नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजधानी दिल्ली के लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि हाल ही में हुई संगठन की एक उच्च स्तरीय बैठक में इसका खाका तैयार किया गया। बताया जाता है कि बैठक में दिल्ली की सात सीटों के प्रत्याशियों को लेकर चर्चा हुई। इसमें ज्यादातर पदाधिकारियों ने कम से कम चार सीटों पर प्रत्याशी बदले जाने पर जोर दिया। इन चार सीटों में पूर्वी दिल्ली (मौजूदा सांसद गौतम गंभीर), उत्तर पूर्वी दिल्ली (मौजूदा सांसद मनोज तिवारी), उत्तर पश्चिम दिल्ली (मौजूदा सांसद हंसराज हंस), नई दिल्ली (मौजूदा सांसद मीनाक्षी लेखी) शामिल हैं। वहीं, चर्चा चांदनी चौक (मौजूदा सांसद हर्षवर्धन) सीट पर भी प्रत्याशी बदलने को लेकर हुई। वहीं, पश्चिम और दक्षिण दिल्ली सीट पर मौजूदा सांसदों के नाम पर ही जोर दिया गया। फिलहाल इन दो सीटों पर बदलाव की कोई संभावना नहीं है। पश्चिम दिल्ली से जहां भूतपूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के पुत्र प्रवेश सिंह वर्मा सांसद हैं तो वहीं, दक्षिण दिल्ली से रमेश विधूड़ी सांसद हैं। ये दोनों नेता अपने दबदबे से सांसद बने हैं जबकि हंसराज हंस, गौतम गंभीर और मनोज तिवारी सेलिब्रिटी होने की वजह से भाजपा की लहर पर सवार होकर लोकसभा पहुंचे थे। मीनाक्षी लेखी न तो कोई सेलिब्रिटी थीं और न ही उनका अपना कोई दबदबा था जिसके दम पर वह जीत सकें। उनका पूरा चुनाव भाजपा की हवा पर निर्भर था। इस बार हवा का रुख पिछली बार की तरह नहीं है, इसलिए भाजपा अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इसलिए उनका टिकट कटना भी लगभग तय जा रहा है।

दरअसल, विधूड़ी और प्रवेश वर्मा को छोड़कर भाजपा का दिल्ली में कोई भी ऐसा मौजूदा सांसद नहीं है जिस तक आम जनता आसानी से पहुंच सके। सेलिब्रिटी होने के कारण ये खुद को कभी जन नेता के रूप में स्थापित नहीं कर सके।
मनोज तिवारी भोजपुरी फिल्मों में भले ही सुपरस्टार हीरो बन गए लेकिन सियासत में वह जीरो ही साबित हुए। दस साल तक सांसद और प्रदेश अध्यक्ष जैसे पद को सुशोभित करने के बावजूद दिल्ली में संगठन को वह मजबूती नहीं दे सके जिसकी उम्मीद पार्टी को उनसे थी। वह अपने भाेजपुरी समुदाय को भी पार्टी से जोड़ने में नाकाम रहे।

इसकी बानगी दिल्ली नगर निगम चुनाव में देखने को मिल चुकी है। दिल्ली में भाजपा को जब भी वोट मिले पीए नरेंद्र मोदी या संगठन के नाम पर मिले। मनोज तिवारी के नाम पर नहीं। उधर, टीवी डिबेटों में भी मनोज तिवारी कई बार हल्के साबित हुए हैं। कई बार टीवी एंकरों के सवालों में भी उलझ कर रह गए हैं। यही सब कारण हैं जिनकी वजह से पार्टी इस बार किसी नए विकल्प को उतारने पर विचार कर रही है। क्रिकेटर से राजनेता बने गौतम गंभीर का हाल इससे भी बुरा है। उनके क्षेत्र की जनता के लिए गंभीर आज भी सेलिब्रिटी क्रिकेटर ही हैं। आज तक वह जन नेता नहीं बन सके हैं। पूर्वी दिल्ली के पूर्व सांसद महेश गिरि को लोग गंभीर से कहीं बेहतर करार देते हैं। हालांकि, महेश गिरि की वापसी कराने का भाजपा का फिलहाल कोई इरादा नजर नहीं आता। इसलिए गौतम गंभीर की जगह भी पार्टी किसी नए चेहरे को उतारने की तैयारी में है।

मीनाक्षी लेखी भी तमाम अवसरों के बावजूद खुद को आम जनता के बीच लोकप्रिय बनाने में नाकामयाब रहीं। उधर, चांदनी चौक से डॉ. हर्षवर्धन को एक बार फिर मौका दिया जा सकता है। हालांकि, स्वास्थ्य या अन्य कारणों के चलते वह चुनावी चुनावी मैदान में नहीं उतर पाते हैं तो उनके किसी अपने या करीबी को ही पार्टी उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

यह पूरी कवायद इसलिए की जा रही है क्योंकि दिल्ली नगर निगम चुनावों में जीत के बाद आम आदमी पार्टी दिल्ली में और अधिक मजबूत मानी जा रही है। साथ ही कर्नाटक में मिली जीत के बाद दम तोड़ती कांग्रेस में भी नई जान आ गई है। साथ ही अगर दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।