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अपनी सीट छोड़कर नया ठिकाना तलाश रहे सपा के पूर्व प्रत्याशी, आसान नहीं होगी टिकट की राह, बार-बार सीट बदलने से क्या बदल पाएंगे चुनावी समीकरण? जानिये कौन-कौन से पूर्व प्रत्याशी नई सीटों से जता रहे दावेदार?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी के विधानसभा प्रभारियों के बरेली दौरे के बाद आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर कई चीजें स्पष्ट होने लगी हैं। कुछ दावेदार बिलों से बाहर निकल आए हैं तो कुछ पुराने चेहरे नई सीटों की तलाश कर रहे हैं। बरेली महानगर के साथ ही जिले की भी कुछ सीटों के पूर्व प्रत्याशी अब अपनी पुरानी सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। शुरुआत करते हैं बरेली महानगर से।
महानगर में दो विधानसभा सीटें पड़ती हैं। पहली 124 शहर विधानसभा सीट और दूसरी 125 कैंट विधानसभा सीट। इन दोनों ही सीटों के पूर्व प्रत्याशियों ने अपने-अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। दोनों ही उन सीटों से चुनाव नहीं लड़ना चाहते जहां से वह पिछला चुनाव लड़े थे। इनमें पहला नाम है राजेश अग्रवाल का। राजेश अग्रवाल पिछला चुनाव शहर विधानसभा सीट से लड़ा था। उन्हें भाजपा अरुण कुमार ने उन्हें करारी शिकस्त देते हुए 32 320 वोटों से पराजित किया था। हालांकि, राजेश अग्रवाल 40% वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे। बावजूद इसके राजेश अग्रवाल शहर विधानसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उन्होंने बरेली कैंट विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी जताई है। कैंट विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी अनुराग पटेल जब पहली बार बरेली के दौरे पर आए थे तो राजेश अग्रवाल ने उनके समक्ष कैंट सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जता दी थी।

राजेश अग्रवाल

बताया जाता है कि राजेश अग्रवाल पिछली बार भी कैंट सीट से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक थे लेकिन दावेदारों की भीड़ के कारण उन्होंने खुद को कैंट की दौड़ से अलग कर लिया था।
इसी कड़ी में अगला नाम पूर्व मेयर सुप्रिया ऐरन का है। सुप्रिया ऐरन पिछली बार कैंट विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। उन्हें भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव मैदान में उतरे संजीव अग्रवाल ने 10768 वोटों से पराजित किया था। सुप्रिया का प्रदर्शन राजेश अग्रवाल की तुलना में कहीं अधिक बेहतर रहा था। उन्हें 44% वोट शेयर मिला था। सुप्रिया का प्रदर्शन इसलिए भी बेहतर माना जाता है क्योंकि वह पहले ही कांग्रेस प्रत्याशी घोषित हो चुकी थीं लेकिन चुनाव से ठीक पहले सपा में शामिल हो गईं और उन्हें सपा से चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त वक्त भी नहीं मिल पाया था। सुप्रिया ने इस बार शहर विधानसभा सीट से दावेदारी जताई है।

सुप्रिया ऐरन, पूर्व मेयर

चर्चा है कि सुप्रिया को पार्टी आलाकमान ही कैंट से नहीं उतारना चाहता। चर्चा यह भी है कि सुप्रिया खुद भी इसलिए कैंट से चुनाव नहीं लड़ना चाहतीं क्योंकि कैंट से भाजपा के पास उन्हीं की वैश्य बिरादरी के मौजूदा विधायक संजीव अग्रवाल हैं। ऐसे में वैश्य वोट उन्हें मिल पाना बहुत मुश्किल होगा। इसके विपरीत शहर सीट पर भाजपा के पास कोई वैश्य चेहरा नहीं है। इसलिए सुप्रिया इस सीट को अधिक सुरक्षित मान रही हैं।
इस कड़ी में तीसरा नाम है आंवला विधानसभा सीट के पूर्व प्रत्याशी और बिलसी विधानसभा सीट के पूर्व विधायक आरके शर्मा का। समाजवादी पार्टी के पंडित राधाकृष्ण शर्मा काे भाजपा के धर्मपाल सिंह ने 18424 वोटों से पराजित किया था। आरके शर्मा को 36% से कुछ अधिक वोट शेयर मिला था जो सुप्रिया ऐरन और राजेश अग्रवाल की तुलना में काफी कम है। सरल शब्दों में कहा जाए तो शर्मा का प्रदर्शन दोनों से काफी कमजोर रहा। शर्मा का भी अब आंवला विधानसभा सीट से मोहभंग हो चुका है। शर्मा जिला छोड़ महानगर की ओर दौड़ पड़े हैं। उन्होंने भी राजेश अग्रवाल की तरह कैंट विधानसभा सीट से टिकट के लिए दावेदारी जताई है।

आरके शर्मा

इनके अलावा चर्चा है कि मीरगंज से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके सुल्तान बेग भी इस बार मीरगंज से चुनाव नहीं लड़ना चाहते। इसी तरह पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार की भी नई सीट तलाशने की चर्चा हो रही है। हालांकि, भगवत सरन विशेष परिस्थितियों में ही सीट बदल सकते हैं।

सुल्तान बेग
भगवत सरन गंगवार

इन पूर्व प्रत्याशियों के मैदान छोड़ने से स्थानीय जनता बेहद निराश है और वो लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं जिन्होंने इस उम्मीद से इन प्रत्याशियों को वोट दिया था कि चुनाव परिणाम जो भी हो लेकिन ये उम्मीदवार अगले पांच वर्षों तक इनकी आवाज बनेंगे। लेकिन ये पूर्व प्रत्याशी नई सीट और नई जनता की तलाश में निकल गए हैं। अब अगर पार्टी इन मौकापरस्त नेताओं को मैदान में उतारती है तो ये सारी सीटें निश्चित तौर पर सपा के हाथों से निकल सकती हैं। इस हारने वाले ये नेता तो अगले चुनावों में नई सीट तलाश लेंगे लेकिन पार्टी को आने वाले कई वर्षों तक इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

जिनको टिकट नहीं मिला था वो अब भी पुरानी सीटों पर ही जता रहे दावा

वर्ष 2022 में कुछ ऐसे चेहरे भी थे जो समाजवादी पार्टी से टिकट की आस लगाए बैठे थे लेकिन कुछ कारणों से उन्हें टिकट नहीं मिल सका था। इनमें एक दावेदार ऐसा भी है जिसे पार्टी ने कैंट सीट से टिकट दे भी दिया था लेकिन अपने भाई को विधायक बनते देखने की चाहत में उस दावेदार ने अपना टिकट वापस कर दिया था। इस बार वही दावेदार एक बार फिर कैंट सीट से दावेदारी जता रहे हैं। उनका नाम है डॉक्टर अनीस बेग। अनीस बेग कैंट विधानसभा सीट से एक मात्र ऐसे दावेदार हैं जो वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव न लड़ पाने की वजह से निराश नहीं हुए बल्कि चुनाव के ठीक बाद से ही दोगुनी ताकत से पार्टी को मजबूती देने में जुटे रहे।

डॉक्टर अनीस बेग
मो. कलीमुद्दीन
अब्दुल कय्यूम खां उर्फ मुन्ना

इनके अलावा शहर विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी जताने वाले मोहम्मद कलीमुद्दीन और वरिष्ठ पार्षद अब्दुल कय्यूम खां मुन्ना इस बार भी शहर विधानसभा सीट से ही दावेदारी जता रहे हैं।

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