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जन्मदिन के दिन ही पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने ली आखिरी सांस, दिल्ली के मैक्स अस्पताल में निधन, पढ़ें जिंदगी का सफरनामा…

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नीरज सिसौदिया/राजेंद्र भंडारी , नई दिल्ली/टनकपुर
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का 93 वर्ष की उम्र में आज दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में निधन हो गया| वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी| एनडी तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे| इसके अलावा उन्होंने राज्यपाल का पद भी संभाला एवं केंद्र में राजीव गांधी कैबिनेट में वह विदेश मंत्री भी रहे थे। वर्ष 1976 में पहली बार उत्तर प्रदेश के सीएम बने. उत्तराखंड में उन्हें विकास पुरुष के नाम से भी जाना जाता है|

उनका जन्म पदमपुरी गांव, जिला नैनीताल व प्रथमिक शिक्षा गांव में व हायर एजुकेशन इलाहाबाद में हुई. उन्होंने उत्तराखंड के टनकपुर से नैनीताल एक्सप्रेस के डिब्बों का उद्घाटन किया था. काशीपुर को उद्योग हब बनाया. नोएडा का विकास कराया. इसलिए इनको विकास पुरूष के नाम से भी जाना जाता है.

वह अपनी दो शादी को लेकर भी चर्चा मे रहे थे| उनके परिवार में उनकी पत्नी और बेटा है| आजादी की लड़ाई का हिस्सा भी रहे थे| उनके निधन की पुष्टि अस्पताल प्रबंधन ने कर दी है| आजादी के बाद यूपी में हुए पहले ही चुनाव में वह नैनीताल से प्रजा समाजवादी पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक बन कर विधानसभा पहुंचे थे| 1985 से 1988 तक वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे| 1990 के दशक में एक समय उन्हें प्रधानमंत्री का दावेदार माना जा रहा था लेकिन पीवी नरसिम्हा राव को यह पद दे दिया गया| प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं मिलने का एक कारण यह भी रहा था कि वह सिर्फ 800 वोटों से लोकसभा का चुनाव हार गए थे| वह उत्तराखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया था| उज्जवला शर्मा से संबंधों को लेकर उन्हें काफी किरकिरी का सामना करना पड़ा था. इसके बाद अदालत के फैसले के बाद उन्होंने अपने बेटे को स्वीकार किया| एनडी तिवारी के पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में  थे| उस वक्त उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी| महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के आह्वान पर पूर्णानंद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था| एनडी तिवारी की शुरुआती शिक्षा हल्द्वानी, बरेली और नैनीताल में हुई थी| अपने पिता के तबादले की वजह से उन्हें एक से दूसरे शहर में रहते हुए पढ़ाई पूरी करनी पड़ी थी| 1947 में आजादी के साल ही वह विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए| 1965 में एनडी तिवारी कांग्रेस के टिकट पर काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुने गए और पहली बार मंत्रिपरिषद में उन्हें जगह मिली| 1968 में जवाहरलाल नेहरू युवा केंद्र की स्थापना के पीछे उनका बड़ा योगदान था| 1969 से लेकर 1971 तक वह यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे| जनवरी 1976 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन उनका यह कार्यकाल बेहद छोटा था| 1977 की जयप्रकाश आंदोलन की वजह से 30 अप्रैल को उनकी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा| तिवारी एकमात्र ऐसे नेता है जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रहे| 18 अक्टूबर को जन्मे|

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