गया वक़्त फिर से हाथ
आता नहीं है।
टूटा यकीन तो साथ छूट
जाता वहीं है।।
तू आगे के जन्नत की
बात मत सोच।
जो भी स्वर्ग नर्क बस तू
पाता यहीं है।।
नफरत तो जहर है तो क्या
जरूरत पीने की।
जरूरत है तो बस रिश्तों की
तुरपाई सीने की।।
जिन्दगी जियो कुछ अंदाज़
नज़र अंदाज़ से।
जरूरत होती है कभी अपनों
के दर्द पीने की।।
रास्ता गलत है तो वक़्त से
छोड़ देना चाहिए।
बिगड़े कोई बात तो बात को
मोड़ देना चाहिए।।
फल पकते तो फिर पत्थर
भी मिलते हैं।
बात हो स्वाभिमान की तो
झकझोर देना चाहिए।।
तेरा अन्तस ही तेरा अपना
भगवान होता है।
बताता सही गलत क्या
नुकसान होता है।।
अंतरात्मा कराती है दिशा
बोध हर वक़्त।
जो समय से संभले वही
सच्चा इंसान होता है।।
रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस”
मो. 9897071046, 8218685464