नीरज सिसौदिया, बरेली
यूपी की सियासत में अरविंद शर्मा की पैराशूट एंट्री और कुछ नेताओं के विरोध के बाद शुरू हुई उठापटक पर अब दिल्ली में संघ के कुछ बड़े विचारकों ने मंथन शुरू कर दिया है. भाजपा के महामंत्री संगठन बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह की रिपोर्ट के बाद गुरुवार को ही दिल्ली में तीन दिवसीय महामंथन की शुरुआत हो चुकी है. आज इसका दूसरा दिन है.
दरअसल, यूपी की राजनीति में आईएएस से राजनेता बने अरविंद शर्मा की एंट्री से मामला गड़बड़ा गया. चर्चा है कि केंद्रीय नेतृत्व शर्मा को अहम पद पर बिठाना चाहता है मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को यह नामंजूर है. यही वजह है कि अरविंद शर्मा को अभी तक वह जिम्मेदारी नहीं मिल पाई है जिसके लिए उन्हें भेजा गया था.
बात सिर्फ शर्मा की नहीं है. यूपी विधानसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम समय रह गया है. कोरोना, पश्चिम बंगाल चुनाव में पराजय और गंगा किनारे मिले लाशों के ढेर जैसी परिस्थितियों ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ऐसे में शीर्ष नेतृत्व इन परिस्थितियों से निपटते हुए यूपी जीतने की रणनीति पर मंथन कर रही है. चर्चा है कि अवध के सम्राट को संभालने के लिए दिल्ली सल्तनत से नया निजाम भी भेजा जा सकता है. चूंकि दिल्ली सल्तनत नहीं चाहती कि यूपी की सत्ता से उसका वर्चस्व खत्म हो. वहीं यूपी सम्राट अपने काम में बेवजह की दखलअंदाजी बिल्कुल भी नहीं चाहते. यही वजह रही कि पिछले दिनों दिल्ली की टीम ने यूपी में डेरा डाला और अपनी रिपोर्ट जाकर सौंप दी. अब उसी रिपोर्ट के आधार पर यह मंथन चल रहा है कि यूपी में कौन सी रणनीति अपनाई जाए. इतने कम समय के लिए नया निजाम सही होगा या फिर पुराने पर ही भरोसा जताना होगा. चूंकि दिल्ली का रास्ता यूपी होकर ही जाता है, ऐसे में यूपी के साथ कोई भी रिस्क नहीं लिया जा सकता. बहरहाल, मंथन का आज दूसरा दिन है. तीसरा दिन भी अभी शेष है. संभावना है कि जून के दूसरे सप्ताह में इस महामंथन का परिणाम निकलेगा. अब देखना यह है कि यह मंथन किसके लिए अमृत लेकर आएगा और किसके हिस्से में विष आएगा.
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