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हज़रत शाह सकलैन एकेडमी ने कराया 43 जोड़ों का सामूहिक विवाह, कांग्रेस नेता नवाब मुजाहिद हसन खां भी रहे शामिल, नवविवाहित जोड़ों को दिया आशीर्वाद

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नीरज सिसौदिया, बरेली

 उर्स-ए-सकलैनी के अवसर पर हज़रत शाह सकलैन एकेडमी ऑफ इंडिया की ओर से इस बार भी एक भव्य सामूहिक निकाह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में 43 जरूरतमंद जोड़ों का निकाह कराया गया और उन्हें शादी के पवित्र बंधन में बांधा गया।

कार्यक्रम की शुरुआत शाम 6 बजे नमाज़-ए-असर के बाद कुरान की तिलावत से हुई। इसकी सरपरस्ती खानकाह सकलैनिया शराफतिया के सज्जादानशीन हज़रत शाह गाज़ी मियां हुजूर ने की।

इस मौके पर उलेमा-ए-किराम ने लोगों को संदेश दिया कि शादियों में फिजूलखर्ची और नाजायज रस्मों से बचना चाहिए। मुफ्ती फहीम अग्रहरी सकलैनी ने अपने बयान में कहा कि इस्लाम ने निकाह को आसान बनाया है और दहेज लेना-देना बिल्कुल नापसंद किया गया है। उन्होंने माता-पिता से अपील की कि बच्चों की शादी शरीयत के मुताबिक सादगी से करें, ताकि आने वाली नस्लें नेक और आज्ञाकारी बनें।

सभी 43 जोड़ों को शादी के बाद एकेडमी की तरफ से जरूरी घरेलू सामान जैसे बेड, अलमारी, कुर्सियां, कपड़े, सिलाई मशीन आदि तोहफे में दिए गए। इन तोहफों को पाकर नवविवाहित जोड़े बेहद खुश दिखे और उन्होंने एकेडमी का शुक्रिया अदा किया।

इस मौके पर दिग्गज कांग्रेस नेता और कैंट विधानसभा सीट से पूर्व प्रत्याशी नवाब मुजाहिद हसन खां भी शामिल हुए। उन्होंने सभी जोड़ों को आशीर्वाद दिया और उनके सुखी दांपत्य जीवन की दुआ की।

कार्यक्रम के अंत में हज़रत गाज़ी मियां हुजूर ने दुआ की और कहा कि सभी जोड़े अपनी जिंदगी शरीयत के अनुसार गुजारें और नाजायज रस्मों से दूर रहें। उन्होंने मुल्क और शहर की अमन-शांति और खुशहाली के लिए भी दुआ की और सभी समाजों को आपसी भाईचारे और मोहब्बत से रहने का संदेश दिया।

इस कार्यक्रम में कई उलेमा और समाजसेवी मौजूद रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एकेडमी की ओर से 200 वालंटियर्स और 100 महिला वालंटियर्स की टीम तैयार की गई थी, जिन्होंने अपनी जिम्मेदारियां पूरी निष्ठा से निभाईं।

कार्यक्रम की व्यवस्था और संचालन में एकेडमी के अध्यक्ष डॉ. इस्माइल कुरैशी सहित कई जिम्मेदार लोग सक्रिय रूप से जुड़े रहे।

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