नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
विपक्ष ने कहा है कि सरकार ने मध्यम वर्ग पर और गरीबों पर कर का बोझ डाल कर उनके जीवन को कठिन बना दिया है, जबकि अमीरों को कर में राहत देकर गरीबी तथा अमीरी के बीच की खाई को बढ़ाने का काम किया है। लोकसभा में कांग्रेस के डॉ. अमरसिंह ने वित्त विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार ने बजट में गरीबों, नौकरी पेशा वाले लोगों तथा मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं दिया है, जबकि अमीरों को खूब राहत देने का काम किया है। वित्त विधेयक को देखकर लगता है कि सरकार की मंशा आम आदमी से एक-एक पैसा वसूल करना तथा अमीरों को कर से छूट देने की है। उन्होंने कहा कि सरकार व्यक्तिगत स्तर के कर को ऊपर ला रही है और कारपोरेट टैक्स को नीचे ले जा रही है। पिछले दस साल में अमीरों के कर कम हुए हैं जबकि आम आदमी पर टैक्स का बोझ लादा गया है। कर से बचने के लिए मध्यम वर्ग का व्यक्ति बचत करके जो उपाय करता था उसकी सीमा को खत्म कर दिया गया है, यहां तक कि गृह ऋण में मिलने वाले कर को भी कम कर दिया गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने वृद्धों को भी नहीं छोड़ा है और उनकी आय सीमा को भी घटा कर उन पर कर का शिकंजा कसा जा रहा है। पहले वृद्धों के लिए कर सीमा पांच लाख रुपए होती थी, लेकिन अब उसे घटाकर तीन लाख कर दिया है। उनका कहना था कि यदि बूढों की आय पर यह कर कम किया जाता और इसे पांच लाख रुपए ही रखा जाता तो इससे लोगों की खरीद क्षमता बढती और इसका सीधा लाभ देश को होता इसलिए उनकी सीमा को पहले की तरह ही रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार खुद को किसानों का हितैषी होने का दावा करती है, लेकिन इसमें सच्चाई नहीं है और उसके काम किसानों के हित में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सच में देश के किसानों की हितैषी है और उनका हित करना चाहती है तो उसे किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए तत्काल कानून बनाने की घोषणा करनी चाहिए। भाजपा के निशिकांत दुबे ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार देश को आत्मनिर्भर और विकसित भारत बनाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कॉरपोरेट में टैक्स कम किया है क्योंकि सरकार चाहती है कि उद्योगों को निवेश के लिए आमंत्रित और प्रोत्साहित किया जाय इस मकसद से उनके टैक्स को कम किया गया है इसलिए विपक्ष का यह आरोप गलत है कि कॉरपोरेट टैक्स कम किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एंजल टैक्स को खत्म कर बच्चों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का काम किया है, लेकिन विपक्ष इसको लेकर सरकार पर लगातार हमला कर रहा है जो गलत है। उन्होंने कहा कि 32-33 लाख करोड़ रुपए का जो टैक्स आता है वह देश की कंपनियों के जरिए ही देश को मिलता है। विपक्ष के नेता जिस उद्योगपति को लेकर सरकार को बराबर घेरने का प्रयास करते हैं उससे चार लाख करोड़ रुपए टैक्स देश को मिलता है।
तेलुगु देशम पाटर्ी के लावू श्रीकृष्णा ने कहा कि एंजेल टैक्स खत्म होने से स्टाटर् अप्स को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने पिछली तारीख से कर लगाये जाने का विरोध किया। उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 11 लाख 11 हजार 100 करोड़ रुपए के आवंटन को उचित बताया और कहा कि आवंटन का ज़मीन पर व्यय होना भी जरूरी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पूर्वोदय योजना के 62 हजार करोड़ रुपए में से आंध्र प्रदेश को समुचित राशि मिलेगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पाटर्ी की सुप्रिया सुले ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि रुपए की कीमत गिर कर 84.09 रुपए प्रति डॉलर हो गयी है। उन्होंने कहा कि भारत में निर्यात की स्थिति लगातार खराब बनी है और निवेश बढ़ाने की आशा में कारोबारियों को तमाम कर रियायतें दी गयीं हैं, लेकिन निवेश नहीं आया। बल्कि आम आदमी पर बोझ बढ़ता जा रहा है। उन्होंने सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों के परस्पर विलय करने की मांग की। सुश्री सुले ने कहा कि जीएसटी के आंकड़ों में भारी अंतर आने पर चिंता व्यक्त करते हुए पूछा कि इन्फोसिस जैसी कंपनी के साथ आखिर क्या समस्या है। उन्होंने कहा कि खनिजों पर कर शून्य कर दिया गया है, जबकि कृषि उपकरणों पर ऊंची दर से जीएसटी वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि खनिजों पर कम कर रखा जाये। सोने पर भी कर घटाया जाये। शिक्षा के लिए कर कम होना चाहिए। उन्होंने वित्तीय संस्थानों पर होने वाले साइबर हमलों पर चिंता जतायी और कहा कि सरकार भ्रष्टाचार कम होने का दावा करती है, लेकिन अपने राजनीतिक विरोधियों पर भी ‘आईस’ (इनकम टैक्स, सीबीआई एवं ईडी) का हमला होता है। कांग्रेस के दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार की कराधान प्रणाली आम जनता पर बोझ डालने वाली है। आम आदमी की जीरो बचत और टैक्स में चपत वाला बजट है जबकि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार में कमाई खटाखट और टैक्स में बचत वाला बजट आता था। उन्होंने कहा कि भारत में प्रत्यक्ष कर एक तिहाई और अप्रत्यक्ष कर दो तिहाई हैं जबकि विदेशों में प्रत्यक्ष कर दो तिहाई और अप्रत्यक्ष कर एक तिहाई होते हैं। अप्रत्यक्ष कर गरीबों पर ज्यादा बोझ डालते हैं। श्री हुड्डा ने कहा कि संप्रग के शासन काल में प्रत्यक्ष कर 43 प्रतिशत और अप्रत्यक्ष कर 57 प्रतिशत के स्तर पर ले आये थे, लेकिन यह सरकार उल्टी दिशा में चल रही है। कॉरपोरेट टैक्स से अधिक इनकम टैक्स की वसूली हो रही है। कॉरपोरेट कर में इसलिए राहत दी गयी थी ताकि निवेश बढ़े। पांच साल से कोई निवेश नहीं आया तो कहते हैं कि भूराजनीतिक परिस्थितियों की वजह से नहीं आया। भारत में निजी निवेश सबसे बुरी स्थिति में है। एक साल में निवेश के मामले में आठवें स्थान से लुढ़क कर 15वें स्थान पर आ गये। उन्होंने कहा कि देश में मांग बढ़ाने के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है। जब तक देश में मांग नहीं बढ़ेगी तब तक अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होगी। इसके लिए मनरेगा में ज्यादा पैसा देना चाहिए। आम आदमी के हाथ में ज्यादा पैसा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद शुल्क से 1.72 लाख करोड़ रुपए की आय हुई और 1.42 लाख करोड़ रुपए सब्सिडी में दिये गये थे। इस प्रकार से 30 हजार करोड़ रुपए की आय हुई थी। उन्होंने कहा कि बीते वित्त वर्ष में पेट्रोलियम पदार्थों से 4.32 लाख करोड़ रुपए की आय हुई और 11 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गयी। इस प्रकार से शुद्ध आय 4.21 लाख करोड़ रुपए की हुई है। इसी प्रकार से 2014 में टोल टैक्स से तीन हजार करोड़ रुपए की आमदनी हुई थी जबकि अब यह आंकड़ा 65 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।