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भारत की समाज परंपरा में लोकतंत्र कूट कूट कर भरा है : दत्तात्रेय होसबाले, सरकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

नीरज सिसौदिया, जालंधर  ‘भारत में प्राचीनकाल से ही अनेक ‘गणराज्य’ रहे हैं | राजतंत्र होने के बाद भी राजा समाज के सभी वर्गों की सहमति से ही राज्य के सभी कार्यों का संचालन करता था | लोकतंत्र के तीन स्तंभ विधायिका, कार्य पालिका और न्याय पालिका पूर्णतः समाज आधारित रही है | भारत की समाज […]