पंजाब

पांच साल से नरेंदर शर्मा के गुनाहों की सजा भुगत रहे राजेंदर शर्मा, सीएम की लुटिया डुबोने की तैयारी कर रहे चंडीगढ़ में बैठे अधिकारी, पढ़ें क्या है मामला?

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नीरज सिसौदिया, चंडीगढ़
स्थानीय निकाय विभाग भले ही सीएम भगवंत मान ने अपने पास रखा है मगर अधिकारियों की अंधेरगर्दी रोकने में वह कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। चंडीगढ़ में बैठे अधिकारी सीएम की लुटिया डुबोने की तैयारी कर रहे हैं। इसका जीता- जागता उदाहरण वर्तमान में जालंधर नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच में तैनात पूर्व एटीपी राजेंदर शर्मा के रूप में देखने को मिल रहा है। पिछले पांच साल से राजेंदर शर्मा उस गुनाह की सजा काट रहे हैं जो उन्होंने किया ही नहीं। असल गुनहगार को प्रमोट करके एमटीपी बना दिया गया और राजेंदर शर्मा को क्लीन चिट देने के बाद फिर से दोषी बना दिया गया। पहले अमृतसर और वर्तमान में मोगा में तैनात एमटीपी नरेंदर शर्मा पर आला अधिकारी इतने मेहरबान क्यों हैं, यह जांच का विषय है। मामले की सही तरीके से जांच हो तो सेक्रेटरी से लेकर दो निगम कमिश्नर और उनके पीए सहित कई अधिकारियों की गर्दनें नप सकती हैं। लेकिन भ्रष्टाचारियों का गठजोड़ इतना मजबूत है कि उनकी गर्दन नापने की जगह बेगुनाहों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।

नरेंदर शर्मा

यह मामला अमृतसर में होटलों के निर्माण से जुड़ा है। यहां वैसे तो सैकड़ों होटल अवैध रूप से बनाए गए और अब भी बनाए जा रहे हैं लेकिन हम सिर्फ उन छह होटलों की बात करते हैं जिनमें राजेंदर शर्मा को आरोपी बनाया गया था। इस मामले की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी। तब राजेंदर शर्मा को जिन 6 होटलों का अवैध निर्माण राजेंदर शर्मा के कार्यकाल में दर्शाया गया था उनमें से एक होटल ऐसा था जिसके अवैध निर्माण के लिए एक अन्य बिल्डिंग इंस्पेक्टर को भी जिम्मेदार ठहराया गया। जांच हुई तो राजेंदर शर्मा के खाते से दो होटल हटा दिए गए और उन्हें चार होटलों का आरोपी बना दिया गया। इन होटलों का निर्माण जब हुआ उस वक्त नरेंदर शर्मा ड्राफ्ट मैन के पद पर अमृतसर में तैनात थे और उन्हें बिल्डिंग इंस्पेक्टर का चार्ज दे दिया गया था। बाद में तत्कालीन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने राजेंदर शर्मा को रिवर्ट करते हुए हेमंत बत्रा को निजी रंजिश के चलते डिसमिस कर दिया था। इसके बाद राजेंदर शर्मा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद एसीएस सतीश चंद्रा के दरबार में मामला पहुंचा। उन्होंने राजेंदर शर्मा को बुलाकर पूछताछ की तो सारा दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। यह स्पष्ट हो चुका था कि जिस वक्त अवैध होटलों का निर्माण हुआ उस वक्त राजेंदर शर्मा उन इलाकों में बिल्डिंग इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात नहीं थे। उनकी जगह नरेंदर शर्मा को चार्ज दिया गया था। सतीश चंद्रा ने राजेंदर शर्मा को क्लीन चिट देते हुए फिर से एटीपी बना दिया। यह बात वर्ष 2021 की है। चूंकि राजेंदर शर्मा नरेंदर शर्मा से सीनियर हैं और वर्ष 2020 में उनका एमटीपी पद पर प्रमोशन ड्यू था जो इस मामले के चलते रुका हुआ था, इसलिए क्लीन चिट मिलते ही राजेंदर शर्मा का एमटीपी बनना तय हो गया।

इसी होटल के लिए राजेंदर शर्मा पर की गई है कार्रवाई मगर होटल पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

राजेंदर शर्मा को क्लीन चिट मिलते ही नरेंदर शर्मा की गर्दन फंसनी तय थी क्योंकि सेक्टर एक के कटरा आहलूवालिया स्थित जिस होटल जीटी हैरिटेज के लिए राजेंदर शर्मा को दोषी ठहराया गया था उसका निर्माण अमृतसर नगर निगम द्वारा हाईकोर्ट में दिए गए लिखित जवाब के मुताबिक वर्ष 2003-04 में हुआ था। उसी अमृतसर नगर निगम के कमिश्नर के एक आदेश के मुताबिक राजेंदर शर्मा अमृतसर नगर निगम के सेक्टर नंबर एक में 26 दिसंबर 2001 से दस जून 2002 तक ही बिल्डिंग इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात रहे। इसके बाद राजेंदर शर्मा को सेक्टर नौ और दस में पोस्टिंग दे गई और उनकी जगह ड्राफ्टमैन नरेंदर शर्मा को बिल्डिंग इंस्पेक्टर का चार्ज देते हुए सेक्टर एक की जिम्मेदारी दी गई जिसके अवैध होटल के निर्माण के लिए वर्तमान प्रिंसिपल सेक्रेटरी अजय कुमार सिन्हा ने राजेंदर शर्मा को रिवर्ट कर दिया है। नरेंदर शर्मा सेक्टर एक में एक अगस्त 2003 तक बतौर बिल्डिंग इंस्पेक्टर तैनात रहे। वहीं, राजेंदर शर्मा दस जून 2002 के बाद कभी भी उस सेक्टर में तैनात ही नहीं रहे तो फिर राजेंदर शर्मा वर्ष 2003-04 में बनाए गए होटल के अवैध निर्माण के लिए दोषी कैसे हो गए, यह जांच का विषय है। हैरानी की बात है कि जिस होटल के लिए राजेंदर शर्मा पर कार्रवाई की गई है उस होटल को अभी तक डिमॉलिश नहीं किया गया।

