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कांग्रेस की नजर शहर और कैंट सहित तीन सीटों पर, कैंट से तैयारी कर रहे बरेली कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता, पढ़ें पूर्व विधानसभा प्रत्याशी नवाब मुजाहिद हसन खां से खास बातचीत

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नीरज सिसौदिया, बरेली
वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बरेली महानगर में भारतीय जनता पार्टी जहां ओवर कॉन्फिडेंट और गुटबाजी में उलझी हुई है, वहीं विपक्ष के नेता चुनावी मोड में आ चुके हैं। समाजवादी पार्टी के डॉ. अनीस बेग, राजेश अग्रवाल और इंजीनियर अनीस अहमद खां जैसे दिग्गज जहां पहले से ही चुनावी तैयारी में जुटे हुए हैं वहीं, अब कांग्रेस के कद्दावर नेता भी मैदान में आ चुके हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस बरेली जिले में तीन सीटों पर दावा ठोकने जा रही है जिनमें प्राथमिकता शहर और कैंट सीटों की रहेगी।

नवाब मुजाहिद हसन खां

जिले में मौजूदा समय में कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक नवाब मुजाहिद हसन खां ने एक खास बातचीत में कहा कि गठबंधन के तहत कांग्रेस कितनी और कौन-कौन सी सीटों पर लड़ेगी इस पर अंतिम निर्णय तो पार्टी हाईकमान का ही होगा लेकिन हमारी प्राथमिकता कैंट और शहर विधानसभा सीटें होंगी।
कैंट और शहर विधानसभा सीटों पर दावेदारी का आधार पूछने पर नवाब मुजाहिद कहते हैं, ‘वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कैंट और शहर सीटों से बेहद शानदार तरीके से चुनाव लड़ा था। कैंट सीट पर तो हम लगभग हर राउंड में चुनाव जीत चुके थे लेकिन आखिरी दौर की मतगणना तक यह स्पष्ट हो चुका था कि प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिल चुका है, इसलिए हमें गलत तरीके से हराया गया। इसके बावजूद पूरे जिले में कैंट विधानसभा सीट से हार-जीत का अंतर सबसे कम वोटों का रहा। इसी तरह शहर विधानसभा सीट पर भी हमने कड़ी टक्कर दी थी।’

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कैंट सीट से नवाब मुजाहिद हसन खां गठबंधन के उम्मीदवार थे और उन्हें 12777 वोटों से शिकस्त झेलनी पड़ी थी जबकि शहर विधानसभा सीट कांग्रेस के एक और दिग्गज प्रेम प्रकाश अग्रवाल गठबंधन के उम्मीदवार थे। उन्हें लगभग 25 हजार से भी अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
2022 के चुनाव में पार्टी ने इन दोनों ही उम्मीदवारों को मौका नहीं दिया जिससे कैंट और शहर सीट पर पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा और कांग्रेस उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे।
नवाब मुजाहिद क्या इस बार चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं? पूछने पर वह कहते हैं, ‘बिल्कुल, अगर पार्टी मौका देगी तो मैं इस बार चुनाव जरूर लड़ूंगा। मेरी सारी उम्र कैंट की इन्हीं गलियों में गुजरी है। मैं चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हूं। गठबंधन धर्म के अनुसार कैंट सीट कांग्रेस को ही मिलनी चाहिए क्योंकि इस सीट पर हमारा दावा पहले बनता है।’
बता दें कि बरेली जिले में कुल नौ विधानसभा सीटें पड़ती हैं। इनमें बहेड़ी और भोजीपुरा सीट पर समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। इसलिए इन दोनों सीटों पर पहला दावा समाजवादी पार्टी का ही बनता है। अगर किन्हीं कारणों से सपा ये सीटें खुद ही छोड़ दे तो भले ही कांग्रेस यहां अपना उम्मीदवार उतार सकती है।
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने अभी से विधानसभा के लिए प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर दी है। कुछ नेताओं को वह व्यक्तिगत तौर पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने के लिए कह भी चुके हैं। क्या कांग्रेस हाईकमान की ओर से भी ऐसी कोई कवायद शुरू की गई है? पूछने पर नवाब मुजाहिद हसन खां कहते हैं, ‘कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है और इस समय देश के चार राज्यों में चुनाव हैं। पार्टी हाईकमान अभी जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में जुटा हुआ है। इन चुनाव को बाद ही यूपी के संबंध में कोई विमर्श होने की संभावना है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर संगठन पूरी तैयारी में जुटा है।’
बहरहाल, कैंट और शहर विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी समाजवादी पार्टी के कई नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है। निश्चित तौर पर कांग्रेस हाईकमान भी उन्हीं सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहेगा जहां जीत की संभावना अधिक हो। ऐसे में संभव है कि शहर और कैंट सीटें कांग्रेस के हिस्से में चली जाएं या फिर महानगर की एक सीट कांग्रेस और दूसरी सपा के खाते में आ जाए।

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