नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली की सियासत के महारथियों में शुमार समाजवादी पार्टी के पूर्व महानगर अध्यक्ष और बरेली नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर मरहूम डॉ. मोहम्मद खालिद के पुत्र फैजर नवाब अपने पिता के अधूरे सपनों को साकार करने के लिए उन्हीं के नक्श-ए-कदम पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने अपनी सक्रिय राजनीतिक पारी की शुरुआत कांग्रेस से शुरू की है। इसकी वजह यह रही कि उनके पिता डॉ. खालिद भी अपने अंतिम समय में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस ने भी दिवंगत नेता के इस युवा सुपुत्र को पूरा सम्मान देते हुए पार्टी की सोशल आउटरीच ईकाई के जिला अध्यक्ष पद से नवाजा है।
बता दें कि फैजर नवाब को सियासत अपने पिता डॉ. खालिद से विरासत में मिली है। उन्होंने सियासत के गुर भी अपने पिता से सीखे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वह कुछ मौकों पर अपने पिता के साथ पार्टी के समर्थन में काम करते नजर आए थे। अब उनके कांग्रेस में एक अहम पद पर आसीन होने के बाद पार्टी को भी मजबूती मिलेगी।
बता दें कि डॉ. खालिद एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ ही कुशल रणनीतिकार भी थे। इसी वजह से वह न सिर्फ सपा के दिग्गज वीरपाल सिंह यादव के करीबियों में शुमार थे बल्कि सपा के दिग्गज नेता शिवपाल यादव के भी बेहद करीबी थे। डॉ. खालिद एकमात्र ऐसे नेता रहे जो पार्टी के पास बहुमत न होने के बावजूद अपनी रणनीति के चलते डिप्टी मेयर पद पर आसीन हुए थे। उन्होंने भाजपा के तत्कालीन दिग्गज माने जाने वाले गुलशन आनंद को पराजित किया था। इस हार के बाद गुलशन आनंद कभी अपना अलग राजनीतिक वजूद स्थापित नहीं कर पाए।
डॉ. खालिद आम आदमी के बीच गहरी पैठ रखते थे। उनके विरोधी दलों के नेताओं से भी गहरे रिश्ते रहे। इसका फायदा फैजर नवाब को जरूर मिलेगा। खास तौर पर कैंट विधानसभा सीट पर यह युवा चेहरा कांग्रेस को मजबूती दिलाने में कारगर साबित हो सकता है।
फैजर नवाब की इस राजनीतिक पारी के कई मायने हैं। इसने समाजवादी पार्टी को एक संदेश भी दिया है कि मुस्लिम सिर्फ समाजवादी पार्टी का जागीर नहीं है। युवा मुस्लिम नेता अब कांग्रेस को पसंद कर रहे हैं।
