नीरज सिसौदिया, बरेली
नगर निगम में महापौर के बाद सबसे वरिष्ठ संवैधानिक पद उपसभापति का ही होता है लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक 1989 से लेकर अब तक जितने भी डिप्टी मेयर या उपसभापति हुए हैं उनका ब्योरा तो दूर नाम तक उपसभापति कक्ष में किसी भी बोर्ड पर अंकित नहीं कराए गए हैं. ऐसे में वार्ड नंबर 23 के भाजपा सभासद सतीश चंद्र सक्सेना मम्मा कातिब ने महापौर की तर्ज उपसभापतियों को भी सम्मान देने की आवाज बुलंद की है. मम्मा ने अब तक के उपसभापतियों के नाम उपसभापति कक्ष में लिखने की मांग की है. इस संबंध में मम्मा ने नगर आयुक्त अभिषेक आनंद और महापौर डा. उमेश गौतम को एक पत्र लिखकर कहा है कि वर्ष 1989 से अब तक नगर निगम के जितने भी उपसभापति हुए हैं उन सभी के नाम उपसभापति कक्ष में एक बोर्ड पर अंकित किए जाएं. यह जनप्रतिनिधियों को एक बड़ा सम्मान होगा. साथ ही भावी पीढ़ियों को भी इन जनप्रतिनिधियों के बारे में जानने का मौका मिला.
पार्षदों का बैठक भत्ता दबाए बैठा है नगर निगम
जनता की आवाज उठाने के लिए चुने गए जनप्रतिनिधि खुद ही नगर निगम के अधिकारियों के शोषण का शिकार हो रहे हैं. उन्हें महीनों से बैठक भत्ते का भुगतान ही नहीं किया गया है. इस संबंध में वार्ड 23 के सभासद सतीश चंद्र सक्सेना उर्फ मम्मा कातिब ने महापौर और नगर आयुक्त को एक पत्र लिखा है. पत्र में मम्मा ने कहा है कि पार्षदों को पांच हज़ार रुपये प्रतिमाह प्रति बैठक भत्ता बजट में स्वीकृत किया जा चुका है लेकिन अब तक उसका भुगतान नहीं किया गया है. अत: जल्द से जल्द अक्टूबर 2020 तक के बैठक भत्ते के भुगतान करने संबंधी निर्देश देने का कष्ट करें.