विचार

प्रिया धीर की कविताएं : 1, आज फिर जालिम दरिंदों ने…

आज फिर जालिम दरिंदों ने एक और दीया बुझा दिया हंसती खेलती मासूम को मौत की नींद सुला दिया… क्या बिगाड़ा था उस मासूम ने जो ये दुष्कर्म किया है हैवानों की दुनिया में क्या लड़की होना सजा है… कितना तड़पी होगी वो कितना चिल्लाई होगी पर तुम जैसे दरिंदों को दया कहां आई होगी… […]