राजेंदर शर्मा को सेक्टर एक से हटाकर नरेंदर शर्मा को चार्ज देने के आदेश की कॉपी जो साबित करती है कि जिस होटल के लिए राजेंदर शर्मा को सजा दी गई उसके निर्माण के समय उस इलाके की जिम्मेदारी राजेंदर शर्मा के पास थी ही नहीं।

दो निगम कमिश्नरों ने क्यों भेजी गलत रिपोर्ट?
हैरानी की बात है कि वर्ष 2021 में जब राजेंदर शर्मा को क्लीन चिट मिल गई तो नए अधिकारी ने मामले को दोबारा से खोल दिया। उन्होंने अमृतसर नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर मालविंदर सिंह जग्गी से रिपोर्ट मांगी कि होटल जीटी हैरिटेज के निर्माण के समय वहां बिल्डिंग इंस्पेक्टर कौन था? कंग ने गलत रिपोर्ट देते हुए लिखा कि राजेंदर शर्मा तैनात थे। इसी तरह उनकी जगह जब नए कमिश्नर संदीप ऋषि आए तो उनसे भी रिपोर्ट मांगी गई। संदीप ऋषि ने भी राजेंदर शर्मा की तैनाती दर्शाते हुए गलत रिपोर्ट भेज दी। अब अगर मामले की निष्पक्ष जांच हो तो गलत रिपोर्ट भेजने वाले इन कमिश्नरों पर भी कार्रवाई तय है। इसीलिए चंडीगढ़ में बैठे अधिकारी सूरदास बनकर बैठे हैं। जिसका खामियाजा राजेंदर शर्मा को भुगतना पड़ रहा है।

कमिश्नर के पीए और नरेंदर शर्मा की सांठगांठ से किया जा रहा खेल
इस पूरे प्रकरण में मोगा में तैनात एमटीपी नरेंदर शर्मा और अमृतसर निगम कमिश्नर के एक पीए की सांठगांठ बताई जा रही है। कमिश्नर के पीए से सांठगांठ के चलते ही दोनों निगम कमिश्नरों ने राजेंदर शर्मा की तैनाती के संबंध में गलत रिपोर्ट शासन को भेजी। वरना निगम कमिश्नर बीस साल बाद ऐसा कौन सा जांच का पैमाना लेकर आए जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सेक्टर 1 का अवैध होटल राजेंदर शर्मा के कार्यकाल में बना था। अगर मामले की निष्पक्ष जांच हो तो पीए की गर्दन नपना भी तय है।

नरेंदर शर्मा के कार्यकाल में बने चार सौ से भी अधिक अवैध होटलों और अवैध निर्माणों पर चुप क्यों हैं अधिकारी?
नरेंदर शर्मा के पास अमृतसर नगर निगम में बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर एमटीपी तक का चार्ज रहा है। उनके कार्यकाल में लगभग चार सौ से भी अधिक अवैध होटल, अवैध निर्माण और अवैध कॉलोनियां तैयार की गईं लेकिन उक्त सभी अवैध निर्माणों पर आला अधिकारी खामोश हैं। नरेंदर शर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। नरेंदर शर्मा पर इतनी मेहरबानी क्यों हो रही है? क्या भ्रष्टाचार से कमाई गई रकम का एक हिस्सा चंडीगढ़ में बैठे अधिकारियों को भी जाता था, यह भी जांच का विषय है। अभी भी अमृतसर में धड़ल्ले से अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

राजेंदर शर्मा के पांच सालों की भरपाई कौन करेगा?
दूसरे के गुनाहों की सजा काटते-काटते राजेंदर शर्मा की जिंदगी के पांच साल मानसिक तनाव, बदनामी और प्रमोशन के अभाव में गुजर गए। क्या नगर नगर के भ्रष्ट अधिकारी उन पांच सालों की भरपाई कर सकेंगे? इस मामले में जो आरोपी रिटायर हो चुके हैं उन्हें भी सिर्फ तीन साल तक 50 फीसदी पेंशन कटौती की सजा दी गई थी लेकिन राजेंदर शर्मा को तो सजा भुगतते हुए पांच साल हो गए। इसकी भरपाई कौन करेगा?

हाईकोर्ट में दस अगस्त को होनी है सुनवाई
पीड़ित राजेंदर शर्मा ने क्लीन चिट मिलने के बाद तत्कालीन मंत्री और विभाग पर किया गया मुकदमा वापस ले लिया था लेकिन जब अजय कुमार ने उन्हें दोबारा रिवर्ट करने का आदेश दिया तो राजेंदर शर्मा फिर से हाईकोर्ट की शरण में चले गए। अब इस मामले पर आगामी दस अगस्त को सुनवाई होनी है।

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