेली की जो तीन पारंपरिक सीटें मुस्लिमों के लिए सुरक्षित रखी हैं सिर्फ उन्हीं पर मुस्लिम कार्ड खेला जाएगा. सपा जानती है कि प्रत्याशी मुस्लिम हो या न हो पर मुसलमानों का वोट उनके ही खाते में जाएगा. ऐसे में शहर विधानसभा सीट से मुस्लिम दावेदारों की उम्मीदों पर एक बार फिर पानी फिर सकता है. बहरहाल, कोरोना काल के बीच इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है. शहर विधानसभा सीट पर सपा का चयन इस मुकाबले की दिशा तय करेगा.

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