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न नेता जी की जयंती, न मासिक बैठक, 6 माह से पार्टी कार्यालय में आयोजित एक भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे मोंटी शुक्ला, जिला और महानगर अध्यक्षों से भी बना ली थी दूरी, इसलिए हटाए गए, महिला सभाध्यक्ष ने कहा- दलालों का गेम ओवर, पढ़ें क्या है पूरा माजरा?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले… ये पंक्तियां समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता मयंक शुक्ला उर्फ मोंटी शुक्ला पर एकदम सटीक बैठती हैं। यूं तो यह पहला मौका नहीं है जब मोंटी शुक्ला बेआबरू होकर किसी कूचे से निकले हैं लेकिन इस बार तो उन्हें प्रदेश प्रवक्ता पद से हटाए जाने पर बरेली महानगर से लेकर जिले तक के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जश्न जैसा माहौल है। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि मोंटी शुक्ला को उनके कर्मों का फल मिला है। कुछ लोगों ने तो उन पर दलाली करने का भी आरोप लगाया। पार्टी की महिला सभा की जिला अध्यक्ष स्मिता यादव ने तो फेसबुक पर पोस्ट भी कर दिया, ‘दलालों का गेम ओवर’। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि दलाल कौन है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि उनका इशारा मोंटी शुक्ला की ओर ही था।

बताया जाता है कि पार्टी के महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी और जिला अध्यक्ष शिवचरण कश्यप भी मोंटी शुक्ला की इन हरकतों से परेशान हो चुके थे। बताया जाता है कि नेता जी मुलायम सिंह यादव की जयंती हो, मासिक बैठक हो या फेर कोई और कार्यक्रम, पार्टी कार्यालय में पिछले लगभग छह माह में जितने भी कार्यक्रम हुए उनमें से किसी भी कार्यक्रम में मोंटी शुक्ला नहीं पहुंचे। इसके विपरीत राष्ट्रीय सचिव वीरपाल सिंह यादव, प्रदेश महासचिव अता उर रहमान जैसे दिग्गज नेता भी पार्टी कार्यालय में आयोजित समारोहों में शामिल होते रहे हैं। बताया जाता है कि इसी के चलते मोंटी शुक्ला को प्रदेश प्रवक्ता के पद से हटाया गया है।
अब जरा नजर डालते हैं मोंटी शुक्ला के पिछले कुछ वर्षों के राजनैतिक सफर पर। मोंटी शुक्ला का राजनैतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा है। उन्होंने कई दिग्गजों का दामन थामा और कुछ समय बाद नया ठिकाना तलाश लिया। एक दौर था जब ब्रह्मस्वरूप सागर का कॅरियर उफान पर था। उस दौरान मोंटी शुक्ला उनके साथी थे। जब ब्रह्मस्वरूप सागर का कॅरियर डाउन हुआ तो मोंटी शुक्ला उनसे अलग हो गए। इस बात की टीस आज भी ब्रह्मस्वरूप सागर को कचोटती है। हालांकि, ब्रह्मस्वरूप सागर ने कभी इस टीस को जाहिर नहीं किया लेकिन उनके समर्थक इसकी पुष्टि करते हैं। इसके बाद वह पूर्व मंत्री अता उर रहमान, पूर्व जिला अध्यक्ष अगम मौर्य के साथ भी रहे लेकिन वहां से भी किनारे कर दिए गए। पिछले विधानसभा चुनावों में सपा के कैंट विधानसभा सीट से प्रत्याशी सुप्रिया ऐरन के चुनाव में वह उनके साथ नजर आए और शहर विधानसभा सीट से प्रत्याशी राजेश अग्रवाल के साथ भी दिखे लेकिन सुप्रिया ऐरन का तो पता नहीं लेकिन राजेश अग्रवाल ने मोंटी शुक्ला से दूरी बना ली। सूत्र बताते हैं कि एक प्रत्याशी से तो मीडिया में विज्ञापन के नाम पर 80 लाख रुपए वसूलने का प्लान बनाया गया था लेकिन वह प्रत्याशी समझदार निकला और उसने खुद ही विज्ञापन छपवाए जिनका खर्च लगभग पंद्रह लाख रुपए आया था। अब पिछले कुछ दिनों से मोंटी शुक्ला आंवला सांसद नीरज मौर्य से नजदीकियां बढ़ा रहे थे। बताया जाता है कि मोंटी शुक्ला का पार्टी के कई नेताओं से मनमुटाव चल रहा था। सिर्फ गिने-चुने नेताओं को छोड़कर उन्हें कोई भी छोटा-बड़ा नेता पसंद नहीं कर रहा था।
सूत्र बताते हैं कि मोंटी शुक्ला की छुट्टी के पीछे जिले और महानगर के कुछ दिग्गज नेताओं के साथ ही डिंपल यादव के करीबी नेताओं का भी हाथ है। बहरहाल, मोंटी शुक्ला के लिए आगे की राह बेहद मुश्किल है क्योंकि उनके पास न ही कोई जनाधार है और न ही किसी दिग्गज का साथ।

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