पंजाब

भगवंत मान सरकार के अभियान ने उड़ाए नशा तस्करों और उनके गुर्गों के होश, विदेश में बैठे गुर्गों में भी मचा हड़कंप, खुलने जा रही है 2011 की लिस्ट, नशा तस्करों के सहयोगी कथित पत्रकारों की भी फंसेंगी गर्दनें, पढ़ें क्या है पूरा मामला?

Share now

नीरज सिसौदिया, जालंधर
नशा तस्करों को जड़ से उखाड़ फेंकने की पंजाब की ईमानदार भगवंत मान सरकार की मुहिम का असर अब दिखने लगा है। आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से शुरू किया गया ‘युद्ध विरुद्ध नशा’ अभियान अब रफ्तार पकड़ चुका है। खास तौर पर जालंधर में नामी नशा तस्करों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद यहां के लगभग दो दर्जन से भी अधिक नशा तस्करों के साथ ही विदेशों में बैठे उनके गुर्गों में भी हड़कंप मच गया है। वो अब विदेश में बैठकर लोगों से नशा तस्करों का सहयोग करने की अपील कर रहे हैं। वो गुर्गे उन नशा तस्करों को आम आदमी बता रहे हैं जिन पर दर्जन भर मुकदमे दर्ज हैं। सूत्र बताते हैं कि उन तथाकथित पत्रकारों सह नशा तस्करों के गुर्गों का भी काला चिट्ठा अब सामने आने वाला है।
बता दें कि वर्ष 2011 के दौरान जालंधर में गौरव यादव बतौर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तैनात थे। उस वक्त नशा तस्करों और उनके सहयोगियों की एक सूची पुलिस ने बनाई थी। इस सूची में कुछ पत्रकारों के भी नाम थे जो नशे के कारोबार में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे। इसके बाद एक पत्रकार को एक प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक ने बर्खास्त कर दिया था। बर्खास्तगी के बाद भी इस तथाकथित पत्रकार ने नशा तस्करों का साथ नहीं छोड़ा और वो एक पोर्टल की आड़ में अपने काले कारनामों को अंजाम देता रहा और विदेशों के टूर करता रहा। इस दौरान उसे एक युवा नेता का प्रश्रय मिल गया। यह युवा नेता बाद में विधायक भी बना। फिलहाल वह पूर्व विधायक है। अब जब नशा तस्करों के अवैध निर्माणों पर पंजाब सरकार का बुलडोजर एक्शन तेज हो गया है तो इन गुर्गों की गर्दन भी फंसती नजर आ रही है। सूत्र बताते हैं कि पंजाब सरकार वर्ष 2011 की उस लिस्ट की तलाश में जुट गई है। साथ ही इन गुर्गों के पिछले दो साल के कॉल रिकॉर्ड भी खंगाले जाएंगे कि इन लोगों की जेल में बंद किन-किन तस्करों से बात हुई। नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले सुखदेव वशिष्ठ को एक फर्जी मामले में फंसाने की साजिश रची जा रही है।  बताया जाता है कि यह सब कुछ विपक्ष के एक पूर्व विधायक के इशारे पर किया जा रहा है जो कभी आम आदमी पार्टी में था लेकिन ईमानदार सरकार की ईमानदारी उसे रास नहीं आई और वह बीच में पार्टी छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो गया। अब इस गुर्गे के साथ ही उन नेताजी की गर्दन भी फंस सकती है। बौखलाहट में नशा तस्करों के गुर्गे ने यह भी स्वीकार कर लिया कि नशा तस्करों के ही नहीं बल्कि उस इलाके में कई इमारतें और कॉलोनियां नियमों को ताक पर रखकर बनाई गई हैं।
बताया जाता है कि यह गुर्गा नेतागीरी भी करता था और नशा तस्करों से अलग-अलग राशि वसूल करता था। सूत्र बताते हैं कि नगर निगम के सिंघम ने जिन दो नशा तस्करों के अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाया है उनमें से एक तस्कर से यह गुर्गा 25 हजार रुपए और दूसरे से एक लाख रुपए महीना सुविधा शुल्क वसूलता था और पुलिस एवं अन्य सरकारी विभागों से बचाने का झांसा देता था।
अब 2011 वाली लिस्ट के साथ ही कई राज खुलने वाले हैं और अपने आकाओं को दिलासा देने वाला यह गुर्गा भी सलाखों के पीछे नजर आएगा।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *