यूपी

बेबसी के अंधेरों को उम्मीदों के चिरागों से रोशन कर रही ज्योति, पढ़ें बीएससी की छात्रा के संघर्ष और समर्पण की अनसुनी दास्तान…

नीरज सिसौदिया, बरेली “कहां तो तय था चरागां हर एक घर के लिए कहां चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए न हो कमीज तो घुटनों से पेट ढक लेंगे ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए” कवि दुष्यंत की ये पंक्तियां उस मंजर को बयां करने के लिए काफी है जो बरेली शहर […]