यूपी

अनीस बेग और राजेश अग्रवाल के बाद कैंट की जंग में ऐरन की री-एंट्री, अबकी बार दो साल पहले से ही शुरू की तैयारी, पार्षदों और पार्टी नेताओं की बुलाई थी दावत, जानिये फिर क्या हुआ?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सभी दलों का फोकस एक बार फिर उत्तर प्रदेश पर है। खास तौर से इंडिया गठबंधन के प्रमुख घटक दलों ने 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी जोर-शोर से शुरू कर दी। कांग्रेस ने जहां यूपी की संगठन की जिला और महानगर इकाइयां भंग कर दी हैं वहीं, समाजवादी पार्टी के टिकट के दावेदार भी चुनावी मोड में आ गए हैं। ऐसा ही कुछ बरेली की सियासत में भी देखने को मिल रहा है। बरेली कैंट विधानसभा सीट पर डॉक्टर अनीस बेग और राजेश अग्रवाल के बाद अब सुप्रिया ऐरन की भी री-एंट्री हो चुकी है। री-एंट्री इसलिए क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में वह इसी सीट से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार थीं।
बताया जाता है कि ऐरन दंपति की ओर से कुछ दिन पहले एक दावत का आयोजन किया जा रहा था। इस दावत में पार्टी के पार्षद, पूर्व पार्षद और संगठन के कुछ पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया था। लेकिन जिस दिन यह दावत बुलाई गई थी उसी दिन मीरगंज के पूर्व विधायक सुल्तान बेग के परिवार में एक शादी थी जिसमें प्रवीण सिंह ऐरन और उनकी पत्नी सुप्रिया ऐरन दोनों आमंत्रित थे। पार्टी के कई नेताओं का जुटान भी उस शादी समारोह में होना था। ऐसे में ऐरन ने अपने घर पर बुलाई गई दावत रद्द कर दी और खुद सुल्तान बेग की दावत में शरीक होने चले गए। बताया जाता है कि ऐरन ने मैसेज के माध्यम से अपनी दावत में आमंत्रित सभी नेताओं बाकायदा खेद जताते हुए उन्हें दावत रद्द होने की सूचना भी दी। बताया जाता है कि यह दावत जल्द ही दोबारा बुलाई जाने वाली है।
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में ऐन वक्त पर कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हुईं सुप्रिया ऐरन टिकट भी ले आईं और चुनाव भी लड़ीं। पिछली बार उन्हें प्रचार का पर्याप्त समय नहीं मिल पाया था। चूंकि उन्हें कांग्रेस ने भी प्रत्याशी बनाया था और कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर उनके पोस्टर पूरे विधानसभा क्षेत्र में छाए हुए थे इस वजह से उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन उन्होंने भाजपा के संजीव अग्रवाल को कड़ी टक्कर दी थी। उनकी हार का अंतर शहर विधानसभा सीट से पार्टी उम्मीदवार रहे राजेश अग्रवाल की हार से लगभग आधा था। राजेश अग्रवाल की हार का अंतर अधिक होने की एक वजह यह भी रही कि वह कैंट से चुनाव लड़ना चाहते थे और उनका घर भी कैंट सीट पर पड़ता है लेकिन इसके उलट उन्हें शहर सीट से मैदान में उतार दिया गया।
ऐरन दंपति जब कांग्रेस में थे तो उनके बारे में कहा जाता था कि चुनाव लड़ने के बाद वो गुमशुदा हो जाते हैं और कहीं नजर नहीं आते। लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं है। सुप्रिया ऐरन और प्रवीण सिंह ऐरन पार्टी के कार्यक्रमों से लेकर शादी समाराेह, खुशी और गमी हर जगह अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भी उनकी राजनीति में सक्रियता लगातार बनी हुई है। पहले दो साल उन्होंने लोकसभा चुनाव की तैयारी की और अब विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।
इसकी एक वजह यह भी मानी जा रही है कि डॉक्टर अनीस बेग और राजेश अग्रवाल जैसे नेता पहले से ही विधानसभा चुनाव में पूरी तरह एक्टिव हैं और कई कार्यक्रमों का आयोजन भी करा चुके हैं। हालांकि, ऐरन की एंट्री से अनीस बेग को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन राजेश अग्रवाल की दावेदारी जरूर मुश्किल में पड़ सकती है।

डॉ. अनीस बेग और राजेश अग्रवाल।

इसकी कुछ प्रमुख वजहें हैं। राजेश अग्रवाल और सुप्रिया ऐरन, दोनों ही वैश्य समाज से आते हैं। राजनीतिक पृष्ठभूमि के मामले में ऐरन दंपति राजेश अग्रवाल से अधिक मजबूत नजर आते हैं लेकिन आम जनता के बीच सक्रियता के लिहाज से राजेश अग्रवाल ज्यादा आगे दिखाई पड़ते हैं। ऐरन दंपति अगर अभी से चुनावी मोड में आ जाते हैं तो यह मिथक भी टूट जाएगा कि वो सिर्फ चुनावों में ही एक्टिव होते हैं। शायद इसी मिथक को तोड़ने के लिए ऐरन दंपति अब दावतों और बैठकों का सिलसिला तेज करने की तैयारी कर रहे हैं।
बहरहाल, पूरे शहर की नहरें ऐरन परिवार की दावत पर टिकी हुई हैं। फिलहाल दावत की कोई नई तारीख तय नहीं हुई है। सूत्र बताते हैं कि शादियों के सीजन की वजह से कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई है। अब नए साल में ही दावतों का नया दौर शुरू होगा।

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