नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली /बरेली
समाजवादी पार्टी की ओर से रिपोर्ट किया गया था कि 4 अक्टूबर को एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल बरेली जाकर 26 सितम्बर की पुलिस कार्रवाई से प्रभावित परिवारों से मुलाकात करेगा। परंतु आज इसका प्रयास विफल रहा, क्योंकि पुलिस और प्रशासन ने विपक्षी नेताओं को जिले में प्रवेश नहीं होने दिया।
प्रारंभिक योजना थी कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय सांसद इकरा हसन, हरेंद्र मलिक, मोहिबुल्लाह नदवी, जिया उर्रहमान बर्क,, नीरज मौर्य और अन्य नेता प्रतिनिधिमंडल के साथ बरेली जाएंगे। इनमें से कई सांसद गाजियाबाद (गाज़ीपुर) सीमा चौकी पर ही रोके गए। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गाज़ीपुर सीमा पर ही पुलिस ने उनका आगे जाना रोक दिया।
SP सांसद इकरा हसन, मोहिबुल्लाह नदवी, हरेंद्र मलिक आदि को गाज़ीपुर सीमा (Ghazipur border / Ghazipur border enroute to Bareilly) पर रोक दिया गया।
प्रतिनिधिमंडल के साथ विवाद हुआ, और कुछ नेताओं ने यह कहकर विरोध जताया कि उन्हें यात्रा करने से अवैध रूप से रोका जा रहा है। इकरा हसन ने कहा कि “हमारे पास छिपाने को कोई एजेंडा नहीं है, और हमें बताया जाए कि किस आधार पर रोक लगाई गई है।” उन्होंने कहा कि आई लव मोहम्मद में आपत्ति क्यों। यूपी में अघोषित इमरजेंसी दिख रही है। हमें बरेली में बस लोगों से मिलना है। बरेली में हिंदू-मुस्लिम का एजेंडा उठाया जा रहा है। सरकार सत्ता से बाहर होने से डर गई है। घटनाओं पर जनप्रतिनिधियों को मिलने का हक है। हम वहां के लोगों से मिलकर रहेंगे, बात करेंगे। बरेली में लोगों को प्रशासन ने प्रताड़ित किया है।
समाजवादी पार्टी बरेली के महानगर महासचिव पंडित दीपक शर्मा ने बताया कि पार्टी सांसदों और विधायकों को अलग-अलग स्थानों पर रोका गया है। कुछ सांसदों को दिल्ली सीमा पर, कुछ को संभल में रोका गया है। वहीं नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय और विधायक अता उर रहमान को लखनऊ से निकलने नहीं दिया गया। इसके अलावा, महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी को उनके बरेली स्थित आवास पर ही नजरबंद रखा गया है — वे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। उनके साथ पार्टी के कुछ पदाधिकारी भी हैं।
26 सितंबर को बरेली में “I Love Mohammad” पोस्टर विवाद और उसके बाद हुई हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। प्रशासन ने 48 घंटे के लिए इंटरनेट और मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवा निलंबित कर दी थी।
समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है — पहले घर सीज करवाये गए, कई गिरफ्तारियाँ हुईं, अब संवाद ही बंद कर दिया गया। पार्टी का कहना है कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है।
समाजवादी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने कहा कि यह कार्रवाई अन्याय की चुप्पी और दबाव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि “हम पीड़ितों से मिलने का हमारा दायित्व पूरा नहीं कर पा रहे हैं, जो कि लोकतंत्र की हत्या है।”
प्रशासन का कहना है कि सवाल कानून और व्यवस्था का था। बरेली में अभी स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। हालांकि, नकदी तौर पर यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि किन नियमों या अधिनियमों के तहत नेताओं को घाज़ीपुर सीमा पर रोका गया।
समाजवादी पार्टी अभी इस घटना की पूरी रिपोर्ट तैयार करेगी और उसे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेजेगी। साथ ही पार्टी ने संकेत दिया है कि यदि उन्हें पीड़ितों से मिलने नहीं दिया गया, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा और इस कदम की राजनीतिक चुनौती खड़ी की जाएगी।
घाटी यह है कि आज का दिन इस घटना को और राजनीतिक रंग दे गया — जहां ⏤ एक ओर प्रशासन ने विपक्षी नेताओं को रोकने की कार्रवाई की है, वहीं दूसरी ओर पार्टी इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन मान रही है।