नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजसेवा और राजनीति के क्षेत्र में थोड़े ही समय में बड़ा मुकाम हासिल करने वाले पूर्व उपसभापति और भाजपा पार्षद अतुल कपूर जहां कोरोना काल में भोजन वितरण कर लोगों का सहारा बने वहीं अब उमस भरी गर्मी को देखते हुए शुद्ध शीतल जल की नि:शुल्क व्यवस्था करने में जुट गए हैं. वैसे तो वह यह पहल अप्रैल में ही शुरू करने जा रहे थे लेकिन कोरोना संकट के चलते यह सेवा कार्य परवान नहीं चढ़ सका. अतुल कपूर यह कार्य अरुणा फाउंडेशन नामक गैर सरकारी संगठन के बैनर तले कर रहे हैं. वह स्वयं इस संस्था के अध्यक्ष भी हैं और कोरोना काल में भोजन वितरण का कार्य भी उन्होंने इसी संस्था के बैनर तले किया था. बरेली की सड़कों पर आने जाने वाले राहगीरों के लिए अतुल कपूर ने बीस स्थानों पर शुद्ध शीतल जल की नि:शुल्क व्यवस्था कराई है.
अतुल कपूर बताते हैं, ‘मेरी योजना तो अप्रैल माह से ही यह सेवा कार्य शुरू करने की थी लेकिन लॉकडाउन और कोरोना के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए हमने उस वक्त इस कार्य की जगह कोरोना प्रभावितों के लिए भोजन वितरण का कार्य शुरू कर दिया था. अब जबकि योगी सरकार के प्रयासों से प्रदेश में आम जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है तो प्याऊ के जरिये शुद्ध शीतल पेयजल उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया.’
मई एवं जून का महीना भीषण गर्मी के लिए जाना जाता है. अब जुलाई का महीना शुरू होने वाला है. ऐसे में अतुल कपूर ने अब इस सेवा कार्य को क्यों शुरू किया? मानसून सीजन में शुद्ध शीतल जल के प्याऊ लगाना कितना उपयोगी है? पूछने पर अतुल कपूर कहते हैं, ‘शुद्ध शीतल जल की उपयोगिता कभी खत्म नहीं होती. हम इस योजना को अगर अप्रैल से भी शुरू करते तो भी कम से कम अगस्त तक तो जरूर संचालित करते क्योंकि बरेली शहर में गर्मी जून माह में खत्म नहीं होती बल्कि सितंबर तक इसका असर रहता है. मई और जून में वैसे भी कई सामाजिक संगठन पानी की व्यवस्था करते हैं लेकिन जुलाई-अगस्त माह की उमस भरी गर्मी में जब शुद्ध शीतल पेयजल की सबसे अधिक आवश्यकता होती है तो सड़कों से प्याऊ और समाजसेवी दोनों गायब हो जाते हैं. इसलिए हमने शुद्ध शीतल पेयजल की नि:शुल्क व्यवस्था की है. इसका लाभ हर वर्ग को मिलेगा. चाहे वह कोई कार वाला हो या रिक्शे वाला. ‘
अतुल कपूर की यह योजना गरीब बेरोजगारों के लिए आमदनी का माध्यम भी बन रही है. अतुल कपूर बताते हैं, ‘ हमने शहर के 20 स्थानों पर 40 शीतल पेयजल के मटके लगाए हैं. साथ ही शुद्ध शीतल पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सुविधा शुल्क पर सहयोगी भी रखे हैं जो यह सुनिश्चित करेंगे कि मटकों में पानी बना रहे. वह सुबह मटके भरेंगे और शाम को उन्हें सुरक्षित यथा स्थान पर रखेंगे. साथ ही प्याऊ स्थल पर साफ सफाई की व्यवस्था भी करेंगे. इसके एवज में संस्था की ओर से उन्हें प्रतिमाह एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाएगा जिससे उनका भरण पोषण हो सके. इससे न सिर्फ लोगों को फायदा होगा बल्कि उन युवाओं को भी रोजगार देने की मंशा थी जो हमारे सहयोगी के रूप में कार्य करेंगे.’
अरुणा फाउंडेशन की इस पहल की पूरे शहर में सराहना की जा रही है. अरुणा फाउंडेशन ने इस पहल में मटके को प्राथमिकता दी है. इसकी वजह के बारे में अतुल कपूर कहते हैं, ‘मटके को प्राथमिकता इसलिए दी गई है कि कोरोना काल में डॉक्टर्स द्वारा ठंडे पानी से दूरी बनाने की सलाह दी गई है. मटके के जल में अपने देश की खुशबू के साथ साथ अपनी पुरानी संसकृति को भी संजोने का प्रयास किया गया है। माना जाता है कि मटके का पानी दमा, लकवा, गैस व कफ़ की बीमारी में लाभदायक है. वहीं यह पानी हार्ट अटैक जैसी बीमारी से भी बचाता है। इससे स्वदेशी को भी बढ़ावा मिलेगा.’
फाउंडेशन द्वारा मंगलवार को 40 मटके लगाए गए हैं. अतुल कपूर ने कहा कि जरूरत पड़ी तो अन्य जगहों पर भी यह सुविधा शुरू की जाएगी। यह सुविधा अभी शील चौराहा, डी.डी. पुरम, सेलेक्शन प्वाइंट चौराहा, धर्मकांटा चौराहा, गंगापुर चौराहा, गंगाशील पार्क, गली आर्य समाज, बरेली कॉलेज गेट, गंगाचरण अस्पताल एवं अन्य स्थानों पर उपलब्ध कराई गई है. इसका शुभारम्भ अरूणा फाउण्डेशन के अध्यक्ष अतुल कपूर की माता अरूणा कपूर द्वारा किया गया। नगर निगम के पूर्व उपसभापति व मौजूदा पार्षद व अरुणा फाउंडेशन के अध्यक्ष अतुल कपूर ने बताया कि जल ही जीवन है. यदि हम जल नहीं पिएंगे तो जीवित नहीं रह सकते. सभी की सहूलियत को देख कर ये प्याऊ शहर के विभिन्न स्थानों पर रखे गए हैं. इसके साथ ही इनकी देखरेख और साफ-सफाई का भी विशेष रूप से ध्यान रखा जाएगा। उद्घाटन कार्यक्रम में अरूणा फाउंडेशन के सदस्य प्रवेश उपाध्याय, मीनू उपाध्याय, तरूण सहानी, हरीश विग, वन्दिता शर्मा, रोहित खण्डेलवाल, शैफाली खण्डेलवाल, अमित सरपाल, संजू गुप्ता, सोनिया कपूर, अमित कपूर, शिवम् कपूर, शोभा टंडन आदि लोग उपस्थित रहे ।