नीरज सिसौदिया, जालंधर
फिल्मी समाज का आईना होती हैं, असल जिंदगी में जो कुछ भी होता है उसे फिल्मी पर्दे पर सजाया जाता है लेकिन अब पंजाब में इसके उलट हो रहा है| पंजाब सरकार फिल्मों की कहानी की तर्ज पर काम करने लगी है| जो अक्सर फिल्मों में देखा जाता है वह अब असल जिंदगी में होने लगा है| अक्सर फिल्मों में देखने को मिलता है कि ईमानदार और सख्त अफसर के तबादले पर तबादले कर दिए जाते हैं| उसे ईमानदार अफसर को एक जगह पर टिकने नहीं दिया जाता| कुछ ऐसा ही इन दिनों पीसीएस अधिकारी जय इंदर सिंह के साथ हो रहा है| पिछले लगभग 1 साल के कार्यकाल के दौरान जय इंदर सिंह के पांच तबादले कर दिए गए| पहले उन्हें नगर निगम का जॉइंट कमिश्नर बनाया गया, फिर उन्हें SDM के पद पर तैनाती दे दी गई, इसके बाद उन्हें पुडा में लगा दिया गया, लगभग 1 सप्ताह पहले उनका तबादला पुणे से एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट में कर दिया गया| इस डिपार्टमेंट में आए जयेंद्र सिंह को अभी तीन-चार दिन ही हुए थे कि दोबारा उनका तबादला पुडा में कर दिया गया| इस तरह से पिछले 1 साल के दौरान जय इंदर सिंह “फुटबॉल” बनकर इधर से उधर घूमते नजर आ रहे हैं|
सराहनीय बात यह है कि इतने तबादले होने के बावजूद जय इंदर सिंह की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया| उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी गई उसे उन्होंने पूरी ईमानदारी और सख्ती के साथ निभाया| कार्रवाई करने में कभी भी जय इंदर सिंह ने कोई समझौता नहीं किया| उन्हें जब भी जहां भी कुछ भी गलत होने की सूचना मिली उन्होंने तत्काल उस पर कदम उठाते हुए कार्रवाई की|
नगर निगम में जय इंदर सिंह जॉइंट कमिश्नर हुआ करते थे तो माननीय उच्च न्यायालय ने नया बाजार से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे| जय इंदर सिंह ने तब हाईकोर्ट के आदेशों का तत्काल पालन करते हुए अतिक्रमण हटाया था| इस दौरान कुछ लोगों को न्यायालय से थोड़ी राहत मिल गई थी जिनके अवैध कब्जे नहीं हटाया जा सके थे| इसके बाद जय इंदर सिंह का तबादला हो गया और उनके अधूरे कार्य को आज तक नगर निगम के अधिकारी पूरा नहीं कर पाए हैं|
जय इंदर सिंह के ये तेवर पुडा में तैनाती के दौरान भी बरकरार रहे| जय इंद्र ने अपने छोटे से कार्यकाल में जितनी अवैध कॉलोनियों पर डिच चलवाई और अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की इतनी कार्रवाई पुडा के इतिहास में पहले कभी नहीं हुई थी| यही वजह थी कि जय इंदर सिंह अवैध कॉलोनियां काटने वाले और अवैध निर्माण करवाने वाले कॉलोनाइजरों एवं बिल्डरों की आंखों की किरकिरी बन गए थे|
हाल ही में जय इंदर सिंह एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट में स्थानांतरित कर दिए गए| यहां पर भी वह शहर में चल रहे अवैध कार्यों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर ही रहे थे कि उनका फिर से तबादला कर दिया गया|
तबादला करने से पहले सरकार को यह ध्यान देना चाहिए कि जिस अधिकारी का तबादला किया जा रहा है उसे डिपार्टमेंट को समझने के लिए आखिर कितना वक्त दिया गया| जब तक कोई अधिकारी किसी डिपार्टमेंट को सही तरह से समझ पाता है तब तक उसका तबादला कर दिया जाता है| ऐसे में सिस्टम में सुधार कैसे हो पाएगा| बहरहाल, जय इंदर सिंह को एक बार फिर पुडा में तैनाती दे दी गई है|