नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
भोली-भाली लड़कियों काे जिस्म के बाजार में धकेलने वाली सोनू पंजाबन के खिलाफ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। कौन है ये सोनू पंजाबन? कब से कर रही थी वह जिस्म का कारोबार? कैसे एक ऑटो वाले की बेटी बन गई कॉल गर्ल सप्लायर? आइये जानते हैं गीता अरोड़ा के सोनू पंजाबन बनने की कहानी.
सोनू पंजाबन का जन्म सन् 1981 में ईस्ट दिल्ली की गीता कॉलोनी में हुआ था। उसके दादा पाकिस्तान के बंटवारे के बाद हिंदुस्तान आए थे और हरियाणा के रोहतक में बस गए। उसके पिता ओमप्रकाश गरीबी के चलते रोजी कमाने के लिए दिल्ली आए और यहां ऑटो चलाने लगे। गीता कॉलोनी में उन्होंने एक फ्लैट किराए पर लिया। सोनू का मन बचपन से ही पढ़ाई में नहीं लगता था। यही कारण है कि वह सिर्फ सातवीं क्लास तक ही पढ़ पाई। पढ़ाई की राह में गरीबी भी आड़े आई। इस पर सोनू ने एक ब्यूटी पार्लर ज्वाइन कर लिया। प्रीत विहार के इसी ब्यूटी पार्लर में उसकी मुलाकात नीतू से हुई। नीतू भी इसी ब्यूटी पार्लर में उसके साथ ही काम करती थी।
सोनू को हाई प्रोफाइल लाइफ स्टाइल बहुत पसंद थी लेकिन उसकी गरीबी के चलते शौक पूरे नहीं हो पाते थे। नीतू उसके शौक भांप गई थी और मौका मिलते ही उसने सोनू को देह व्यापार में आने की सलाह दी तो सोनू तुरंत तैयार हो गई। नीतू पहले से ही इस धंधे में थी।
वर्ष 2003 में सोनू के पिता की मौत हो गई। इसके बाद नीतू ने सोनू की मुलाकात किरन से करवाई। किरण लाजपत नगर, सफदरजंग एंक्लेव और वसंत कुंज इलाके में जिस्मफरोशी का धंधा चलाती थी।
सोनू पंजाबन का असली नाम गीता अरोड़ा है। उसकी मां का नाम वीना और बेटा पारस है। सोनू एक लोअर मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती थी। सोनू की एक बड़ी बहन बाला थी जिसकी शादी सोनू के ही प्रेमी विजय के बड़े भाई सतीश उर्फ बॉबी से हुई थी। सतीश और विजय ने मिलकर अपनी बहन निशा के प्रेमी की हत्या कर दी थी। इसके चलते पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था. 1996 में विजय पैरोल पर आया लेकिन वापस नहीं गया. 7 साल बाद वर्ष 2003 में यूपी पुलिस ने उसे एनकाउंटर में ढेर कर दिया।
विजय की मौत के वक्त सोनू पंजाबन मां बनने वाली थी। गीता कॉलोनी के दो कमरे के फ्लैट में सोनू ने अपने बेटे को जन्म दिया जहां उसकी मां सोनू के बेटे के साथ रहती थी।
विजय की मौत के बाद सोनू एक वाहन चोर दीपक के संपर्क में आई लेकिन उसे भी गुवाहाटी में पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया। इसके बाद वह दीपक के भाई हेमंत उर्फ सोनू के करीब आई लेकिन वह भी 2006 में एनकाउंटर में मारा गया। वर्तमान में सोनू का प्रेमी अरुण ठकराल है. तब सोनू की बहन बाला का पति जेल में था और उसके दो भाई बेरोजगार थे। घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए सोनू पहले खुद वेश्या बनी और फिर दलाल बन गई। सोनू ने काफी पहले ही वेश्यावृत्ति छोड़ दी थी लेकिन दलाल बनते ही उसने अपना नाम बदल लिया। वह 2005 से ही अपने प्रेमी हेमंत के साथ मिलकर सेक्स रैकेट चला रही थी। हेमंत की मौत के बाद उसने हेमंत का निक नेम सोनू अडॉप्ट कर लिया। इस तरह उसका नाम गीता अरोड़ा से सोनू पंजाबन कर दिया। जिस्म के बाजार में उसे सोनू पंजाबन के नाम से ही जाना जाता है।
दिल्ली में कई जगह सोनू पंजाबन के वेश्यालय चल रहे थे। उसकी प्रसिद्धि इतनी बढ़ गई थी कि बॉबी छक्का, पूजा, प्रदीप, आजाद, नगमा और सऊदी अरब से आया गोविंद उसके विरोधी बन गए थे।
सोनू कांटेक्ट बेस पर लड़कियां रखती थी। क्लाइंट की संख्या के हिसाब से उन्हें पैसे देती थी। उसके गिरोह में कॉलेज गर्ल से लेकर फुल टाइम वर्कर भी काम करती थीं। कुछ महिलाओं को उसने सेलरी पर भी रखा था. उसके गिरोह में कुछ ऐसी लड़कियां भी शामिल थीं जो पति की सताई हुई थीं.
सोनू पंजाबन को जुलाई 2011 में भी गिरफ्तार किया गया था। उसे पकड़वाने में सब इंस्पेक्टर कैलाश चंद्र ने अहम भूमिका निभाई थी। एक स्टिंग के जरिए उसे अनुपम अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले भी उसे दो बार गिरफ्तार किया जा चुका है।
कोकीन, शराब और हेरोइन की आदी सोनू पंजाबन वेश्यावृत्ति को समाजसेवा मानती है। वह कहती है कि वेश्यावृत्ति मर्दों को ख्वाहिश और औरतों को अपने सपने पूरा करने का रास्ता देती है. अगर आपके पास बेचने के लिए कुछ नहीं है तो अपना शरीर बेचो।
फिलहाल सोनू सलाखों के पीछे है और उसका बेटा अपनी नानी के साथ पिछले कई सालों से दो रूम के एक फ्लैट में जिंदगी गुजार रहा है। सोनू अपने बेटे को साथ नहीं रखती थी। वह अक्सर उससे मिलने अपनी मां के घर जाया करती थी.