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भोजीपुरा में ‘अबकी बार श्रुति गंगवार’, संकट में शहजिल इस्लाम का सियासी भविष्य, जानिये क्या है वजह?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली जिले की सियासत में इन दिनों एक नाम खासा सुर्खियां बटोर रहा है। यह नाम है बरेली की राजनीति के ‘पितामह’ और झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार की पुत्री और अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक, बरेली की अध्यक्ष श्रुति गंगवार का। संतोष गंगवार को झारखंड का राज्यपाल बनाए जाने के बाद से ही श्रुति गंगवार के चुनावी राजनीति में उतरने की संभावनाएं प्रबल हो गई थीं। लोकसभा चुनाव के बाद से ही इस बात की चर्चाएं आम हो गई हैं कि श्रुति गंगवार नवाबगंज या भोजीपुरा विधानसभा सीट से आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हो सकती हैं। ये कयास यूं ही नहीं लगाए जा रहे हैं बल्कि इन दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में उनकी तेजी से बढ़ती गतिविधियों के कारण इलाके के लोगों को भी यह लगने लगा है कि श्रुति गंगवार उनके क्षेत्र से विधानसभा उम्मीदवार हो सकती हैं। श्रुति यहां के गांव-गांव में होने वाले सार्वजनिक आयोजनों में लगातार अपनी मौजूदगी दर्ज कराती आ रही हैं। खास तौर पर भोजीपुरा विधानसभा क्षेत्र में।
कुर्मी बहुल भोजीपुरा विधानसभा क्षेत्र के लोग तो कहने भी लगे हैं कि भोजीपुरा में अबकी बार, श्रुति गंगवार।


दरअसल, भोजीपुरा सीट से श्रुति गंगवार के चुनाव लड़ने की संभावनाओं के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। पहला यह कि 2022 के चुनाव में भोजीपुरा सीट से भाजपा प्रत्याशी बहोरन लाल मौर्य को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार शहजिल इस्लाम से लगभग दस हजार वोटों से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। उसके बाद बहोरनलाल मौर्य एमएलसी चुनाव लड़े और जीतकर विधान पार्षद बन गए। ऐसे में कुर्मी बहुल इस विधानसभा सीट पर भाजपा को एक नए चेहरे की तलाश है। ये चेहरा ऐसा होना चाहिए जो विवादित न हो और राजनीतिक तौर पर उसकी स्वीकार्यता भी हो। श्रुति गंगवार इन दोनों ही पैमानों पर खरी उतरती हैं।

अगर श्रुति इस सीट से दावेदारी करती हैं तो उनके खिलाफ कोई भी बड़ा कुर्मी नेता उतरने का साहस शायद ही कर पाए क्योंकि श्रुति बरेली के सबसे बड़े कुर्मी नेता संतोष गंगवार की पुत्री हैं। संतोष गंगवार ने अपने लगभग चार दशक से भी अधिक समय के राजनीतिक करियर में सियासत की जिन बुलंदियों को हासिल किया है उसके पीछे एक बड़ी भूमिका उनके कुर्मी चेहरे की ही रही है। साथ ही संतोष गंगवार वो नेता हैं जिनके चाहने वालों में भोजीपुरा के सिर्फ कुर्मी ही नहीं बल्कि एक बड़ा मुस्लिम वोटर भी शामिल है।

यही वजह नजर आती है कि श्रुति गंगवार ने 2022 से ही 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। फरवरी 2022 में श्रुति गंगवार ने अपना एक फेसबुक पेज बनाया जिस पर मौजूदा समय में 24 हजार से भी अधिक फॉलोअर हैं।
यह पेज सिर्फ नाममात्र का पेज नहीं है बल्कि यहां आप श्रुति गंगवार की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों के बारे में जान सकते हैं।


अब सवाल यह उठता है कि श्रुति गंगवार के मैदान में उतरने से शहजिल इस्लाम का सियासी भविष्य खतरे में कैसे पड़ जाएगा?
दरअसल, शहजिल इस्लाम की चुनावी सियासत तो 2022 में ही खतरे में पड़ चुकी थी लेकिन उस वक्त बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार योगेश पटेल ने उन्हें बचा लिया। योगेश पटेल भाजपा से टिकट चाहते थे लेकिन भाजपा ने उनकी जगह बहोरनलाल मौर्य पर भरोसा जताया। इस पर योगेश पटेल बसपा से टिकट ले आए और कुर्मी वोट काटने में सफल रहे। जब चुनाव नतीजे आए तो शहजिल इस्लाम को 119402 वोट मिले और बहोरनलाल मौर्य को 109993 वोट मिले। बहोरन लाल को लगभग दस हजार वोटों से शिकस्त झेलनी पड़ी। वहीं, बसपा के योगेश पटेल को 26909 वोट मिले। कुर्मी वोटों के बिखराव के चलते शहजिल इस्लाम विधानसभा पहुंच गए। लेकिन अगर बहोरनलाल की जगह श्रुति गंगवार मैदान में होतीं तो इतनी बड़ी संख्या में कुर्मी वोटों का बिखराव नामुमकिन था। साथ ही अगर इन वोटों का बिखराव हो भी जाता तो भी संतोष गंगवार के मुस्लिम समर्थकों के वोटों से इस बिखराव को पाटा जा सकता था जो बहोरनलाल नहीं कर सके।


श्रुति की राह आसान होने की एक वजह भोजीपुरा में शहजिल इस्लाम के अपनी ही पार्टी के कुछ दिग्गज नेता भी हैं। इन नेताओं को संतोष गंगवार का पूरा संरक्षण मिलता रहा है जिसके कारण लोकसभा चुनाव में संतोष गंगवार का दबदबा लगभग चार दशक से चला आ रहा है। पिता की ये ताकत श्रुति गंगवार के सुनहरे राजनीतिक भविष्य के संकेत दे रही है। विधानसभा चुनाव में भले ही अभी दो साल से भी अधिक वक्त शेष है लेकिन श्रुति गंगवार की सक्रियता बता रही है कि भोजीपुरा का राजनीतिक खेल अगले चुनावों में पलटने जा रहा है।

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