(प्रेस विज्ञप्ति), बरेली
आल इण्डिया तंज़ीम उलमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने समाजवादी पार्टी के मुखिया श्री अखिलेश यादव पर बड़े मुस्लिम चहरों की उपेक्षा करने, मुस्लिम समाज के हितों की बात न करने और मुसलमानों के हक़ व अधिकारों की आवाज़ न उठाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये मौलाना ने कहा कि अखिलेश यादव भी अब हिन्दुत्व और भगवा राजनीति की डगर पर चल पड़े हैं। उन्हें मुसलमानों का वोट तो चाहिये मगर मुसलमानों के अधिकारों, उनके हितों और उनके पक्ष की बात करने से डर लग रहा है। वह और उनके कद्दावर नेता अपने मंचों और अपने प्रचारकों में मुस्लिम चहरों को साथ में रखने से घबरा रहे हैं।
मौलनाना शाहबुद्दीन रज़वी ने उदाहरण देते हुये बताया कि श्री अखिलेश यादव और उनके चाचा श्री रामगोपाल यादव खुले मंचों पर भाजपा से भी भव्य अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात कर रहे हैं। मुस्लिम गलियारों से दंगा जाँच आयोग बनाने की उनसे मांग की गयी उस पर तो वह चुप्पी साधे रहे मगर प्रदेश में ब्रहम्मण समाज जो मात्र आठ प्रतिशत है उसके उत्थान के लिये उन्होने ब्रहम्मण आयोग बनाने का ऐलान कर दिया इसके अलावा ब्रहम्मण समाज को लुभाने के लिये उन्होंने पिछले दिनों बहुत सारे वायदे कर डाले हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है बल्कि हमें खुशी है , मगर 22 प्रतिशत मुसलमान जिनकी अक्सरयत समाजवादी पार्टी की स्थापना ही से यकतरफ़ा वोट देती चली आ रही है इस समाज के उत्थान के लिये अब तक किसी भी मंच से श्री अखिलेश यादव या उनके कद्दावर नेताओं ने न कोइ वायदा किया है और न अपने चुनावी घोषणा पत्र में मुस्लिम वर्ग के मसायल से संबंधित कोई स्पष्ट उल्लेख किया है।
मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने प्रदेश भर में बड़े बड़े जिताऊ, प्रभावशाली और कद्दावर मुस्लिम उम्मीदवारों के टिकट काटे जाने पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुये कहा कि बदायूँ से आबिद रज़ा, मुरादाबाद से हाजी इकराम कुरैशी, कुंदरकी से हाजी रिज़वान, पीलीभीत से हाजी रियाज़ अहमद (मरहूम)के बेटे डॉक्टर शाने अली, लखीमपुर खीरी से रफ़ी अहमद उस्मानी , कैसर गंज से मसूद आलम , लखनऊ से जिसान अस्लम आदि जैसे उन उम्मीदवारों के टिकट काटे हैं कि जिन्होंने अपने अपने क्षेत्रों में अपने खून पसीने से समाजवादी पार्टी को सींचा और खड़ा किया तथा अपनी ताक़त से मुलायम परिवार को चार बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचाया और राष्ट्रीय स्तर पर इस ख़ानदान को एक मज़बूत सियासी पहचान बख़्शी।
मौलाना ने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी पर अब डिक्टेटर मानसिकता और हिन्दुत्वा विचारधारा का क़ब्ज़ा हो चुका है जिसके कारण श्री अखिलेश यादव मनमाने फैसले कर रहे हैं और जिस पार्टी को बड़े मुस्लिम चहरो ने रात व दित मेहनत करके मज़बूती के साथ खड़ा किया था उनकी घोर उपेक्षा की जा रही है। उदाहरण के तौर पर यह देखा जा सकता है कि श्री अबु आसिम आज़मी, श्री आज़म खाँ जैसे बड़े समाजवादी मुस्लिम नेताओं के कहने पर प्रदेश में एक भी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया गया है। इससे साफ़ यह समझ में आता है कि श्री अखिलेश यादव हिन्दुत्वा के उस नज़रिये को अमली जामा पहना रह हैं कि जिसमें यह है कि हिंदुस्तान से मुस्लिम क़यादत को ख़त्म कर दिया जाये लेकिन वह यह नहीं समझते कि अगर मुस्लिम समाज समाजवादी जैसी नई पार्टी को इतनी ऊँचाई तक पहुँचा सकता है तो उसे एक राष्ट्रीय पार्टी की तरह सियासी वनवास भी करा सकता है।