पंजाब

काले धन के कुबेर-1 : मां चाय बेचती थी पिता फैक्ट्री में करते थे मजदूरी, बेटा बन गया करोड़ों का मालिक, पढ़ें जालंधर के कपूर की कहानी

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
जरूरतों ने पर काट दिये और रोटी पैरों की जंजीरें बन गई थीं. चार मासूम बच्चों का पेट पालने के लिए पिता दिन रात लीडर फैक्टरी में मेहनत मजदूरी करता था और मां चाय और कढ़ी चावल बेचकर बच्चों का निवाला जुटाने को मशक्कत करती थी. लेकिन दोनों ने कभी भी गलत रास्ता इख्तियार नहीं किया. बेटा ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था. कुछ बड़ा हुआ तो पेट की आग और हाईप्रोफाइल लाइफ स्टाइल की चाहत ने उसे गलत रास्ते पर लाकर खड़ा कर दिया. कुछ सालों में ही वह करोड़पति बन गया. यह कहानी है जालंधर के किशनपुरा में कारोबार करने वाले के. कपूर की.
कपूर के पिता वर्षों पहले लीडर फैक्ट्री में काम किया करते थे और उसकी मां धानक मोहल्ले में चाय और कढ़ी चावल बेचती थी. दोनों किसी तरह से बस इतना ही कमा पाते थे कि परिवार का गुजारा जैसै तैसे चलता रहता था. कपूर ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था पर चाहत खूब पैसा कमाने की थी. बात लगभग 10-12 साल पहले की है. उन दिनों लॉटरी का धंधा जोरों पर था. कपूर को समझ आ गया था कि सीधे रास्ते से वह कभी करोड़पति नहीं बन सकता है इसलिए वह दड़े सट्टे के कारोबार में घुस गया. कपूर का भाग्य यहीं से चमकना शुरू हुआ. इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. पहले उसने किशनपुरा चौक के पास लॉटरी की दुकानें खोलीं. यहां से पैसा कमाने के बाद वह फाइनांसर बन गया. जिस कपूर के पास कुछ साल पहले तक गुजारे भर के पैसे नहीं होते थे, अब वही कपूर लोगों को ब्याज पर पैसे देने लगा. धीरे धीरे कपूर के पास काले धन का खजाना बढ़ता जा रहा था. अब उसे जरूरत थी राजनीतिक संरक्षण की. ऐसे में कपूर के पास एक ही विकल्प था. वह इलाके के सबसे दबंग नेता की शरण में जा पहुंचा. नेता ने भी उसका पूरा साथ दिया. इसके बाद करोड़ों की काली कमाई को सुरक्षित करने के लिए कपूर ने प्रॉपर्टी खरीदनी शुरू की.
शहर में उसने कई जगह प्लॉट खरीदे, कोठी बनाई और दुकानें भी बनाईं. उसकी अचल संपत्ति की लिस्ट बहुत लंबी है. रविदास रोड पर बलदेव नगर में उसकी कई दुकानें हैं. कपूर आकाश कॉलोनी में दो प्लॉट, सेठी इंडस्ट्री से कुछ दूरी पर कोठी, बलदेव नगर में लगभग 40-45 मरले का प्लॉट और मुस्लिम कॉलोनी में दफ्तर समेत कई नामी बेनामी संपत्तियों का मालिक है. उपकार नगर रोड पर भी उसकी दुकानें थीं जिन्हें वह अब बेच चुका है. सूत्र बताते हैं कि कपूर ने यह सारी दौलत और संपत्तियां दड़े सट्टे की काली कमाई से ही जुटाई है. असल में ये उन लोगों के खून पसीने की कमाई है जो दिन रात मेहनत मजदूरी करते हैं और सिर्फ इस उम्मीद में दड़े सट्टे का धंधा करने वालों के झांसे में फंसते कि किसी दिन उनका भी नंबर लगेगा और वह भी लखपति बन जाएंगे. लेकिन उनकी जिंदगी में न कभी उनका नंबर आता है और न कभी वह दिन आता है जब वह लखपति बन सकें. उनके ये सपने कपूर जैसे धंधेबाजों के अरमान जरूर पूरे कर देते हैं.
दिलचस्प बात तो यह है कि आयकर विभाग का छापा ऐसे काले धन के कुबेरों के घर पर कभी नहीं पड़ता. आयकर विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के चलते ऐसे धनकुबेर सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व का चूना लगा रहे हैं. समाज के लिए ऐसे लोग अभिशाप बन गए हैं. अगर कपूर के मामले की सीबीआई या ईडी की स्पेशल टीम से जांच कराई जाए तो करोड़ों रुपये के कालेधन का खुलासा हो सकता है. बहरहाल, किशनपुरा में कपूर का दड़े सट्टे का कारोबार बेरोकटोक चल रहा है. न तो स्थानीय पुलिस को इसकी भनक लगी है और न ही आयकर विभाग को. इस संबंध में जब कपूर से फोन कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने मीटिंग में व्यस्त होने की बात कह कर बाद में बात करने को कहा. इसके बाद से उनका फोन नॉट रीचेबल आ रहा है. अगर वह चाहें तो मोबाइल नंबर 7528022520 पर फोन कर अपना पक्ष दे सकते हैं. हम उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे. अगली किस्त में हम आपको बताएंगे कि कपूर के पास करोड़ों रुपये का सोना कैसे आया, किस बीजेपी नेता का फाइनांसर था कपूर, इलाके के किस बड़े नेता का है कपूर पर हाथ और किस पार्टी से निगम चुनाव लड़ने के लिए टिकट की लाइन में खड़ा था कपूर और पार्टी ने क्यों काटी कपूर की टिकट. कपूर के कारनामों का सच जानने के लिए पढ़ते रहें www.indiatime24.com.

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