यूपी

जनरल या ओबीसी के लिए आरक्षित होगी बरेली के मेयर की कुर्सी, जानिये किस फॉर्मूले पर तय होगा आरक्षण?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
लोकसभा चुनाव से पहले विभिन्न सियासी दलों को निकाय चुनाव की अग्निपरीक्षा पास करनी होगी। सत्तापक्ष के सामने जहां अपनी जीत का सिलसिला कायम रखने की चुनौती है, वहीं, विपक्ष के समक्ष अपने वजूद को साबित करने की चुनौती है। लेकिन इस पूरे सियासी उठापटक से पहले सबकी निगाहें आरक्षण पर टिकी हैं। कौन सी सीट आरक्षित होगी और कौन सी अनारक्षित इसे लेकर काफी संशय की स्थिति है। आरक्षण के इस पूरे गणित को समझने के लिए हमें सरकारी अधिकारियों के बयानों और विगत वर्षों के आरक्षण के बारे में अच्छी तरह समझना होगा। वर्ष 2017 में कुल 652 नगर निकायों के लिए चुनाव गुए थे जबकि इस बार 734 नगर निकायों के लिए चुनाव होने हैं। यानी पांच वर्षों में 80 से भी अधिक निकाय बढ़ गए हैं। वर्ष 2017 में हुए निकाय चुनाव के दौरान राज्य में 16 नगर निगम थे जिनमें से 6 नगर निगमों के महापौर की सीट को महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया गया था। वहीं, इस बार 17 नगर निगमों के लिए चुनाव होना है। इनमें से एक बरेली भी है। राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्याधिकारी एसके सिंह की मानें तो 15 नवंबर के बाद किसी भी दिन निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है लेकिन यह सरकार को तय करना है कि वह नोटिफिकेशन कब जारी करेगी। राज्य निर्वाचन आयोग पहले सरकार को अधिसूचना के लिए प्रस्ताव भेजेगा। फिलहाल प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। इसकी वजह यह है कि अभी परिसीमन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग उस परिसीमन के आधार पर वोटर सूची तैयार करेगा। इसमें कम से कम एक महीने का वक्त लगना तय है। फिलहाल नगर निकायों में वार्डों के परिसीमन से लेकर आरक्षण रोस्टर तक का काम अंतिम चरण में है। परिसीमन पूरा होने के बाद वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण होगा। इसके बाद अधिसूचना जारी होगी और फिर चुनाव होंगे।
कौन सा नगर निगम किसके लिए आरक्षित किया जाएगा, यह निर्णय राज्य सरकार को लेना है। एसके सिंह कहते हैं कि निकाय सीटों का आरक्षण जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। जहां जिसकी आबादी अधिक होती है उस सीट को आरोही क्रम में आरक्षित किया जाता है। उसमें रोटेशन की प्रक्रिया का पालन करना होता है। पूरे प्रदेश में आरक्षण इसी फॉर्मूले पर तय होता है। अब बरेली में अगर इस फॉर्मूले पर आरक्षण तय होगा तो जिस जाति की आबादी सबसे ज्यादा होगी उसी के लिए बरेली के मेयर की कुर्सी आरक्षित की जाएगी। इसके लिए प्रदेश से विभिन्न 17 नगर निगमों की आबादी की गणना की जाएगी। उदाहरण के तौर पर अगर प्रदेश में 17 में से पांच सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित की जानी हैं तो इनमें वहीं सीटें आरक्षित की जाएंगी जिनमें ओबीसी की संख्या सबसे ज्यादा होगी। या जनसंख्या के हिसाब से जो सीटें पहले पांच पायदानों पर आएंगी उन्हें ही आरक्षित किया जाएगा।
यही फॉर्मूला अन्य जातियों पर भी लागू होगा। अब इन आरक्षित सीटों में से भी 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित वर्ग की महिला के लिए आरक्षित की जाएंगी। इनमें भी वही फॉर्मूला लागू होगा। जिस सीट पर जितनी अधिक महिलाएं उस वर्ग विशेष की होंगी वह सीट उन्हीं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इस लिहाज से देखा जाए तो बरेली नगर निगम के महापौर की कुर्सी फिलहाल सामान्य या ओबीसी के लिए आरक्षित हो सकती है। क्योंकि बरेली में इन्हीं दो वर्गों की आबादी अधिक है। अब यह महिला आरक्षित होंगी या सामान्य ही रहेंगी यह कहना फिलहाल थोड़ा मुश्किल है। असली तस्वीर परिसीमन के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी।

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