नीरज सिसौदिया, बरेली
सरकारी तालाबों को पाट कर तैयार की गई इंटरनेशनल सिटी को इस मुकाम तक लाने और सरकार को अरबों रुपये की चपत लगाने में प्रशासनिक अधिकारियों का भी बड़ा हाथ रहा है। भूमाफिया द्वारा अवैध रूप से विकसित की गई इस इंटरनेशनल सिटी में तहसीलदार से लेकर एडिशनल सेक्रेटरी तक के आशियाने हैं। इन सभी प्रशासनिक अधिकारियों की ही बदौलत इस पूरे खेल को बेहद बारीकी से अंजाम दिया गया और अब जबकि माननीय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस मामले को लेकर कड़ी टिप्पणी की है तो भी कुछ भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी भूमाफिया को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। जिला सहकारी संघ के पूर्व चेयरमैन महेश पांडेय ने बताया कि ये अधिकारी रिश्वत की मोटी रकम लेकर सरकारी संपत्ति की बंदरबांट करने से भी पीछे नहीं हटे हैं। इन्होंने कूट कपट कर अपने मन मुताबिक दस्तावेज प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से तैयार करवा लिए लेकिन इनका भ्रष्टाचार अब खत्म होने वाला है। उन्होंने उम्मीद जताई कि माननीय हाईकोर्ट इन भूमाफियाओं को सलाखों के पीछे भेजने के साथ ही सरकारी जमीन को भी इनके कब्जे से मुक्त कराएगा।
बताया जाता है कि इस मामले में उन अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है जो इंटरनेशनल सिटी के विस्तार में भागीदार रहे या उस दौरान यहां तैनात थे जब इंटरनेशनल सिटी को डेवलप किया जा रहा था और उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।
अब जबकि बीडीए और जिला प्रशासन ने माननीय हाईकोर्ट के समक्ष खुद स्वीकार कर लिया है कि इंटरनेशनल सिटी गलत तरीके से डेवलप की गई है तो इन अधिकारियों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इसमें एसडीएम से लेकर कमिश्नर तक की गर्दन फंसती नजर आ रही है। बता दें कि इंटरनेशनल सिटी को डेवलप करने वाली कंपनी में एक पार्टनर राजू खंडेलवाल वैश्य समाज के एक प्रतिष्ठित संगठन में अहम पद पर भी है जिस संगठन में दिग्गज राजनेता और अधिकारी भी जुड़े हुए हैं। बताया जाता है कि उन्हीं के संरक्षण में इस पूरे खेल को अंजाम दिया गया।
यही वजह है कि अब तक इंटरनेशनल सिटी को डिमॉलिश करने की कार्रवाई नहीं की गई। इसके विपरीत प्रशासनिक अधिकारी भूमाफिया को बचाने की तरकीब में लगे हैं। बहरहाल, मामला अब माननीय हाईकोर्ट में है। ऐसे में गलत लोगों का बचना नामुमकिन है। मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होनी है। तब तक दोनों पक्ष अपने-अपने दावों को मजबूती के साथ रखने की तैयारी कर रहे हैं।
