विचार

मजदूर दिवस पर विशेष : सिसकती जिंदगी…

नैनों में अविरल धारा है , मुख पर करुणा सी सिसक रही। है धंसी हुई आंखें जिनमें, गाथा अतीत की थिरक रही। पलकों में कुछ भारीपन सा, दारिद्रय दिखाते मलिन वसन । माथे पर झुर्री पड़ी हुई, है यौवन में भी जर्जर तन। मलिन वसन के अवगु्ठनमें, छिपा हुआ शशि सा मुखड़ा। दिल में है […]