जसपुर। उत्तराखंड के श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की छात्रा शिवानी की आत्महत्या की कहानी उसके परिवार को रास नहीं आ रही। परिजनों ने पुलिस या जांच पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उनकी बेटी आत्महत्या नहीं कर सकती। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच करे तो पूरा सच सामने आ जाएगा।
शिवानी की मां और पिता का कहना है कि शिवानी को किसी ने आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया है। पिता हरीश बंसल ने उसके कमरे से मिले डायग्राम के बारे में बताते हुए कहा कि शिवानी का आत्मविश्वास बहुत मजबूत था। सोमवार को शिवानी का जसपुर में अंतिम संस्कार किया गया।
हरीश बंसल कहते हैं कि उनकी बेटी हमेशा से ही डॉक्टर बनना चाहती थी। अगस्त में उन्होंने उन्हें बिना बताए ही 3 माह का पीजी कोर्स भी किया था। अगर मैं डॉक्टर बनना नहीं चाहती हूं तो फिर शिवानी ऐसा क्यों करती। वही मृतका के भाई शगुन ने बताया कि शिवानी के कमरे में रखी उस की किताबों में डॉक्टर बनने की उसकी चाहत यह मैसेज लिखे हैं। ऐसे में यह कहानी बिल्कुल गलत है कि शिवानी डॉक्टर नहीं बनना चाहती थी।
परिजनों ने बताया कि पुलिस ना तो उन्हें मौत का कारण बता रही है और ना ही उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम हाउस में और मेडिकल कॉलेज परिसर में भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने पुलिस से पोस्टमार्टम रिपोर्ट मांगी तो पुलिस ने उन्हें 15 दिन बाद रिपोर्ट देने की बात कहते हुए टाल दिया।
शिवानी की मां कामिनी बंसल ने सुसाइड नोट पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया कि शिवानी कभी भी उन्हें मम्मा और अपने भाई को भाई नहीं पुकारती थी फिर वह सुसाइड नोट में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कैसे कर सकती है। शिवानी के भाई शगुन ने बताया कि सुसाइड नोट में शुद्ध हिंदी के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जबकि शिवानी ना तो ऐसे शब्द बोलती थी और ना ही लिखती थी। पिता ने बताया कि शिवानी सिर्फ अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग करती थी।
बता दें कि जसपुर निवासी हरीश बंसल की पुत्री शिवानी शनिवार को श्रीनगर स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में फंदे पर लटकी मिली थी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने परिजनों को 12 घंटे बाद घटना की जानकारी दी थी।
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