मत आंकों किसी को कम कि
सबमें कुछ बात होती है।
भीतर छिपी प्रतिभा की
अनमोल सौगात होती है।।
जरूरत उसे पहचानने और
फिर निखारने की।
तराशने के बाद ही हीरे से
मुलाकात होती है।।
हर किसी में कुछ बेहतर
हो ही सकता है।
भीतर हमारे भी कमतर
कुछ हो सकता है।।
यह सोच कर ही आदमी
सीखता हर किसी से।
इस प्रक्रिया में आदमी और
सुंस्कृत हो सकता है।।
संकल्प और जनून जरूरी है
मंजिल पाने के लिए।
सपने और सोच जरूरी है
जीतकर आने के लिए।।
हर दिन निखरना जरूरी है
सुधार लाने को।
ऊँचा उठना जरूरी है आसमां
नीचे लाने के लिए।।
जिन्दगी बहुत छोटी हर पल
का प्रयोग करो।
सीखने सीखाने में नियम से
तुम सहयोग करो।।
भोग और योग का अंतर
समझना है जरूरी।
सफलता लिए किस्मत नहीं
हुनर से संयोग करो।।
-एस के कपूर “श्री हंस”
मो. 9897071046
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