नीरज सिसौदिया, बरेली
विधानसभा चुनावों में हार के बाद समाजवादी पार्टी में बदलाव और संगठन को मजबूत करने की तैयारी तेज कर दी गई है। पार्टी मुख्यालय के सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव के दौरान दरकिनार किए गए शिवपाल यादव एक बार फिर से समाजवादी पार्टी में पावर सेंटर बनने जा रहे हैं। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चर्चाएं तेज हो चुकी हैं। साथ ही प्रदेश से लेकर महानगर एवं बूथ स्तर तक संगठन में बदलाव की कसरत भी शुरू की जा चुकी है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवपाल के करीबी नेता एक बार फिर सपा में दमदार रूप में वापसी कर सकते हैं। फिलहाल संगठन में बदलाव की शुरुआत अप्रैल महीने में किए जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। माना जा रहा है कि वीरपाल सिंह यादव को भी पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी है।
बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अखिलेश यादव ने तो चुप्पी साध ली लेकिन शिवपाल यादव ने हार का एक कारण संगठन का कमजोर होना भी बताया है। प्रदेश में कई सीटें ऐसी रहीं जहां हार-जीत का अंतर दो सौ से तीन हजार के बीच रहा। शिवपाल का आरोप है कि सपा गठबंधन के उम्मीदवारों ने प्रसपा कार्यकर्ताओं को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए उनका सहयोग तक लेना जरूरी नहीं समझा। जिसके कारण कुद ऐसी सीटें भी सपा हार गई जो जीती जा सकती थीं। इसके बाद से ही चर्चाओं का बाजार गर्म है। पार्टी मुख्यालय के सूत्र बताते हैं कि अखिलेश इस हार से बेहद निराश हैं और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की जिम्मेदारी चाचा शिवपाल यादव को सौंपना चाहते हैं। साथ ही उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भी जिम्मेदारी दी जा सकती है। बताया जाता है कि शिवपाल प्रदेश से लेकर महानगर एवं बूथ स्तर तक संगठन में बदलाव चाहते हैं। इसकी कवायद उन्होंने शुरू कर दी है। प्रदेश भर में अपनी टीम को शिवपाल यादव ने इस बाबत सक्रिय भी कर दिया है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि जो लोग सपा को छोड़कर शिवपाल यादव के साथ प्रसपा में गए थे उन्हें अब सपा में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव अब प्रसपा का सपा में विलय करने जा रहे हैं। इसके बाद संगठन में बदलाव शुरू हो जाएगा। होली के बाद से सपा में कई पुराने चेहरे वापसी करते नजर आएंगे। इनमें से कई चेहरे महानगर और जिला अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी देखने को मिल सकते हैं। सपा में शिवपाल यादव के बढ़ते कद को देखकर उनके समर्थकों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है जबकि कुछ में निराशा भी है। माना जा रहा है कि शिवपाल की मजबूती के साथ ही पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव को भी अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है।
बहरहाल, विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी के समक्ष खोया हुआ वजूद हासिल करने की कड़ी चुनौती है। साल के अंत में निकाय चुनाव भी होने हैं। ऐसे में संगठन की मजबूती और भी अहम हो जाती है। बहरहाल, समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव कितनी जान फूंक पाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।