जालंधर। नकोदर सब डिवीजन के ग्रामीण इलाकों में अवैध खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। खनन कब यह खेल पिछले काफी समय से बेधड़क चल रहा है लेकिन इसके खिलाफ संबंधित अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। पंजाब कांग्रेस कमेटी के आरटीआई सेल के वाइस चेयरमैन संजय सहगल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को एक पत्र लिखकर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने इसकी शिकायत ऑनलाइन पब्लिक ग्रीवेंसेज पोर्टल पर भी की थी।
अपनी शिकायत में संजय सहगल ने कहा है कि पिछले कई महीनों से नकोदर सब डिवीजन और शाहकोट के ग्रामीण इलाकों में धड़ल्ले से बेरोकटोक अवैध खनन का खेल चल रहा है। यह सारा खेल जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस की नाक के नीचे चल रहा है। कई बार इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की की गई लेकिन खनन माफिया के खिलाफ किसी ने कोई कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई। खनन माफियाओं की इस खेल के कारण सरकार को प्रतिमाह करीब 7 से 8 करो रुपए राजस्व का चूना लग रहा है।
उन्होंने कहा है कि उन्होंने लिखा है कि माइंस एंड मिनरल्स एक्ट 1957 की धारा 21 के तहत अवैध माइनिंग कानूनन अपराध है। इसके बावजूद नकोदर सब डिवीजन में 30 से 40 फीट अवैध खनन किया जा चुका है। खनन माफिया नकोदर सब डिवीजन के खैरुलपुर, बंगनीवाल, अकबरपुर कला, बिटलान, गौंसूवाल, बेहड़, आकोपुर आदि गांव में धड़ल्ले से अवैध खनन कर रहे हैं लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। विजिलेंस भी इनके खिलाफ कोई छापेमारी नहीं करती। यहां पर खनन के लिए कोई भी डीमारकेशन नहीं की गई है जिसके चलते मनमाने तरीके से अवैध खनन किया जा रहा है। उन्होंने लिखा है कि खनन माफिया आधी रात को अवैध खनन के कारनामे को अंजाम देते हैं। इस बारे में उन्होंने एक ईमेल के जरिए 29 मार्च 2018 को अवगत भी कराया था। उन्होंने लिखा है कि अवैध खनन में सैकड़ों ट्रैक्टर और ट्रकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने लिखा है कि प्रॉपर डीमार्केशन नहीं होने के कारण अवैध खनन रोकने में खनन विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस तीनों फेल साबित हो रहे हैं। संजय सहगल ने इन अनियमितताओं की जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपने की मांग की है। साथ ही उन्होंने इस एरिया के लिए फ्रेश डिमार्केशन करने की मांग की है। उन्होंने लिखा है कि अवैध खनन में इस्तेमाल की जा रही मशीनरी का भी कहीं पर कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होता और ज्यादातर वाहन नियमों पर खरे भी नहीं उतरते हैं। उन पर कोई नंबर प्लेट नहीं होती और अधिकतर वाहन अपनी उम्र भी पूरी कर चुके हैं। पकड़े जाने के बाद इन वाहनों के मालिकों के खिलाफ FIR भी दर्ज नहीं हो पाती।
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