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छवि खराब करने के लिए एडिट करके सोशल मीडिया पर डाली नसीम अहमद की अधूरी वीडियो, सामने आया सच तो उड़े होश, देखें पूरी वीडियो…

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नीरज सिसौदिया, बरेली
सियासत की बाजी पलटने के लिए विरोधी सियासतदान किस हद तक गिर सकते हैं इसका ताजा उदाहरण बरेली जिले की बहेड़ी विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा है. यहां एक आपराधिक छवि वाले नेता और एक साफ-सुथरी छवि वाले नेता के बीच समाजवादी पार्टी के टिकट को लेकर द्वंद्व चल रहा है. जब साफ-सुथरी छवि वाले नेता और पूर्व विधानसभा प्रत्याशी डा. नसीम अहमद हर मोर्चे पर विरोधी सियासतदानों को धूल चटाते नजर आए तो विरोधियों ने उनकी छवि खराब करने के लिए वीडियो एडिटिंग का सहारा लिया लेकिन यह दांव विरोधियों को ही उल्टा पड़ गया. क्योंकि जब वीडियो का सच सामने आया तो नसीम अहमद को जनता की और ज्यादा सहानुभूति मिलने लगी.
दरअसल, नसीम अहमद के सियासी दुश्मनों ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो एडिट करने के बाद डाल दी. यह वीडियो अधूरी ही डाली गई. वीडियो का पहले का आधे से ज्यादा हिस्सा पूरी तरह से हटा दिया गया. सिर्फ वही हिस्सा सोशल मीडिया पर डाला गया जिससे नसीम अहमद की छवि खराब हो सके और उन्हें पार्टी का टिकट न मिल सके. इस वीडियो के वायरल होने के बाद जब नसीम अहमद को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने सच का खुलासा करते हुए ओरिजिनल वीडियो पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत कर दी जिससे स्पष्ट हो गया कि नसीम अहमद को टारगेट करके उनकी छवि खराब करने के लिए उक्त वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड की गई थी. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में यह तो दिखाई दे रहा है कि नसीम अहमद कह रहे हैं कि हमसे बड़ा गुंडा कौन है? लेकिन नसीम अहमद ऐसा क्यों कह रहे हैं और किस घटना के कारण व किन लोगों से यह कहने को मजबूर हो गए यह उस वीडियो में नहीं दिखाया गया है. अब इस वीडियो का सच सामने आया है.

ओरिजिनल वीडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि नसीम अहमद के अस्पताल रजा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कुछ महिला कर्मचारी अपने साथी पुरुष कर्मचारियों के साथ काम कर रही हैं. तभी अचानक से तीन चार आपराधिक किस्म के लोग मुंह पर मास्क लगाकर रिसेप्शन में घुसते हैं और घुसते ही सभी मिलकर एक अस्पतालकर्मी को पीटने लगते हैं. अस्पताल का अन्य स्टाफ साथी कर्मचारियों को उक्त गुंडों से बचाता है लेकिन खुद कानून हाथ में नहीं लेता और इसकी सूचना तत्काल अस्पताल के मालिक नसीम अहमद को दी जाती है. नसीम अहमद मौके पर पहुंचते हैं और सारा मामला शांत कराने का प्रयास करते हैं लेकिन आपराधिक छवि वाले लोग उनसे ही उलझ जाते हैं. इस पर नसीम अहमद उन्हें बड़ी ही शालीनता से समझाते हैं कि अगर अस्पताल के कर्मचारी चाहते तो उन आपराधिक छवि वाले लोगों का जवाब उन्हीं की भाषा में दे सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया क्योंकि वे शरीफ लोग हैं और कानून का सम्मान करते हैं. वरना अगर वे गुंडागर्दी करने लगेंगे तो उनसे बड़ा गुंडा कौन है. ये वो सामान्य बातें हैं जिन्हें आमतौर पर कोई भी व्यक्ति किसी को समाझाने और गुंडागर्दी रोकने के लिए इस्तेमाल करता है.

अगर नसीम अहमद वाकई इतने बड़े गुंडे होते तो क्या उस दिन अस्पताल से वे चार आपराधिक छवि वाले लोग बिना पिटे हुए जा पाते? अगर चले भी गए थे तो क्या चार महीने बाद भी उन पर कोई जवाबी हमला नहीं होता? सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि घटना के चार माह बाद ही इस वीडियो को वायरल क्यों किया गया? स्पष्ट है कि इस वीडियो को एक सुनियोजित साजिश के तहत वायरल किया गया है ताकि नसीम अहमद की छवि खराब कर दी जाए और समाजवादी पार्टी उन्हें बहेड़ी विधानसभा सीट से टिकट न दे. इस घिनौनी हरकत के पीछे पूर्व मंत्री अता उर रहमान का हाथ है या फिर भाजपा के दावेदारों का, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है. बहरहाल, माना यह जा रहा है कि हाल ही में समाजवादी पार्टी के कुछ प्रधानों और ब्लॉक प्रमुखों ने खुलकर पूर्व मंत्री को भूमाफिया और आपराधिक छवि का बताया था जिसके जवाब में यह वीडियो वायरल किया गया है. हालांकि फिलहाल मामले की जांच की जा रही है कि यह वीडियो किसने वायरल कराया है. साथ ही नसीम अहमद ने अपना स्पष्टीकरण देते हुए एक वीडियो भी मीडिया को जारी किया है.

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