नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
भारतीय अर्थ व्यवस्था इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है. ईमानदार वित्त मंत्री होने के बावजूद संकट का यह दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इसकी क्या वजह है? क्या यह संकट कभी खत्म नहीं हो सकता? अगर हो सकता है तो कैसे? इस संबंध में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य नरेश नाथ ने अपने फेसबुक पेज पर कुछ सुझाव देने के साथ ही एक बड़ी लॉबी के काले खेल का भी खुलासा किया है. अगर सरकार इस खेल पर अंकुश लगा दे तो हालात सुधर सकते हैं.
इस संबंध में पूछने पर नरेश नाथ कहते हैं कि ‘दर्द यह है कि देश का प्रधानमंत्री ईमानदार है, वित्त मंत्री ईमानदार है, फिर भी अर्थव्यवस्था में ऐसी कमी आती है कि सभी उन पर और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठने लगते हैं. आज देश का हर बैंक और उसमें कार्य कर रहे कर्मचारी ईमानदार हैं परंतु एक लॉबी जिसे सीनियर मैनेजमेंट कहते हैं, वह भ्रष्ट हो चुकी है. मैं तथ्यों सहित इसका वर्णन करूंगा. हर बार वेज रिवीजन के नाम पर यह सीनियर लॉबी अपनी सैलरी के बदले अपने पर्क्स बढ़ा लेते हैं जो कि नॉनटैक्सेबल होते हैं.
दूसरा बैंक कैसे खोखला होता है. रीजनल मैनेजर से लेकर चीफ जनरल मैनेजर तक सब जो क्षेत्रीय कार्यालय में बैठे हैं वहां फिक्स एसिड के रूप में या इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में अपनी कमेटियां सबकमेटी बनाकर बाजार से ऊंचे दामों पर और जिनका शाखाओं में कोई भी उपयोग नहीं है वह फर्नीचर एयर कंडीशनर, स्टेशनरी, कुर्सियां, टेबल तक वहां पर भेज रहे हैं. शाखा प्रबंधक को सिर्फ बिल आ जाता है और उसे अपनी शाखा के फिक्स्ड एसेट्स को या खर्चों में डालना पड़ता है. यदि जांच कराई जाए तो पता चलेगा कि शाखा को जिन चीजों की आवश्यकता भी नहीं है, वह भी खरीदी जा रही हैं. उनका दाम बाजार से ऊंचा और क्वालिटी घटिया होती है.
मैं पंजाब की बात करता हूं. पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में है और यहां सभी बैंकों के क्षेत्रीय कार्यालय हैं. वहां प्रॉपर्टी के रेट बहुत ऊंचे हैं कि एक करोड़पति बिजनेसमैन वहां पर मकान नहीं खरीद सकता और वह फ्लैट सिस्टम में रहता है. लगभग सभी पॉश सेक्टर्स में जो कोठियां बनी हैं और जिनकी कीमत करोड़ों में है, वे बैंक के उच्चाधिकारियों द्वारा खरीदी गई हैं. यानी बैंक का फिक्स एसिड का पैसा निकलकर अफसरों की कोठियों पर लग गया है.
माननीय वित्त मंत्री जी आप बैंकों के ऑडिट में ऑडिटर्स अपने कार्यालय की टीम के अनुसार भेजें. वे बैंक द्वारा खरीदी गई सभी चीजें जो क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा खरीदी गई होंगी उनकी जांच करें. इससे बैंकों में हो रहे कई हजार करोड़ के खर्चे जो नहीं होने चाहिए और जो बैंकों में रेनोवेशन के नाम पर खर्चा हो रहा है, जो पैसा पब्लिक की कमाई से निकल रहा है, उसे इन बड़े मगरमच्छों से बचाया जा सकता है.
बैंकों में बड़े अफसरों को खासकर सरकारी बैंकों में एंटरटेनमेंट के नाम पर 1 महीने का 5 से ₹10000 तक दिया जा रहा है कि वे कस्टमर को जो बैंक में आएं या जिनसे बिजनेस मिल सकता है उन्हें चाय नाश्ता करवा सकें लेकिन यह करोड़ों रुपयों का एंटरटेनमेंट अलाउंस नकली बिल डालकर अपनी जेब में डाल रहे हैं जिसके विषय में कोई भी सॉलिड प्रमाण नहीं होता है. केवल सत्यापन के अनुसार यह सारा पैसा जो करोड़ों के रूप में बनता है, हर महीने एक बड़ी ऑफिसर लॉबी के पॉकेट में जा रहा है.
तात्पर्य है कि बड़े अफसर मैनेजिंग डायरेक्टर तक खर्चों के नाम पर सरकारी बैंकों में सफेद हाथी के रूप में बैठे हुए हैं और अपने छोटे कर्मचारियों को अर्थात शाखा प्रबंधकों को छोटा-छोटा अमाउंट एंटरटेनमेंट के रूप में दे रहे हैं और खुद बैंकों की नींव को खोखला कर रहे हैं.
किसने कितना लोन दिया है. इसकी जांच चार्टर्ड अकाउंटेंट से करवाई जाती है लेकिन जो चीजें इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर और एंटरटेन के नाम पर लाखों ऑफिसर खा रहे हैं उन पर किसी का चेक नहीं है.
कृपया जांच का दायरा बढ़ाएं अन्यथा यह सरकारी बैंकों को दीमक की तरह चाट जाएंगे
हर बड़ी कंपनी को दिया जाने वाला लोन जो 100 करोड़ से ज्यादा हो एक चार्टर्ड अकाउंटेंट कंपनी के ऑडिटर के पास होने के बाद देना चाहिए. इससे बैंक और उस कंपनी दोनों में क्रॉस चेक हो जाएगा लेकिन यह सभी चार्टर्ड अकाउंटेंट सरकार द्वारा वित्त मंत्रालय द्वारा नियुक्त किए जाने चाहिए जो हर क्षेत्रीय कार्यालय जहां सरकारी बैंकों का मुख्यालय हो. वहां पर यह लोग भी तैनात होने चाहिए.
इससे बैंक और चार्टर्ड अकाउंटेंट ज्वाइंट रूप से काम करेंगे तो धोखे की संभावना कम होगी.
शनि का समय है. नीच व्यक्तियों की लॉबियां पाप के चरम को प्राप्त हो चुकी हैं. इसलिए गुरु रूप में गुरु बृहस्पति के रूप में देश की सत्ता को काम करना होगा. इससे देश का कल्याण होगा और देश के लोगों का पैसा बचा रहेगा अन्यथा दीमक की तरह चाटने वाले बहुत हैं लेकिन गुरु बृहस्पति के हावी होने के कारण शनिदेव की जोक जाते हैं.
शनि मकर राशि में है. मक्कार लोगों की चांदी हो रही है. इसलिए इस समय देश को बचाने के लिए गुरु बृहस्पति रूपी कठोर शैली को अपनाना ही देश की आवश्यकता है.
मेरा लेख माननीय प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के लिए सुझाव रूप में है. किसी से मेरी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है. देश हित में लिखना मेरा धर्म है. बाकी भविष्य की गोद में है. जल्द सामने आ जाएगा. आप ऊपर लिखे लेख के अनुसार कार्रवाई शुरू करें देश का भला हो सकता है.’
बता दें कि इससे पहले भी नरेश नाथ इस बारे में सरकार को सचेत कर चुके हैं. बैंकों की इस कारगुज़ारी पर अंकुश लगा लिया जाए तो वित्तीय संकट दूर किया जा सकता है.