विचार

डा. कौशल कुमार की कविताएं-1, शिव हूं मैं…

नहीं मात्र खनिजों का मिश्रण एक पत्थर नहीं हूं मैं, करो भाव मुझमें समर्पण तो ” जीवधारियों” का कल्याण हूँ मैं ( सर्व भूतहिते रता: ) करों आस्था और सदाचार से पूजित तो अनादि धर्म हूँ मैं आत्मसात करने को गरल (विष) समस्त सृष्टि का “नील कंठ” “त्रिनेत्र”, “महेश्वर “ “मृत्युंजय, ” हूँ मैं लोककल्याण […]