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संसद में पेश की गई नई हज नीति, केंद्र ने सरकारी कोटा घटाया, लोकसभा में ओवैसी का आया गुस्सा, पढ़ें कितनी हुई कटौती और क्या-क्या है नई हज नीति में?

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नई दिल्ली। सरकार ने नई हज नीति पेश कर दी है जिसके तहत अब कुल हज कोटे का 70 प्रतिशत भारतीय हज कमेटी के पास होगा, जबकि 30 प्रतिशत निजी टूर ऑपरेटर (एचजीओ) के अधीन होगा। इससे पहले की हज नीति के तहत सरकारी कोटा 80 प्रतिशत होता था जिसे इस बार 10 प्रतिशत कम किया गया है तथा निजी टूर ऑपरेटर के कोटे में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। भारत और सऊदी अरब के बीच हर साल होने वाले हज समझौते के तहत कोटे का निर्धारण होता है। नई हज नीति में कहा गया है, ‘‘भारत सरकार और सऊदी अरब के बीच हर साल हस्ताक्षर किए जाने वाले हज समझौते में हज कोटे से जुड़ी संख्या भारत को आवंटित की जाती है। कोटा की कुल संख्या में से 70 प्रतिशत हज कमेटी को आवंटित किया जाएगा, जबकि 30 प्रतिशत एचजीओ को आवंटित किया जाएगा। इस साल आई हज नीति के तहत यह फैसला भी किया गया है कि 65 वर्ष या इससे अधिक आयुवर्ग के लोगों के साथ हजयात्रा पर कोई साथी भी जाएगा तथा बिना ‘मेहरम’ वाली महिलाओं को पूर्व की भांति प्राथमिकता मिलती रहेगी।
वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि हज समिति में गंभीर भ्रष्टाचार चल रहा है इसलिए सरकार को इसकी सीबीआई से जांच करानी चाहिए। ओवैसी ने शून्यकाल के दौरान हज समिति में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हज यात्रियों के अधिकारों और उनके पैसे की सुरक्षा के लिए यह जांच जरूरी है। उन्होंने कहा कि हज समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की बहाली का पिछले साल विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन किसी भी स्थायी सीईओ की बहाली न किए जाने की वजह से अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। हज यात्रा पर जाने वाले हज यात्रियों से मिना में पैसे लिए जाते हैं और उनके लिए बेहतर इंतेजाम भी नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से सीबीआई में कार्यरत सभी अधिकारियों को हटाया जाए और पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए।

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